राफेल डील पर मोदी सरकार को जिस नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानि कैग की रिपोर्ट में क्लीन चिट मिली है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उसे ही खारिज करने पर तुले हैं। राहुल गांधी को याद होना चाहिए कि इसी कैग रिपोर्ट के आधार पर न केवल यूपीए सरकार की भद्द पिटी थी बल्कि कॉमनवेल्थ घोटाले से लेकर 2जी और कोलगेट समेत कई घोटाले की जांच सीबीआई से कराने पर विवश होना पड़ा था। इतना ही नहीं जांच के बाद उनकी सरकार के कई मंत्रियों को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी। जिस कैग ने अपनी रिपोर्ट में यूपीए सरकार को घोटाले की सरकार ठहराया था आज उसी कैग रिपोर्ट में मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को ईमानदारा बताया है। मालूम हो कि कल राज्यसभा में रखी गई कैग रिपोर्ट में राफेल डील को लेकर कहा गया है कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की तुलना में सस्ते में राफेल डील पक्की की है। राफेल डील पर कैग की यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी पर झन्नाटेदार तमाचा है।
जिस कैग (CAG) की रिपोर्ट ने UPA सरकार को कटघरे में खड़ा किया था उसी कैग की रिपोर्ट ने #RafaleDeal में मोदी सरकार को न सिर्फ क्लीन चिट दी बल्कि UPA सरकार की राफेल डील से बेहतर भी बताया #RafaleCAGReport https://t.co/uzDB0x4yzo
— Nishant Chaturvedi (@nishantchat) February 13, 2019
सरकार की कमाई व खर्च का हिसाब किताब रखने वाली एक संवैधानिक संस्था नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर यूपीए सरकार के मंत्री से लेकर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को जेल भेजने की जमीन तैयार हुई थी। 2जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम्स, तथा कोलगेट घोटाले से लेकर एयर इंडिया व उर्वरक सब्सिडी को लेकर कैग की रिपोर्टो की मार सोनिया गांधी की मनमोहनी सरकार बेहाल रही।
CAG ने ही खोली थी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की पोल
डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-दो की सरकार को देश के इतिहास का सबसे भ्रष्ट सरकार की संज्ञा दी गई थी। सीएजी ने ही 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खोली थी । 2 जी स्पेक्ट्रम, कोयला, प्राकृतिक गैस आवंटन में हुए घोटाले के कारण ही सरकार को प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन को लेकर अपनी नीति बदलनी पड़ी थी। मालूम हो कि 2010 में बतौर सीएजी विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले की बात सामने लाई थी। उन्होंने कहा था कि सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है। राय ने सीएजी की रिपोर्ट में कहा था कि 2जी आवंटन में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। 2008 में उस समय की यूपीए सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया था। इतना ही नहीं 2जी के अलावा विनोद राय ने 10,673 बिलियन के कोयला घोटाले, 141 करोड़ के कॉमनवेल्थ खेल घोटाले का भी खुलासा किया था। गौर हो कि विनोद राय जनवरी 2008 में लेकर 2013 तक सीएजी थे।
कॉमनवेल्थ घोटाले में शामिल मंत्रियों के नाम कैग रिपोर्ट से हटाने का डाला था दबाव
2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली में स्ट्रीट लाइट की खरीद हुई थी, जिसमें घोटाला सामने आया था। आरोप है कि बाजार दाम से अधिक मूल्य पर ये लाइटें खरीदी गईं थीं। मालूम हो कि इस मामले में जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकरा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर करने की बात कही थी। ध्यान रहे कि आज वही अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक साथ मंच साझा करते दिखते हैं। उस समय दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने कहा था कि राष्ट्रमंडल खेल (सीडब्ल्यूजी) परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के सभी मामलों की गहन जांच होगी। लेकिन उन्होंने जांच नहीं कराई। इस मामले में भी पूर्व सीएजी विनोद राय ने दावा किया था कि यूपीए सरकार ने अपने कुछ नेताओं को इस काम पर लगाया था कि राष्ट्रमंडल खेल और कोलगेट घोटालों से जुड़ी ऑडिट रिपोर्ट से कुछ नामों को हटाया जाए। इसका खुलासा उन्होंने अपनी किताब ‘नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट’ में किया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि गठबंधन राजनीति की मजबूरी की वेदी पर शासन को कुर्बान नहीं किया जा सकता।
