चंद्रबाबू नायडू सीबीआई के चंगुल में फसे, माया, मुलायम, ममता, लालू और चौटाला जैसे राजनेताओं को एक जुट होने के लिए भ्रामक संदेश देकर अपनी राजनीतिक सत्ता ठोस करने की जुगत लगा रहे हैं…
चंद्रबाबू नायडू की तरह लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, व ओमप्रकाश चौटाला या इनके परिजन यदि अपने अपने राज्य के मुख्यमंत्री बन गए तो भ्रष्टाचार के वो तमाम मामले जो इनके खिलाफ चल रहे हैं वो खत्म हो जाएंगे! शारदा घोटाले में जांच के दायरे में चल रही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राहत की सांस ले सकेंगी। ममता ने तो आव देखा न ताव नायडू से दो कदम आगे बढ़ कर कह दिया कि वो तो कानून ले आएंगी ताकि सीबीआई उनके राज्य में इंट्री न कर सके। लेकिन ममता लेट हो गईं नायडू बाजी मार ले गए पहले भ्रम फैला कर। कमाल है मतलब यदि सब एक हो गए तो और राज्यों में इनकी सरकार बन गई तो लालू यादव व चौटाला तुरंत जेल से बाहर आ जाएंगे! माया और मुलायम पर लटकी सीबीआई की तलवार फूल की माला बन जाएगी। चंद्रबाबू नायडू यह कह कर कि वो अपने राज्य में सीबीआई को इंट्री नहीं करने देंगे कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं।
कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सरकार का तोता क्या कहा वो तोते की इज्जत भी तार तार करने लगी। अब हाल में सीबीआई के दो शीर्षस्थ अधिकारियों की आपसी लड़ाई ने देश की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसी को गरीब का भौजी बना दिया है। एक अपराधी से रिश्वत लेने के आरोप एक दुसरे पर लगाते हुए सीबीआई के मुखिया और उसके नंबर दो ने सीबीआई के साख पर बट्टा क्या लगाया अराधिक मामले में फसे नेता और किसी तरह की जांच आतंकित राजनीतिक दल के नेता बिना तथ्य के सीबीआई को अपनी राजनीति का हथियार बनाने लगे। आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सीबीआई को चुनौती देने लगे कि वे अपने राज्य में सीबीआई को घुसने नहीं देंगे!। मानो सीबीआई न हुई आईएसआई हो गई। यह जाने हुए कि कानून के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री के अनुमति के बिना सीबीआई कभी आधिकारिक रुप से किसी राज्य में प्रवेश नहीं कर सकती। उधर लालू यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आईआरसीटी घोटाला में लालू समेत पूरे परिवार पर लगे आरोप पर पिता की तरह जाति कार्ड खेल दिया है। जबकि जांच में यह सामने आया है कि सीबीआई के मुखिया उनके पिता के खिलाफ जांच नहीं करने देना चाह रहे थे। मतलब यह नहीं की उनके और उनके पिता पर आरोप नहीं बनते।
सुप्रीम कोर्ट में अपनी इज्जत की भद्द पिटवा रहे सीबीआई के दो अधिकारियों के रवैए ने देश के राजनीतिक दलों को अपनी राजनीतिक रोटी चमकाने का अवसर दे दिया है। चुकि देश में राजनीति ही जाति ,पंथ और प्रांत के भावनात्मक माहौल पैदा कर भ्रम का माहौल पैदा कर किया जाता है ऐसे में देश के सबसे संपन्न मुख्यमंत्री आंध्रप्रदेश के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने यह कह कर कि वे अपने प्रदेश में सीबीआई को प्रवेश ही नहीं करने देंगे सीबीआई जांच के दायरे में चल रहे सभी राजनीतिक दल के नेताओं को अवसर दे दिया है कि वो अपने खिलाफ जांच की धार को कुंद करने के लिए सीबीआई के खिलाफ हल्ला बोल दें। चंद्रबाबू नायडू से प्रेरित होते ही बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने कहना शुरु कर दिया कि सीबीआई ने उनके पिता और उनके पूरे परिवार को फसाया है यह साबित हो गया। वे संदेश देने लगे की आईआरसीटीसी घोटाला में केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हे मोहरा बनाया है। जब मसला बस इतना है कि लालू और उनके परिवार के खिलाफ जो आईआरसीटीसी घोटाला के सबूत जिसके तहत एफआईआर दर्ज हुआ सीबीआई के मुखिया नहीं चाहते थे कि इस मामले में जांच तुरंत शुरु कर दिया जाए।
