सुप्रीम कोर्ट ने जब से प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी राजेश्वर सिंह को 2जी स्कैम और एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले का जांच अधिकारी बनाया है तब से पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके गिरोह में शामिल उनके मित्र अधिकारियों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया है। उन्हें फंसाने के षड्यंत्र में शामिल ये लोग सालों से उनका पीछा कर रहे हैं। यहां तक कि भाजपा की सरकार आने के बाद भी चिदंबरम गिरोह ने राजेश्वर सिंह का पीछा नहीं छोड़ा है। एक बार फिर पी चिदंबरम के बेनामी पेटिसनर ने राजेश्वर सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वही पुराने घिसे-पिटे आरोपों में उलटफेर कर अर्जी दाखिल की है।
आरोप तो सारे पुराने हैं लेकिन इस बार उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देने वाला जनहित याचिका का कोई नया कार्यकर्ता है। इसने इस बार राजेश्वर सिंह के खिलाफ नया आरोप ये लगाया है कि वे देश की संप्रभुता के लिए खतरा हैं। खास बात ये है कि यह अर्जी उसी दिन दाखिल की गई जिस दिन राजेश्वर सिंह प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम से पूछताछ कर रहे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक तरफ राजेश्वर सिंह चिदंबरम से घोटाले को लेकर सवाल पूछ रहे थे, वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी चिदंबरम की ओर से बैटिंग कर रहे थे। यही वह अधिकारी है जिन्होंने इस बार नयी याचिका दाखिल की है।
चिदंबरम गिरोह की सारी करतूतों के बारे में जानकारी होने के बावजूद वर्तमान सरकार राजेश्वर सिंह की प्रोन्नति में अड़ंगा लगाती रही है। जबकि सभी लोग जानते हैं कि राजेश्वर सिंह के खिलाफ चिदंबरम गिरोह ने सुप्रीम कोर्ट में झूठे केस दर्ज कराए हैं। मालूम हो कि उनके खिलाफ झूठे आरोप के तहत याचिका दाखिल करने वाला चिदंबरम का एक पुराना गुर्गा रहा पत्रकार उपेंद्र राय आज-कल तिहाड़ जेल में आराम फरमा रहे हैं। इस बार जिस सीबीआई अधिकारी ने सिंह के खिलाफ याचिका दायर की है वे पी चिदंबरम के लंबे समय से जासूस हैं।
उपेंद्र राय के जेल जाने के बाद पी चिदंबरम के के पक्ष में बेनामी पेटिसन डालने की जिम्मेदारी, अब इन्होंने ही संभाली है। 5 जून को राजेश्वर सिंह के खिलाफ जो याचिका दायर की गई है उसमें लगाए गए सारे आरोप पुराने हैं बस उसमें थोड़ा उलटफेर कर दिया गया है। लेकिन इस याचिका में उन्होंने राजेश्वर सिंह जैसे ईमानदार अधिकारी को देश की संप्रभुता के लिए खतरा बताया है जो कि एक गंभीर आरोप है। इतने बड़े आरोप लगाने के बाद भी सरकारी वकील सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह तथा यूपीए सरकार के समय नियुक्त किए गए आर बालासुब्रहमण्यम की चुप्पी साधना किसी रहस्य से परे नहीं है। आर बाला वकील बनने से पहले सेना के एक अधिकारी थे। उन्हें चिदंबरम का अच्छा दोस्त माना जाता है, फिर भी वे इस सरकार के पैनल में शामिल हैं। पी बाला जैसे वकीलों का सरकार के पैनल में होना यह दर्शाता है कि पी चिदंबरम का संजाल कितना मजबूत है।
शुरू में राजेश्वर सिंह पर यह आरोप लगाया था कि उनके पास हजारों करोड़ की संपत्ति है। जबकि सच्चाई तो ये है कि वे 2012 से सरकार से सर्विस केस लड़ रहे हैं। इसी कारण उनकी प्रोन्नति भी लटकी पड़ी है। सवाल उठता है कि अगर उनके पास हजारों करोड़ की संपत्ति होती तो फिर वे सरकार से अपनी नौकरी से संबंधित केस क्यों लड़ते? ऐसे ईमानदार अधिकारी के खिलाफ देश के लिए खतरा होने जैसा आरोप लगाना बिल्कुल बकवास है।
