विपुल रेगे। भारत में चीन के दखल को लेकर नया खुलासा हुआ है। एक स्टडी के अनुसार चीन अब भारतीय राजनीति के अलावा बॉलीवुड और शिक्षा संस्थानों में भी दखल दे रहा है। 76 पन्नों की इस स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने बॉलीवुड, विश्वविद्यालयों, सामाजिक संस्थानों, सोशल मीडिया और तकनीक उद्योग में अपना प्रभाव ज़माने के लिए बहुत पैसा खर्च किया है। Mapping Chinese Footprints and Influence Operation in India के शीर्षक से बनाई गई स्टडी रिपोर्ट कहती है कि चीन का ऐसा करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे के रुप में सामने आ सकता है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद हमें वह सारी जानकारियां रिकॉल करनी होगी, जो बॉलीवुड और चीन के व्यावसायिक संबंधों के बनने के बाद सामने आई थी। चीन भारत की फिल्मों को अपने यहाँ प्रदर्शित करने पर अच्छी-खासी सब्सिडी क्यों दे रहा है, इस बारे में भारत की सरकार को जानने की आवश्यकता है। मुझे इस स्टडी से एक फिल्म की याद आई। इस फिल्म का नाम था ‘ट्यूबलाइट।
फिल्म में दो चीन के पात्र दिखाए गए थे, जिनसे शुरुआत में लोग घृणा करते हैं लेकिन बाद में आत्मीय संबंध स्थापित हो जाते हैं। इस स्टडी रिपोर्ट के बाद मुझे ‘नीलम’ भी याद आई। नीलम वह चीनी महिला है, जो फेसबुक पर दिखाई देती है। नीलम अपनी पोस्टो में भारत और चीन के मधुर संबंध स्थापित करने पर बहुत ज़ोर देती है। आमिर खान को हम कैसे भूल जाए। विगत कुछ वर्षों से उनकी तक़रीबन हर फिल्म विश्व के अन्य देशों के साथ चीन में भी प्रदर्शित हुई है।
दिल्ली स्थित ‘Law and Society Alliance’ ने बहुत शोध करने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की है। 3 सितंबर को जारी की गई ये रिपोर्ट बताती है कि चीन अपना प्रभाव स्थापित करने के लिए कितने खतरनाक मंसूबे बनाकर बैठा है। रिपोर्ट में उन तत्वों और तरीकों की पहचान की गई है, जिसके द्वारा चीनी ख़ुफ़िया सेवा और कम्युनिस्ट पार्टी ने मनोरंजन उद्योग से लेकर शिक्षा संस्थानों तक अपनी पैठ बना ली है।
रिपोर्ट बताती है कि सन 2019 में बीजिंग शहर में ‘चाइना-इंडिया फिल्म को-ऑपरेशन डायलॉग’ आयोजित किया गया था। इस आयोजन में फिल्म निर्देशक कबीर खान और अभिनेता शाहरुख़ खान ने भी शिरकत की थी। स्टडी के अनुसार चीन पिछले कुछ वर्ष से भारतीय फिल्मों को सह-निर्माता बनकर निवेश का प्रयास कर रहा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भारतीय फिल्म उद्योग में घुसपैठ को लेकर लॉबिंग शुरु कर चुकी है, जो बहुत ही चिंताजनक है।
अब तक इन बातों को महत्वहीन मानते आए मंत्रियों की नींद अब खुल जाना चाहिए। पहले ही हिन्दी फिल्म उद्योग में पाकिस्तान की घुसपैठ ने हमारी संस्कृति को बुरी तरह प्रभावित किया है और अब चीनी घुसपैठ से कैसे निपटा जाएगा। स्टडी बताती है कि हमारी सरकार के चिंता करने से पूर्व ही चीन ने हिन्दी फिल्म उद्योग में मधुर संबंध स्थापित कर लिए हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण रणबीर कपूर की फिल्म ‘रॉक स्टार’ है।
इस फिल्म में स्वतंत्र तिब्बत का नारा लिखा झंडा चीन को पसंद नहीं आया चीन ने फिल्म “रॉकस्टार” के निर्माताओं को एक झंडे को धुंधला करने के लिए सफलतापूर्वक प्रभावित किया, जिस पर “फ्री तिब्बत” लिखा हुआ था, जिसे फिल्म के एक लोकप्रिय गीत में दिखाया गया था। उल्लेखनीय है कि ‘फ्री तिब्बत’ के नारे का चीन विरोध करता आया है।
यदि भारतीय सेंसर बोर्ड में चीनी घुसपैठ हो चुकी है तो मेरे विचार में इसे सूंघने में हमारी सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को बहुत देर हो चुकी है । अब सरकार को जाँच करना चाहिए कि जो भारतीय फिल्म चीन में भी प्रदर्शित हुई, उसके व्यावसायिक संबंधों का आधार क्या है। विगत कुछ वर्षों में चीन में ‘सीक्रेट सुपरस्टार, दंगल, हिन्दी मीडियम, बजरंगी भाईजान, हिचकी, ट्यूबलाइट प्रदर्शित हुई प्रमुख फ़िल्में हैं।
हम ध्यान से देखे तो बजरंगी भाईजान और ट्यूबलाइट में दूसरे देशों के समर्थन की बात कही गई है। हिन्दी फिल्म उद्योग गहरे संकट में है। एक ओर वह कोरोना काल के चलते अरबों की क्षति उठा चुका है तो दूसरी ओर चीन-पाकिस्तान के प्रभाव के चलते वह भारतीयता वाली फिल्मों पर काम करना बंद करता जा रहा है।
दर्शकों ने बॉलीवुड को मन से उतार दिया है। पचास हज़ार करोड़ से अधिक के हिन्दी फिल्म उद्योग की जड़ों में पड़ोसी देश मट्ठा डालने का काम शुरु कर चुके हैं। इस चौंकाने वाली स्टडी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद सरकार के माथे पर बल पड़ना अति आवश्यक हो गया है।