पी. चिदंबरम की फैक्ट्री से निकले थे दो चेले, दोनों महाभ्रष्टाचारी और दोनों ने किया जेल की सैर! पी. चिदंबरम का एक चेला उनका बेटा कार्ति चिदंबरम ही है और दूसरा सुब्रत राय सहारा का राइट हैंड रह चुका पत्रकार उपेंद्र राय! उपेंद्र राय पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का स्थायी बिचौलिया या बेनामी आवेदक ही नहीं बल्कि एक बड़ा राजदार भी रहा है। तभी तो जिस प्रकार के फर्जी कंपनी के सहारे छद्म रूप से हवाला के पैसों को ह्वाइट करने में उपेंद्र राय की संलिप्तता उजागर हुई है, ठीक उसी प्रकार के काम के लिए कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी हो चुकी है! अभी बहरहाल कार्ति चिदंबरम बेल पर बाहर है। तभी तो कहा जाता है कि पी चिदंबरम ने अपने अर्थतंत्र के स्कूल में इन दो चेलों को तैयार किया था!
जिस प्रकार पी चिदंबरम का बेटा कार्ति चिदंबरम परामर्श देने के लिए शैम कंसलटेंसी कंपनी के नाम पर विभिन्न कंपनियों से पैसा लेता था, उसी प्रकार उपेन्द्र राय अपनी फर्जी कंपनी के माध्यम से अन्य कंपनियों से पैसा लेता था। आइएनएक्स मीडिया से रिश्वत लेने के आरोप में ही तो सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार किया था।
मुख्य बिंदु
* कार्ति चिदंबरम जैसा एक सामान्य व्यक्ति कैसे किसी मीडिया कंपनी को परामर्श देने का काम कर सकता है?
* काली करतूतों को अंजाम देने के लिए करीब 24 कंपनियों का संचालन कर रह है पत्रकार उपेंद्र राय
* महज तीन सालों में उपेंद्र ने कैसे 19 बैंकों से हाउसिंग लोन लिया और एक से दो सालों में सारा कर्ज चुका भी दिया?
विश्वस्त सूत्रों के हवाले से पीगुरु वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली स्थित सत्ता के केंद्र में अपने काले कारनामे को फैलाने के लिए ही उपेंद्र राय करीब 24 फर्जी कंपनी को संचालित कर रहा था। हालांकि इसकी पुष्टि ना तो पीगुरु ने की है ना ही इंडिया स्पीक्स डेली कर रहा है। लेकिन इसकी सच्चाई जानने की प्रक्रिया जारी है।
कुछ सालों से जिस प्रकार कार्ति चिदंबरम और उपेंद्र राय कार्य कर रहे हैं इसमें कोई राय नहीं कि दोनों के कार्यों में अस्वाभाविक समानता है। वित्त मंत्रालय में जांच एजेंसियों द्वारा की गई जांच के अनुसार दोनों के रिश्वत लेने के लक्षण एक जैसे हैं। कार्ति चिदंबरम ने कई कंपनियों से कंसलटेंसी फी के रूप में पैसे लिए हैं। अब यहीं एक सबसे महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि बिना किसी औपचारिक योग्यता के कार्ति जैसा सामान्य व्यक्ति कैसे किसी मीडिया कंपनी या अन्य कंपनियों को परामर्श दे सकता है?
बाद में इसी रास्ते पर उपेंद्र राय ने भी आगे बढ़ने का फैसला किया। उसने भी अपनी ही आवरण कंपनियों से परामर्श देने का एग्रीमेंट किया। जबकि पीआईबी एक्रेडिएटेड पत्रकार होने के नाते वे ऐसा नहीं कर सकते थे। कार्ति को तो फिर भी फीस इसलिए मिल जाती थी क्योंकि उसके पिता देश के वित्त मंत्री थे। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर उपेंद्र राय को क्यों उसकी अपनी ही आवरण कंपनी पैसे दे रही है। इसलिए इस सवाल का जवाब जानना जरूरी है कि आखिर उन दोनों को सुरक्षा और संरक्षण देने वाला सरकार में कौन है? उसे कोई आवरण कंपनी पैसे क्यों देती है? आखिर कैसे घाटे में चल रही व्हाइट लायन रियल इस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी 16 करोड़ रुपये जैसे भारी भड़कम फीस का उसे भुगतान कर रही है ?
सबसे खास और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 2014 से लेकर मार्च 2017 के बीच में उपेंद्र राय ने 19 हाउसिंग लोन लिए थे। लेकिन इससे भी अधिक ताज्जुब की बात ये है के ये सारे लोन उन्होंने महज एक से दो साल के बीच में चुका दिए और सारे लोन क्लोज करवा लिए। इस पर तो जितने सवाल किए जाए कम है। कैसे कोई व्यक्ति महज तीन साल के अंदर 19 बार हाउसिंग लोन ले सकता है? और सारे लोन एक से दो साल में चुका भी देता है? अब जब धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने उपेंद्र राय को गिरफ्तार कर ही लिया है तो फिर उसे ये भी पता लगा लेना चाहिए कि उसे सुरक्षा और संरक्षण देने वाला वो शख्स आखिर है कौन?
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नोट: यह पूरी खबर https://www.pgurus.com/ पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर साभार लिखी गयी है। India speaks daily इसमें से किसी भी तथ्य की पुष्टि का दावा नहीं करता है।
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