द हिंदू के चेयरमैन एन राम जिस प्रकार आज मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए राफेल डील के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर अपने अखबार द हिंदू में प्रकाशित कर उसे प्रचारित कर रहे हैं, यही खेल करीब 30 साल पहले भी उन्होंने खेला था। लेकिन वह खेल था बोफोर्स घोटाले में फंसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बचाने का। इससे साफ हो जाता है कि वह शुरू से गांधी परिवार की चाकरी करते आ रहे हैं। उन्होंने बोफोर्स घोटाले में गांधी परिवार को बचाने के लिए भी तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया था या फिर दबाने का प्रयास किया था। चित्रा सुब्रमनियम के मुख्य स्रोत रहे स्टेन लिंडस्ट्रॉम के मुताबिक एन राम ने अपने हित और सुविधा के अनुसार बोफोर्स घोटाले से जुड़े तथ्यों का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं बोफोर्स घोटाले के खुलासे का श्रेय लेने के लिए उन्होंने मानवीयता को भी तार-तार कर दिया। एन राम ने इसके लिए बोफोर्स घोटाले को उजागर करने वाली पत्रकार चित्रा सुब्रमनियम को उस समय हिंदू से निकाल दिया जब वह अपनी गर्वावस्था के अंतिम चरण में थी।
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एन राम के बारे में चित्रा सुब्रमनियम का कहना है कि जब पत्रकारिता में जिम्मेवादी लेने का समय था तब एन राम ने बोफोर्स घोटाले में अपनी भूमिका को लेकर झूठ बोला था। इतना ही नहीं चित्रा ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि द हिंदू ने बोफोर्स घोटाले के लिए तथ्यों का खोज करना तथा उसके खिलाफ स्टोरी छापना इसलिए बंद कर दिया क्यों कि उस समय राजीव गांधी की सरकार ने ऐसा करने का सीधे आदेश दिया था। यह तो जगजाहिर ही है कि एन राम तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गहरे दोस्तों में से एक हुआ करते थे। अपने दोस्त को बचाने के लिए एन राम ने पत्रकारिता को गिरवी रख दी थी।
गौरतलब है कि सन 1989 में पहली बार चित्रा सुब्रमनियम ने स्वीडिश रेडियो के हवाले से बोफोर्स घोटाले को उजागर किया था। वह उस समय दि हिंदू अखबार की स्ट्रिंगर थी और एन राम उस अखबार का संपादक थे। लेकिन बाद में जैसे ही स्वीडन के सेना प्रमुख मार्टिन आर्डबो की डायरी में राजीव गांधी के नाम आने की बात सामने आई एन राम ने सारे तथ्य छिपाने शुरू कर दिए। चित्रा सुब्रमनियम के मुताबिक उन्होंने उस स्टोरी पर कुंडली मार दी। जबकि चित्रा सुब्रमनियम का कहना है कि उसे पूरी डायरी नहीं दी गई, उस डायरी के कुछ पन्ने ही उसके हाथ लगे थे। उनका कहना है कि इस तथ्य को उजागर करने के लिए पूरी डायरी की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि राजीव गांधी का नाम पूरी डायरी में महज एक जगह लिखा हुआ था, और वह भी एक वाक्य में। लेकिन एन राम ने साक्ष्य का हवाला देते हुए उसे तत्काल दबा दिया था। जबकि बाद वही एन राम इस तथ्य का खुलासा किया था, लेकिन चित्रा सुब्रमिनियम के हिंदू से चले जाने के बाद।
इसका जिक्र चित्रा सुब्रमनियम ने मधु त्रेहान को दिए अपने साक्षात्कार में विस्तार से जिक्र किया है। उन्होंने अपने साक्षात्कार में बताया है कि किस प्रकार बोफोर्स घोटाले को उजागर करने के दौरान एन राम के साथ उनका दुराव हुआ।
चित्रा ने कहा है कि इसमे कोई दो राय नहीं कि एन राम ने स्टोरी लिखी थी, लेकिन इस तथ्य से भी सारे लोग अवगत है कि इस खुलासे के ड्राइविंग सीट पर कौन था। उन्होंने कहा कि एन राम के मुताबिक अगर यह टीम वर्क होता और उसके अनुरूप स्टोरी आगे बढ़ी होती तो मुझे स्टेट्समैन और इंडियन एक्सप्रेस नहीं जाना पड़ता।
एन राम ने तो पत्रकारिता के सिद्धांत को भी तार-तार कर दिया। कहा जाता है कि पत्रकारिता में कभी भी स्रोत का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन एन राम ने तो चित्रा सुब्रमनियम के मुख्य स्रोत का नाम भी मुखबिर के रूप में प्रचारित कर दिया। इस कारण उनके और उनके परिवार का जीवन भी खतरा में पड़ गया था।
इस बारे में स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्टॉर्म ने का कहना है कि द हिंदू महज एक संचार माध्यम बन कर रह गया है। उन्होंने कहा कि जब मैं एन राम से मिला तो मुझे निराशा हाथ लगी। क्योंकि बोफोर्स घोटाले के बारे में उपलब्ध दस्तावेज और तथ्यों को उन्होंने अपने हित और सुविधा के लिए उपयोग किया है। इसके लिए उन्होंने कभी दूसरे लोगों की कभी चिंता नहीं की। उनकी करतूत की वजह से मेरा नाम भारत में एक मुखबिर के रूप में प्रचारित कर दिया गया। जिससे मेरे परिवार पर खतरा मंडराने लगा।
एन राम शुरू से ही अपने हित के अनुरूप पत्रकारिता करते और कराते आ रहे हैं। यह महज बोफोर्स घोटाले के दौरान ही नहीं हुआ बल्कि आज भी वे यही कर रहे हैं। तथ्यों को छिपाकर या फिर उसके साथ छेड़छाड़ कर एक पक्ष को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। और उसे ही वे खोजी पत्रकारिता कहते हैं।
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