अर्चना कुमारी। दिल्ली से अमेरिका में ठगी की गई । इतना ही नहीं सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया। हरा टिड्डा का ठगने का नया तरीका ऐसा कि पुलिस को लंबे समय तक भनक तक नहीं मिल पाई लेकिन अब पुलिस ने 26 लोगों को फर्जी कॉल सेंटर चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया । दरअसल दक्षिणी दिल्ली जिला पुलिस ने दिल्ली में बैठकर अमेरिका के लोगों से ठगी करने वाले पांच महिला सहित 26 लोगों धर दबोचा।
पुलिस का कहना है कि आरोपी फतेहपुर बेरी के सुल्तानपुर गांव में फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे। इस कॉल सेंटर के मालिक ने ज्यादात्तर लोगों को सैलरी पर रखा हुआ था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 29 कंप्यूटर, 3 सर्वर, 2 इंटरनेट स्वीचर, 2 मार्डम और मोबाइल फोन बरामद किए । पुलिस ने इस मामले में कॉल सेंटर के मालिक कयूम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है लेकिन वह अब तक फरार है ।
पुलिस का कहना है कि सुल्तानुपर के मंडी रोड पर फर्जी कॉल सेंटर चलाने की सूचना मिली। इस जानकारी के बाद पुलिस टीम ने एक इमारत में छापा मारा। इमारत के प्रथम तल पर कॉल सेंटर में कंप्यूटर व अन्य ऐससरीज थी। कंप्यूटर और इंटरनेट की मदद से कॉल सेंटर में बैठे हुए कर्मचारी अमेरिका के लोगों से ठगी कर रहे थे ।
आरोपी उन्हें मैसेज भेजते थे कि उनका अमेजन अकाउंट हैक हो गया है। इस मैसेज को देखने के बाद जो व्यक्ति आरोपियों को फोन करता था। जिसके बाद आरोपी एनी डेस्क ऐप या फिर इस जैसे अन्य ऐप को पीड़ितों के फोन में डाउनलोड़ करवाकर उनके अकाउंट को रिपेयर करने का झांसा देते थे। झांसे में लेने के बाद आरोपी अमेजन गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए कहते ।
गिफ्ट कार्ड को रिडीम करने के दौरान पीड़ितों की जानकारी जुटाकर उनके अकाउंट से पैसे निकाल कर उनके नम्बर को ब्लॉक करते थे। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने पिछले 7 माह में अमेरिका के 1250 से ज्यादा लोगों को ठगी का शिकार बनाया । आरोपियों ने सात माह पहले यह फर्जी कॉल सेंटर शुरू किया था।
कॉल सेंटर शुरू करने के बाद उन्होंने एक लक्ष्य रखा कि रोज 10/12 अमेरिका के नागरिकों को अपना शिकार बनाएंगे। ऐसे में उन्होंने अभी तक 1250 से ज्यादा लोगों से करीब 4 करोड़ रुपए की ठगी की । कॉल सेंटर के मालिक कयूम ने सैलरी पर विदेशियों से बात करने के लिए कई कर्मचारियों को रखा हुआ था।
आरोपियों ने लोगों को नौकरी पर रखने से पहले ऐसे लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, जिन्हें अंग्रेजी बोलनी आती हो। यहां काम करने वाले लोगों को 25 हजार से 1 लाख तक सैलरी दी जा रही थी। आरोपियों वीओआईपी कॉलिंग के लिए अवैध तकनीक अपना रहे थे। उन्होंने वैध लीगल इंटरनेशनल डिस्टेंस (आईएलडी) को बायपास किया था। जिससे वह केन्द्र सरकार को भी करोड़ों का चूना लगा ।