यदि देश का सिपाही यह कहे कि उसको नाश्ते में एक पराठा वह भी सिर्फ चाय के साथ और खाने में केवल नमक और हल्दी मिली दाल मिलती हो तो जरा सोचिये! आपकी सीमाओं की रक्षा करने वाला यह जवान कितने दिन आपकी रक्षा के लिए तैनात रह पायेगा? अरे भूखे पेट तो हरि भजन भी नहीं होता! और यहाँ तो दस से बारह घंटे एक पाँव पर खड़े होकर सीमाओं की चौकसी का सवाल है। जी हाँ में बात कर रहा हूँ सोशल मीडिया में वायरल हो चुके विडियो का जिसमें भारतीय सीमा सुरक्षा का एक जवान तेज बहादुर यादव पूरे देश को झझकोर रहा है।
हम में से शायद कोई बिरला ही होगा जिसके सोशल मीडिया एकाउंट में यह विडियो न आया हो, हो सकता है की किसी के पास तो कई-कई बार आया होगा। किसी ने देखा होगा और किसी ने बिना देखे आगे फॉरवर्ड कर दिया होगा! किसी ने तो इसे डाउनलोड करने की जरूरत भी नहीं समझी होगी! आखिर सवाल डाटा का जो है विडियो डाउनलोड करने में ज्यादा डाटा जो खर्च होता है! जबकि वह जवान बार यह कह रहा है कि इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये ताकि उनकी बात देश के हुक्मरानों तक पहुंचे!
खैर यह विडियो देखकर मन खिन्न हुआ और गुस्सा भी आया कि फ़ौज में भी इस तरह के हुक्मरान हैं जो अपने निजी आर्थिक हित के लिए अपने सैनिकों के मुंह से निवाला छीन रहे हैं। मैं एक फौजी का बेटा होने के नाते अच्छे से यह बात जानता हूँ कि युद्ध जैसे आपातकाल के समय इस तरह की बात हो सकती है क्योंकि उस समय रसद आदि पहुँचाने में परेशानी होती है! कई बार फौजियों को कई दिन का बासी खाना या फिर भूखा भी रहना पड़ता था लेकिन आज ऐसी कौन सी परिस्थितियां हैं जो जवानों को उनके पौष्टिक आहार से वंचित किया जा रहा है?
खैर सिपाही तेज बहादुर यादव की एक के बाद एक भेजे गए विडियो को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संज्ञान में लिया है और जांच के आदेश भी पारित किये हैं! इस तरह के दोषी अफसरों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही का समर्थन करता हूँ ताकि भविष्य में किसी भी सैनिक से उसका अधिकार न छीना जा सके!