कोलगेट घोटाले से सरकारी खजाने को लगा था 1.86 लाख करोड़ का चूना
जो राहुल गांधी आज पारदर्शी तरीके से की गई राफेल डील को लेकर देश को बदनाम करने के लिए उसे घोटाला साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं उन्हें ध्यान रहना चाहिए कि उन्हीं की यूपीए सरकार के दौरान ‘कोलगेट’ शब्द टूथपेस्ट की बजाय कोयला घोटाले का पर्याय बन गया था। इसी घोटाले के तहत उनकी सरकार ने देश के सरकारी खजाने को एक लाख छियासी हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया था। मालूम हो कि इस घोटाले का खुलासा भी कैग रिपोर्ट से ही हुआ था। कैग रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2009 तक की अवधि में कोयला ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया गया था । सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था यूपीए सरकार ने सरकारी खजाने को 1 लाख 86,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा कर उसका फायदा अपनी हितैषी कंपनियों को पहुंचाया। क्योंकि यूपीए सरकार ने टाटा स्टील, भूषण स्टील, जेएसपीएल, एमएमटीसी जैसी कई फर्म्स को बिना किसी नीलामी के कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिए।
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राहुल गांधी मोदी सरकार पर अनिल अंबानी के लिए डसॉल्ट का फेवर करने का आरोप लगा रहे हैं। जबकि कैग की रिपोर्ट में अलग ही बात कही गई है। कैग ने तो कांग्रेस पार्टी पर डसॉल्ट की हिमायती होने की बात कही है। कांग्रेस ने तो प्रॉक्योरमेंट पॉलिसी की अवेहलना कर तकनीकी और मूल्य निर्धारण बोली में उसे प्राथमिकता दी थी। एके एंटनी ने 2009 में यूपीए के सत्ता में वापस आने के एक सप्ताह के भीतर संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
CAG report, tabled before Rajya Sabha today, says compared to the 126 aircraft deal, India managed to save 17.08% money for the India Specific Enhancements in the 36 Rafale contract. #RafaleDeal pic.twitter.com/mFydI83Led
— ANI (@ANI) February 13, 2019
बुधवार को राज्यसभा में रखी गई CAG की रिपोर्ट के मुताबिक 126 राफेल विमान सौदे की तुलना में, 36 राफेल अनुबंध में भारत विशिष्ट संवर्द्धन के लिए कुल कीमत का 17.08 प्रतिशत धन बचाने में सफल रहा।
गौर हो कि राफेल डील पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कैग रिपोर्ट पेश की। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मोदी सरकार ने जो राफेल डील पक्की की है, वह यूपीए की डील से कुल 2.86 फीसदी सस्ती है। इसके अलावा ने सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 2007 और 2015 में हुई राफेल डील की तुलना कर बताया है कि मोदी सरकार ने कैसे सस्ती डील की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भारतीय समझौता दल ने 2015 में जिस दाम पर डील को फिक्स किया वह 2007 की तुलना में 1.23 प्रतिशत सस्था था लेकिन जब वही डील 2016 में साइन हुई तो मोदी सरकार ने उसे और कम करा लिया। इससे डील की कुल कीमत 2.86 प्रतिशत कम हुई।
इस प्रकार कैग ने अपनी रिपोर्ट में भी न केवल राफेल डील को लेकर क्लीन चिट दी है बल्कि यूपीए की डील से सस्ती भी बताई है। इतनी ही नहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मोदी सरकार ने पूरी ईमानदारी के साथ देश हित में यह डील पक्की की है।
URL : cag report too gave clean chit to modi govt on rafale deal!
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