संदीप देव। ओशो की सस्ती कॉपी आचार्य (प्र)अशांत पर अभी केवल डेढ़ वीडियो किया है मैंने कि उसकी मार्केटिंग टीम गाली-गलौच वाले ट्रोलरों को मेरे विरुद्ध उतारने से लेकर जान से मारने की धमकी देने तक पर उतर आई है!
अध्यात्म की जगह मार्केटिंग की पैदाइश ऐसे गुरु के ऐसे चेले ही निकलते हैं! इनको भय होता है कि यदि सच खुल गया तो मार्केटिंग से जो भ्रम का साम्राज्य खड़ा किया है, उसे बिखरते देर नहीं लगेगी! इसीलिए इनकी असलियत समाज के समक्ष लाने वालों को यह पहले अपनी ट्रोल आर्मी से, फिर गालीबाजों से और फिर जान से मारने वालों से धमकी दिलवा कर खामोश करा देना चाहते हैं!
इन ‘पाइरेटेड अशांत’ के चेलों के कमेंट आप पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि इनको दिक्कत मनुस्मृति से है, इनको दिक्कत मूर्ति पूजा से है, इनको दिक्कत शास्त्रों की सही व्याख्या से, इनको दिक्कत गोबर-गौमूत्र से है, इनको दिक्कत पौराणिक आख्यानों से है, इनको दिक्कत है मेरे माथे पर टीका लगाने आदि से।




इनके ट्रोलरों की नजर में ओशो का साहित्य चुरा कर इनका गुरु ‘पाइरेटेड अशांत’ जो भी बोलता है, उसके अलावा ब्राह्मांड में सब कुछ झूठ है!!
इस ‘पाइरेटेड अशांत’, उसकी मार्केटिंग टीम और उसके ट्रोलर चेलों के लिए वेदांत, उपनिषद गीता आदि केवल मार्केटिंग के उपकरण हैं, अंतस की यात्रा नहीं।
इसके चेलों से मैंने केवल कुछ प्रश्न पूछे कि इनकी पूंछ में आग लग गई और ये जान से मारने की धमकी पर उतर आए!
और सच कहूं तो यह संगठित मार्केटिंग ट्रोलर हैं, जो तनख्वाह के लिए ओशो की सस्ती कॉपी (पाइरेटेड वर्जन) अपने अशांत गुरु को बचाने उतरे हैं। यदि गुरु को बचाना पड़े तो सोचो कि वह कितनी भुरभुरी जमीन पर खड़ा है। सत्य का एक हल्का धक्का इनको डरा रहा है।
तो पाइरेटेड अशांत की मार्केटिंग टीम और ट्रोलरों सुनो, मैं पत्रकार हूं। भेजो अपने गुरु ‘पाइरेटेड अशांत’ को मेरे चैनल पर। मैं साक्षात्कार लेता हूं उसका। प्याज के छिलके की तरह न उघाड़ दिया तो कहना!
१) वेदांत का मूल सिद्धांत है, “ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः”
अर्थात:- ब्रह्म ही सत्य है, बाकी जगत मिथ्या है और जीव ही ब्रह्म है।
यदि इस ‘पाइरेटेड अशांत’ को वेदांत का ‘व’ तक पता होता तो फिर ब्रह्म को छोड़ कर यह भौतिक दुनिया (शंकर का मायावाद) की डिग्री प्रदर्शित करता हुआ क्यों घूम रहा है? देखा है किसी आध्यात्मिक गुरु या व्यक्ति को अपनी भौतिक दुनिया की डिग्री प्रदर्शित करते हुए?
२) ओशो के तत्व को नहीं, उदाहरण तक चुरा कर वह बोलता है। वह एक साहित्यिक चोरी है। ओशो की सस्ती कॉपी सही तो कहा है मैंने। दोनों की पुस्तकों का एक-एक पन्ना खोलकर एक्सपोज करूंगा ऐसे चोरों को।
३) योग वशिष्ठ कहते हैं, मन का विकार शरीर से प्रकट होता है। तेरा अशांत गुरु इतना अधिक तनाव में रहता है कि पैर और शरीर हिलाए बिना बोल ही नहीं सकता। जो स्वयं तनाव में है, वह दूसरों को मोटिवेशनल स्पीच देता है, इससे अधिक और क्या मजाक होगा!
४) अध्यात्म की यात्रा आंतरिक है और वह जो अनुभूति है, उसके लिए PR team और मार्केटिंग टीम की जरूरत नहीं पड़ती! वह स्वयं प्रकाशित होता है। बुद्ध को पी आर टीम नहीं बनानी पड़ी थी, जैसा तेरे ‘पाइरेटेड अशांत’ ने बना रखा है!
५) लोगों को फोन कर धमकाते हुए चंदा मांगती है ‘पाइरेटेड अशांत’ की टीम! अभी वह भी एक्सपोज करूंगा।
धर्म पथ पर चलने वाले को एक ही जगह से बार-बार दान लेने की मनाही है और तेरा गुरु एक ही व्यक्ति से बार-बार और दबाव बनाकर चंदा मांगता है।
६) पर्यावरण की बात करने वाला पहले स्वयं का AC क्यों नहीं छोड़ता। वो कथा सुनी है न कि एक गुरु को एक बच्चे का मीठा छुड़ाने के लिए स्वयं मीठा खाना छोड़ना पड़ा था।
७) अध्यात्म की यात्रा मन को शांत बनाता है और तेरा पाइरेटेड अशांत तू..तड़ाक..की भाषा बोलता है, जो दर्शाता है कि वह मन से कितना विचलित है। वैसे ‘तुम’ का संबोधन तक उसने ओशो से नकल करके चुराया है।
India Speaks Daily चैनल देखते रहिए, इस ‘पाइरेटेड अशांत’ और इनके सारे टाक्सिक चेलों की बखिया कैसे उधेड़ता हूं फैक्ट और शास्त्र के साथ कि यह भी क्या याद रखेंगे कि एक सही पत्रकार से पाला पड़ गया है! अभी तक ‘स्टेज्ड’ साक्षात्कार ही देता रहा है न, अब होगा इसका असली साक्षात्कार!