आज जन्मदिन है हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का।
सखि, वसंत आया
भरा हर्ष वन के मन,
नवोत्कर्ष छाया।
किसलय-वसना नव-वय-लतिकामिली मधुर प्रिय उर-तरु-पतिकामधुप-वृन्द बन्दी-पिक-स्वर नभ सरसाया।
लता-मुकुल हार गन्ध-भार भरबही पवन बन्द मन्द मन्दतर,जागी नयनों में वन-यौवन की माया।
अवृत सरसी-उर-सरसिज उठे;केशर के केश कली के छुटे,
स्वर्ण-शस्य-अंचलपृथ्वी का लहराया।