विपुल रेगे। फिल्म ‘आरआरआर’ को ऑस्कर मिलने के बाद राजामौली और उनकी टीम के अलावा कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि इस अवार्ड को घर लाने में उनका भी ‘योगदान’ है। ‘आरआरआर’ को ऑस्कर अवार्ड हासिल करने के लिए आग के दरिया से गुज़रना पड़ा है। राजामौली की इस फिल्म को तो सरकार की ओर से आधिकारिक एंट्री का सुख भी प्राप्त नहीं हुआ था। ऐसे में राजामौली और उनकी टीम के इस ‘अग्निपथ’ पर कोई और अधिकार जताने लगे तो समझ लेना चाहिए कि श्रेय लेने की विकृत राजनीति फिल्मों तक पहुँच गई है।
‘आरआरआर’ को अवार्ड मिलते ही भारत भर से बधाइयों की बाढ़ आ गई। देशवासियों ने दिल खोलकर फिल्म की पूरी टीम का अभिवादन किया। इस सुंदर और सधे हुए माहौल का लाभ लेने में केंद्र सरकार और उसके मंत्री पीछे नहीं रहे। लाभ लेने के लिए किस हद को पार किया गया है, वह अत्यंत आश्चर्यजनक है। एक फिल्मकार की मेहनत का श्रेय प्रधानमंत्री को कैसे और किस तरह दिया जा सकता है?
जब ऑस्कर के लिए नॉमिनेशन खोले गए तो भारत सरकार की ओर से फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की ज्यूरी ने ‘आरआरआर’ को छोड़ एक गुजराती फिल्म ‘द छेल्लो शो’ को चुन लिया। कहा गया कि ज्यूरी ने चमक-दमक से भरी फिल्म को छोड़ मानवीय संवेदनाओं से भरी एक कहानी चुनी। इसके बाद राजामौली ने ऑस्कर में अपनी फिल्म को फ्री एंट्री के तहत मुकाबले में लाया। अब जब फिल्म ऑस्कर लेकर आई है तो सरकार इसके लिए श्रेय लेने लगी। श्रेय आप तब ले सकते थे, जब आपने फिल्म को आधिकारिक एंट्री के तहत ऑस्कर में भेजा होता।
प्रकाश जावड़ेकर राज्यसभा में डाक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ के अवार्ड जीतने पर हास्यापद बयान जारी करते हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इससे भी आगे बढ़ते हुए कहते हैं ‘प्रधानमंत्री ने पिछले साल ही फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर के.विजेंद्र प्रसाद को नॉमिनेट कर सिद्ध कर दिया था कि वे फिल्म को बेहतर मानते हैं।’ इस बयान का तर्क क्या है, ये तो केंद्रीय मंत्री जी ही बता सकते हैं। एक आम फ़िल्मी दर्शक भी ये सुनकर सोचने पर विवश हो जाएगा कि ऑस्कर अवार्ड लाने में मोदी जी का योगदान क्या है और कैसे है।
अभी केंद्रीय मंत्री अमित शाह ‘आरआरआर’ के मुख्य अभिनेता राम चरण तेजा के घर जा पहुँचते हैं और उनका अभिवादन करते हैं। ये किस किस्म की राजनीति है ? जब सहयोग करना था , तब पीछे हट गए और अब आए हैं तो श्रेय पीएम मोदी को देना है। क्या राजामौली की निजी मेहनत भी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कर दी जाएगी ? ऐसे बेतुके प्रचार आपके कद को छोटा ही करेंगे, बढ़ाएंगे नहीं। यदि सरकार द्वारा गठित ज्यूरी राजनीति से प्रभावित हुए बिना फ़िल्में चुनना सीख जाए तो राजामौली जैसे फिल्मकारों को फ्री एंट्री से ताल न ठोंकनी पड़े। और केंद्र के नेता हर उपलब्धि को मोदी जी से जोड़ना बंद कर दे तो मोदी जी और भाजपा का सम्मान और बढ़ जाए।