अर्चना कुमारी। दिल्ली दंगे में आइबी कर्मी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन समेत 11 लोगों के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने अपहरण, हत्या समेत कई धाराओं में आरोप तय कर दिए । अदालत का कहना है कि ताहिर हुसैन तथा अन्य आरोपी हिंदुओं को टारगेट किए हुए थे और इन लोगों ने अंकित शर्मा को मारा था। इस मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की भूमिका को भी कोर्ट ने तय कर दिया है ,जिसे हत्या में अहम माना गया है।
बताया जाता है कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ताहिर लगातार ऐसे काम कर रहा था जिससे इलाके में भीड़ को उकसाया जाए, साथ ही वह उन पर नज़र रख रहा था। अदालत का कहना है कि हिंदुओं को टारगेट करने के लिए उसने ये सब कुछ किया जबकि गौरतलब है कि इस मामले में ताहिर समेत 10 अन्य आरोपियों पर सेक्शन 147,148,153A, 302, 365, 120B, 149, 188 और आईपीसी की धारा 153A के तहत आरोप तय किए गए वहीं आप के पूर्व पार्षद पर सेक्शन 505, 109 और आईपीसी की धारा 114 के तहत भी चार्ज लगा। इसके अलावा बताया जाता है कि 2019 जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर समेत अन्य आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के मामले में दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा ।
पुलिस सूत्रों का कहना है दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी ।दिल्ली पुलिस ने कहा कि निचली अदालत ने जांच एजेंसी के खिलाफ टिप्पणियां पारित करके उसके क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है, टिप्पणी को हटाया जाना चहिये। अपने दलील के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कुछ वीडियो क्लिप चलाया और कहा कि अगर इस वीडियो क्लिप के आधार पर निचली अदालत उन छात्रों को बेगुनाह कह रही है तो हम उसका विरोध करते है। पुलिस ने कहा कि तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में घायलों का बयान है ,जिन्होंने आरोपियों की पहचान किया है। इसके जवाब में बहस करते हुए शरजील इमाम के वकील ने कहा कि कोई वीडियो या किसी गवाह का बयान मेरे खिलाफ नहीं है, मेरे खिलाफ चार्जशीट में एक शब्द भी नहीं है।
शरजील इमाम के वकील ने कहा कि उसके खिलाफ ऐसा कोई बयान नहीं है जो मेरे ऊपर आरोप को साबित करता हो।इसी बहस के दौरान सफूरा ज़रगर के वकील ने कहा कि जिस वीडियो क्लिप की बात दिल्ली पुलिस कर रही है ,उसमें मेरी पहचान उजागर नहीं है, आज तक पहचान उजागर नहीं हुई है, क्योंकि क्लिप में उस शख्स ने चेहरा ढाका हुआ है, मोबाइल सर्विलांस के CDR के आधार पर मेरे ऊपर आरोप नहीं लगाया जा सकता है, घटना स्थल से 3-4 किलोमीटर दूर मेरा घर है, सफूरा ज़रगर के वकील ने कहा कि 14 दिसंबर को की गई FIR में भी मेरा नहीं था,चार्जशीट में भी मेरा नाम शामिल नहीं है चार्जशीट सिर्फ मोहम्मद इल्यास के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया कि मामले में दूसरे छात्रों के खिलाफ भी जांच की जा रही है, किसी पुलिसवाले ने मेरी पहचान भी नहीं किया है।
बताया जाता है कि आरोपियों की तरफ से वकील ने कहा कि मेन चार्जशीट में 23 लोगो के स्टेटमेंट दर्ज है लेकिन किसी ने मेरे बारे में कुछ नहीं कहा, दंगे हुए इस लिए पुलिस कह रही है कि वह दंगाई थे और वहां पर गैरकानूनी जमावड़ा था, लेकिन पुलिस यह नहीं कह रही कि मेरे मौजूदगी में दंगा हुआ , मामले पर बताया जाता है कि जल्द हाई कोर्ट फैसला देगी