अब देखिए चंद्र बाबू नायडू के कथन के मायने क्या हैं! नायडू ने कहा है कि वे सीबीआई को अपने राज्य की सीमा में घुसने नहीं देंगे। सवाल यह है कि उन्होने ऐसा क्यों कहा?यह कहने की जरुरत क्या थी? तब जबकि कानून के मुताबिक राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई आधिकारिक रुप से राज्य की सीमा में नहीं जा सकती। यदि बहुत जरुरत हुई तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की ही जरुरत होती है। कानून के मुताबिक चुने गए जनप्रतिनिधी की ताकत लोकतंत्र में जनता उसे देती है। इस लिहाज से राज्य के सीमा में दुसरे राज्य की पुलिस या किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी का प्रवेस बिना राज्य के अनुमति के नहीं हो सकता।
सीबीआई दिल्ली पुलिस एस्टेबलिस्मेंट एक्ट के तहत बनी है। कानून के मुताबिक सीबीआई वैसे ही कानूनन DSPE Act, 1946 के तहत बगैर राज्य की अनुमति के उन मामलों की जांच नहीं कर सकती जो राज्य के विषय हैं। तो सवाल उठता है कि चंद्रबाबू नायडू ने नया क्या कर दिया? कोई भी राज्य सरकारें ऐसी कोई नीति नहीं बना सकतीं। जिसकी बाद चंद्र बाबू नायड़ू कर रहे हैं। हां यदि राज्य के मुख्यमंत्री या किसी अन्य जनप्रतिनिधि पर भ्रष्टाचार का आरोप है तो सुप्रीम अदालत को यह अधिकार है कि वो जांच सीबीआई को सौंप सकता है। कानून में यह सब स्पष्ट है लेकिन आम जन इससे अनभिज्ञ होता है ऐसे में देश के सबसे संपन्न मुख्यमंत्री माने जाने वाले चंद्र बाबू नायडू ने भ्रम का माहौल क्यों बनाया यह संदेह खड़ा करता है! क्या चंद्र बाबू सीबीआई आरोप के दायरे में चल रहे लालू ,मुलायम, मायावती व चौटाला परिवार के कुनबों को सीबीआई का भय दिखा कर एक जुट करना चाहते है कि यदि वे राज्य का मुख्यमंत्री बन गए तो सीबीआई उनका बाल बांका नहीं कर सकती। चंद्र बाबू नायडू के भ्रम का माहोल बनाते ही तेजस्वी ने मोर्चा खोल दिया।
तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू यादव पर आईआरसीटी घोटाला मामले में सीबीआई जांच चल रही है। लालू पहले से ही चारा घोटाले के चार मामले में सजा भुगत रहे हैं। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आपसी विवाद में यह सामने आया है कि आलोक वर्मा नहीं चाहते थे कि आईआरसीटी घोटाला मामले में लालू परिवार पर छापेमारी हो। राकेश अस्थाना इस मामले में जांच अधिकारी है। लालू यादव पर आरोप है कि उन्होने रेलमंत्री रहते रेलवे की जमीन निजी कंपनी को औने पौने दाम पर दिए उसके बदले परिवार के सदस्यों के नाम बेनामी संपत्ति हासिल कर लिए। सीबीआई के पास इसके पुख्ता सबूत हैं। इसी आधार पर लालू और उनके बेटे बेटियों के खिलाफ जांच शुरु हुई। राकेश अस्थाना के मुताबिक आलोक वर्मा नहीं चाहते थे कि अभी लालू के ठिकानो पर छापेमारी हो। इसका मतलब यह नहीं की लालू इस मामले में निर्दोष हैं लेकिन तेजस्वी कुछ ऐसा ही माहोल बना रहे हैं कि साजिश के तहत लालू यादव को फसाया गया है। अब चंद्र बाबू ने भ्रम का एक जाल ऐसा फेंका है जिससे आपराधिक मामलों के तहत सीबीआई के चंगुल में फसे राजनेताओ को एक मंच पर लाया जा सके।
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