सारा कुमारी। नुकसान सनातन धर्म का, कभी बौद्धों ने किया था, वही भयंकर हानि अभी की केन्द्र भाजपा सरकार पहुंचा रहीं है। । बौद्ध हिंदुओं को अक्षत्रिय, भीरु, कायर, डरपोक, शस्त्र और शास्त्र विहिन करने में बौद्धों की बहुत भूमिका रहीं है, और आज यही काम संघ और भाजपा कर रही हैं।
बौद्धों के बाद ही भारत पर बाहरी आक्रमण बहुत बढ़ गए थे, अर्थहीन अहिंसा नीति को अपनाकर, भारत को जान – माल का बहुत नुकसान हुआ। कई कई बार हिंदुओं को शत्रु से हार का सामना करना पड़ा, और बीच बीच में कुछ समय के लिए, मुगलों के अधीन भी रहना पड़ा। इस पीरियड का जितना नुकसान शारीरिक या, आर्थिक पड़ा, उससे कहीं ज्यादा मनोवैज्ञानीक पड़ा।
हिंदू कई सालों तक उस गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाया। ठीक उसी तरह आज हिंदू खुद को एकदम असहाय, लाचार , अकेला महसूस कर रहा है। और 2024 तक ऐसा नुकसान हो जाएगा, जिससे वापसी करने में, फिर से कई साल लग जाएंगे।
बौद्धों के समय में मंदिरों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया गया, हर जगह देवी देवताओं की मूर्ती हटाकर बौद्ध की मूर्तियां स्थापित की गईं, ऐसे ही अभी भी सदियों से स्थापित पुराने विग्रह को आधुनिकरण के नाम पर हटा कर, नए नए मॉडर्न मंदिर बनाएं जा रहें हैं। मन्दिरों के “औरा” को नष्ट किया जा रहा है। उनको तीर्थ स्थलों से पर्यटन स्थल में परिवर्तित किया जा रहा हैं।
एक समय तक तो सम्राट अशोक ने, अपने राज्यों की सीमा का खूब विस्तार किया, ईरान से लेकर बर्मा तक, और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक, अपनी विजय पताका फहराई, परंतु जब उन्होंने हिंसा का मार्ग छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया, तो उन्हीं के अधीन आने वाले छोटे छोटे राज्यों के राजा अपनी मर्जी से शासन चलाने लगे, सम्राट अशोक की बात भी नही सुनते थे, जैसे अभी ममता बनर्जी हो या डीएमके, अभी कुछ समय पहले तक उद्धव ठाकरे हो या अरविंद केजरीवाल , या फिर करेला में पिनाराई विजयन सभी अपनी मर्जी से शासन चला रहें है, कभी कभी तो हमें ऐसा एहसास होता हैं की सीएम का पद पीएम से बड़ा है। हिंदुओं पर अनावश्यक अत्याचार हो रहें है, और इनको केन्द्र का कोई भय नहीं है।
बौद्ध काल में ही ब्रह्मदत के समय, बौद्ध मठों के भिक्षुओ ने ग्रीक सैनिकों से हाथ मिला लिया था, और उन्हें अपने मठों में, छुपाकर भी रखा था, आज भी हमारे ज्यातदर बाबा, विदेशों से फंड लेकर, उनके मुद्दों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है, हिंदुओं को मूल संस्कृति से दूर कर रहे है, हिंदू धर्म की मंनगढ़ंत नई नई परिभाषा गढ़ के हमारे धर्म को dilute कर रहे है।। यहां भी केन्द्र सरकार मौन धारण कर के इन कृत्यों को बढ़ावा दे रहीं है।
और सरकार की ऐसी हिंदुओं के प्रति निष्क्रिय छवि की वजह से हिंदुओ पर लगातार प्रहार हो रहें है, इसी वर्ष कितने हिंदुओं के सर तन से जुदा कर दिए गए, हमारी बेटियां लव जिहाद में जान गवां रही हैं, हिंदुओं की ज़मीन पर कब्ज़ा किया जा रहा हैं, परंतु हिंदू प्रतिकार नहीं कर पा रहा है। क्योंकि उसको प्रतिकार करने ही नही दिया जा रहा हैं।उसको रोक दिया जा रहा हैं।
कहने को हिंदू बहुसंख्यक हैं, परन्तु बहुसंख्यक समाज को अल्पसंख्यक समाज से जो पीड़ा झेलने पड़ रही है, ये तो अकल्पीनीय हैं।
बौद्ध काल में भी अंदर से हिंदू सनातन धर्म परम्परा और साहित्य ज्ञान से बिल्कुल कमजोर हो गया था, और मनोबल टूटने की वजह से बाहरी आक्रमण को झेलने के काबिल भी नही बचा था, वहीं हाल आज भी हैं।
उस समय तो महान योद्धा पुष्पमित्र शंगु ने आकर भारत और हिंदू धर्म की रक्षा की थीं, ईश्वर से प्रार्थना हैं की, आज भी हर सच्चे सनातनी के मन में प्रभु ऐसी इच्छाशक्ति और बल भर दे, की हम सब मिलकर , पूरी शक्ति लगाकर, इस से बाहर निकले और फिर से सत्य सनातन वैदिक परम्परा की स्थापना कर पाएं।