न्यायपालिका के खेल को समझना है तो पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के मामले को गौर से देखिए। सीबीआई ने शारदा चिंट फंड मामले में नलिनी चिदंबरम के खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट दाखिल होते ही उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई। लेकिन छुट्टी का दिन होते हुए भी शनिवार को मद्रास हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से सुरक्षा देते हुए उसे अंतरिम जमानत दे दी। इसके लिए मद्रास हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने के लिए विशेष बैठक की व्यवस्था करनी पड़ी।
Madras HC grants Nalini Chidambaram interim protection from arrest at a special sitting on holiday Saturday. Chargesheeted in Kolkata & how Madras HC concerned on this??? 😡😡😡. https://t.co/7iWCNv0DbW via @economictimes
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) January 12, 2019
जिस प्रकार नलिनी चिदंबरम को जमानत दी गई है उस पर वरिष्ठ पत्रकार जे गोपीकृष्णन ने सवाल उठाया है कि आखिर मद्रास हाई कोर्ट का इस मसले से क्या लेना-देना है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से सवाल खड़ा किया है कि जब चार्जशीट कोलकाता हाईकोर्ट में दाकिल की गई है तो फिर मद्रास हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से बचाने के लिए अंतरिम जमानत कैसे दी ?
मालूम हो कि इससे पहले नलिनी चिदंबरम कोलकाता हाईकोर्ट से लगातार अग्रिम जमानत लेती रही हैं। लेकिन इस बार वह अगर अग्रिम जमानत के लिए कोलाकाता जाती तो पकड़ी जाती। इसलिए उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया। क्या किसी गरीब के लिए कभी किसी हाईकोर्ट ने इस प्रकार की विशेष व्यवस्था की है? कांग्रेस और उसके नेता शुरू से ही न्यायालय को गिरवी बना रखा है। वह अपने हिसाब से उसका उपयोग करते रहे हैं।
भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका चिदंबरम परिवार की संलिप्तता शुरू से ही शारदा चिट फंड से बताया जा रहा है। अब जब नलिनी चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है तो यह स्पष्ट हो गया है कि शारदा चिट फंडा का तार कितने ऊपर के लोगों से जुड़ा हुआ है।
URL : CBI file chargesheet in Kolkata but Nalini get bail from Madrass !
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