राजेश्वर सिंह के खिलाफ झूठा मामला पहली बार नहीं दर्ज कराया गया है। उनके खिलाफ चिदंबरम गिरोह साल 2010 से लगा हुआ है। उनके खिलाफ पहला झूठा मामला 2010 में तब दायर किया गया जब उन्होंने विवादास्पद लॉबिस्ट नीरा राडिया के खिलाफ समन जारी किया था। उसके पीछे कोई और नहीं बल्कि दागी सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत राय तथा उसके घनिष्ठ रहे उपेंद्र राय और सुबोध जैन ही थे। लेकिन साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना की चेतावनी देते ही सारे लोग भाग खड़े हुए। उस घटना के आठ साल बाद मार्च 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच छह महीने के अंदर निपटाने का आदेश दिया तो चिदंबरम गिरोह एक बार फिर सक्रिय हो गया। उसी गिरोह के उपेंद्र राय ने पुराने आरोप में घटाव-बढ़ाव कर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। लेकिन सीबीआई द्वारा गिरफ्तार होते ही उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली। इतना होने के बाद भी वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारी शक्ति कांत दास और हसमुख अधिया ने सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सर्विस केस की सुनवाई शुरू कराई, वहां पर भी दोनों को मुंह की खानी पड़ी।
पी चिदंबरम के खिलाफ जब कभी कोई जांच या उससे जुड़ा कोई मामला सामने आता है वह फौरन ही उस अधिकारी पर दबाव डालने के लिए किसी न किसी से झूठी याचिका दायर करवा देता है। राजेश्वर सिंह के साथ चिदंबरम ने इस बार भी वही चालाकी अपनाई है। लेकिन राजेश्वर सिंह न कभी झुके न कभी दबाव में आए। चिदंबरम और उनके परिवार की पूरी दुनिया में करोड़ो अरबों की संपत्ति के खुलासे के एवज में उन्होंने कई दुश्मन बना लिए। पी चिदंबरम के पुराने नजदीकी रहे अरुण जेटली ने भी राजेश्वर सिंह की अभी तक कोई मदद नहीं की है। चार सालों में वित्त मंत्रालय में कितने अधिकारी आए और गए। लेकिन राजेश्वर सिंह की प्रोन्नति अभी तक क्यों नहीं मिली? स्पष्ट है कि अरुण जेटली पी चिदंबरम की राह पर चल रहे हैं।
पी गुरु ने अपनी अंग्रेजी वेबसाइट में प्रकाशित स्टोरी में लिखा है कि किस प्रकार सीबीआई के विवादित रहे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का यूसीएम घोषित उपेंद्र राय से काफी बेहतर ताल्लुक रहे हैं। मालूम हो कि राय पिछले तीन सालों से सीबीआई की यूसीएम सूची में सूचिबद्ध है। इसमें वे व्यक्ति होते हैं जिनके संपर्क में रहना एक प्रकार का अपराध माना जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर विशेष सीबीआई निदेशक राकेश अस्थाना तीन सालों से यूसीएम लिस्टेड उपेंद्र राय के संपर्क में कैसे रहे? सीबीआई का कोई विशेष निदेशक कैसे किसी यूसीएम लिस्टेड व्यक्ति के साथ संपर्क में रह सकता है?
राकेश अस्थाना पर एयरसेल-मैक्सिस जांच मामले को प्रभावित कर चिदंबरम तथा स्टर्लिंग बायोटेक डायरी से अहमद पटेल को बचाने का आरोप लग रहा है। स्टर्लिंग बायोटेक की डायरी में तो राकेश अस्थाना का भी नाम शामिल है। आरोप है कि उन्होंने अहमद पटेल के नजदीकी किसी व्यवसायी से 3.8 करोड़ रुपये लिए है। हाल ही में दायर एफआईआर में सीबीआई ने आयकर विभाग के अधिकारियों को रिश्वत बांटने की भूमिका के तहत अहमद पटेल के दामाद इरफान सिद्दीकी का नाम दर्ज किया है। सवाल उठता है कि क्या राकेश अस्थाना भी दागी हो गए हैं? जबकि सच्चाई ये है कि सारे चोर एक ही जहाज में सवार हैं। एक सच्चाई तो यह भी है कि गुजरात कैडर के उस सीबीआई अधिकारी का कांग्रेस के अहमद पटेल से गुप्त रिश्ते ने वाकई में भ्रष्टाचार के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की कार्रवाई को चोट पहुंचाई है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट कर कहा है कि चिदंबरम गिरोह के चार अधिकारियों ने राजेश्वर सिंह जैसे ईमानदारी अधिकारियों की छवि खराब कर चिदंबरम के खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित करने में जुटे हैं।
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नोट: यह पूरी खबर https://www.pgurus.com/ पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर साभार लिखी गयी है। India speaks daily इसमें से किसी भी तथ्य की पुष्टि का दावा नहीं करता है।
URL: Chidambaram and Gang once again filed a false petition against ED officer Rajeshwar Singh in Supreme Court
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