हिंदू नेता इतना दब्बू , गुंडों को कहता है अब्बू ;
सब का डीएनए एक बताता,अकल से हो गया है ढब्बू।
लड़ने से पहले ही हारा , रण को छोड़ बीच से भागा ;
भारत मां की लाज गंवाई , ऐसा है वो पूत अभागा ।
पता नहीं क्या राष्ट्र का होगा ? नाविक नाव डुबोते हैं ;
शक्ति दिखाने के अवसर पर , घड़ियाली आंसू रोते हैं ।
कोई गिरोह नहीं हिंदू का , उनकी रक्षा राज्य से हो ;
गोलबंद गुंडे अपराधी , वे सब जेल के अंदर हों ।
निरपराध हिंदू की रक्षा , हर कीमत पर राज्य करे ;
ऐसा हो कानून का शासन , कोई न मासूम मरे ।
गांधीनेहरू कीनीति को बदलो ,राष्ट्र के थे पक्केदुश्मन ;
सावरकर की नीति को लाओ,घुसकर मारो हर दुश्मन ।
एक एक हिंदू की रक्षा , कोई न बेमौत मरे ;
वरना तुम कुर्सी को छोड़ो , किया जो तूने तू ही भरे ।
पूरा सिस्टम सड़ा गला है , पहले इसको ठीक करो ;
भ्रष्टाचार है इसका कारण , तत्क्षण उसको दूर करो ।
भ्रष्टाचारी जितने नेता , राष्ट्र की जड़ को खोद रहे ;
केवल अपना घर भरते हैं , राष्ट्र को हरदम बेच रहे ।
गुंडे इनके संगी साथी , चला रहे अपना एजेंडा ;
हिंदू गहरी निद्रा सोया , इसी से हरदम खाता डंडा ।
हिंदू नेता शौर्य को भूला , गुंडों के तलवे चाट रहा ;
पता नहीं क्या रोग है इनको ? अपनी गर्दन काट रहा ।
शाहीन बाग सिंड्रोम से पीड़ित, डर से थरथर कांप रहा ;
अनदेखी हिंदू की करता , गुंडों में सिन्नी बांट रहा ।
हिंदू की मजबूरी है , भाजपा बहुत जरूरी है ;
बस मोदी से पल्ला झाड़ो , जिसकी राष्ट्र से दूरी है ।
हिंदू केवल तभी बचेगा ,भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ;
तब ही हिंदू राष्ट्र बनेगा , जब मोदी मुक्त भाजपा लाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”