काशीविध्वंस का पाप हुआ है उसका फल तो भुगतना होगा
जितने भी सरकारी हिंदू , उनसे सबको बचना होगा ।
शिव परिवार को तोड़ने वाले , इसका फल जरूर पायेंगे ;
इतना बुरा हाल देखेंगे , मर कर भी चैन नहीं पायेंगे ।
तू मोमिन से घिरा हुआ है , उनमें कई जेहादी हैं ;
गलत काम तुझसे करवाते , यही राष्ट्र की बर्बादी है ।
शाहीन- बाग ये ही करवाते , रोड- जाम भी यही कराते ;
कई तरह जजिया दिलवाते , बाईस हजार करोड़ लुटवाते ।
उनकी गिरफ्त में यूँ आया है , धर्म- सनातन भूल गया ;
उल्टे – सीधे काम कर रहा , खुद को भी तू भूल गया ।
एक थैली के चट्टे- बट्टे , सारे दल ऐसे तिलचट्टे ;
देश की हिंदू – जनता पिसती , ऐसे ही हैं ये सिलबट्टे ।
सत्ता में कोई भी आये , हिंदू को तो मरना है ;
तथाकथित हिंदूवादी दल , उसका तो क्या कहना है ?
जगह-जगह मंदिर तुड़वाते , धर्म की कोई समझ नहीं ;
धर्म – सनातन कतई न जाने, राष्ट्र के हित का समय नहीं ।
सत्ता-लिप्सा इस कदर है हावी, राष्ट्र का हित भी भूल गये ;
जिन कंधों पर चढ़कर पहुंचे , उन कंधों को भूल गये ।
तुष्टीकरण बढ़ाया ऐसे , जैसे जजिया देते हो ;
जेहादी से क्यों डरते हो ? क्या उनका दिया ही खाते हो ?
उनका वोट नहीं है तुझको,क्यों अल्पसंख्यकवाद बढ़ाते हो
सत्ता की क्यों इतनी चाहत ? राष्ट्र को तोड़ा करते हो ।
कश्मीर तो चौपट कर ही दिया है, अब बंगाल का नंबर है ;
केरल महाराष्ट्र भी झोंक दिया है, दिल्ली का भी चक्कर है।
इसी तरह पंजाब की बारी भी , जल्दी ही आयेगी ;
जब – तक केंद्र में सत्ता कायर , ये बर्बादी आयेगी ।
पता नहीं क्यों इतना डरता ? क्या अमरौती चाह रहा ?
राष्ट्र हमें देता है सबकुछ , बदले में कुछ मांग रहा ।
सदियों से ये राष्ट्र लुट रहा , इसीलिये तुझको लाया ;
राष्ट्र की आशा ,धर्म की रक्षा ,इसीलिये बहुमत दिलवाया ।
कुछ तो लाज रखो बहुमत की,राष्ट्र का भी कुछ काम करो;
फिर भी साहस छूट रहा हो , तो फिर तुम एक काम करो ।
स्वेच्छा से गद्दी को छोड़ो , परम – साहसी योगी लाओ ;
जीवन सफल बनाओ अपना , देश को हिंदू -राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”