गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी अराजकता का मैदान बन गया। दिल्ली में प्रवेश के सभी बॉर्डर समेत आईटीओ, कनॉट प्लेस, लाल किला तथा अन्य लुटियंस जोन में बवाल दिन भर चलता रहा ।
प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति तथा गृह मंत्री की आवास परिसर तक पहुंचने की कोशिश में जुटे थे जबकि पुलिस उन पर कभी लाठीचार्ज तो कभी आंसू गैस के गोले छोड़कर नियंत्रण करनेेे का प्रयास कर रही थी ।
दोपहर से शुरू हुआ बवाल शाम तक जारी था और दिल्ली पुलिस की कोशिश थी कि किसी तरह से प्रदर्शनकारियों को राजधानी के भीतर से खदेड़ा जा सके ।
पुलिस सूत्रों की माने तो दो दर्जन से अधिक स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस की भिड़ंत हुई और इनमेंं कई लोग जख्मी हुए।अपुष्ट सूत्रों की माने तो एक व्यक्ति की मरने की भी खबर है
क्योंकि डीडीओ मार्ग पर एक बेकाबू ट्रैक्टर पलट गया था । इसके अलावा लाल किला पर खालिस्तान का झंडा लहराए जाने की सूचना है ।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सिंघु बॉर्डर, टिकरी व गाजीपुर के बाद प्रदर्शनकारियों किसानों की आईटीओ में पुलिस के साथ झड़प हुई और सरदारों ने तलवार देकर पुलिस को खदेड़ दिया।
कई प्रदर्शनकारी लाल किला तक पहुंच गए और उन्होंने वहां पहुंचकर जमकर बवाल काटा । वहीं पुलिस ने भी किसनों के उपर लाठी चार्ज शुरू कर दिया है।
इससे पहले खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि किसान के वेश में कुछ शरारती तत्व पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के निर्देश पर खालिस्तानी तथा इस्लामिक उग्रपंथ्यों के साथ मिलकर गड़बड़ियां फैला सकती है ।
इस वजह से रैली के दौरान पूरी तरह से सतर्कता बरतना निहायत जरूरी है। लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने तथाकथित किसानों की ट्रैक्टर परेड को 37 शर्तों के साथ मंजूरी दी ।
शर्तों के अनुसार कहा गया कि इस ट्रैक्टर परेड में कुल 5000 ट्रैक्टर शामिल हो सकते हैं जबकि यह रैली दोपहर 12 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक निकाला जा सकता है।
लेकिन कोई नियम शर्त नहीं माना गया । दिल्ली पुलिस किसानों को आगे से मुड़ने के लिए कहा जा रहा है, हमारी संयुक्त किसान मोर्चा से बात चल रही है
लेकिन पुलिस नेे इस तरह अराजकता फैलाने की अनुमति क्यों दी, इस पर सबके मुंह सील गए हैं। सूत्रों ने दावा किया की दिल्ली पुलिस बैकफुट पर है और पुलिस को बल-प्रयोग इस्तेमाल करने की इजाजत नही है।