राहुल गांधी ने दिखा दिया कि देश के दलितों, आम लोगों को वोट के लिए ठगा तो जा सकता है, लेकिन उनकी तरह एक दिन भूखे पेट नहीं रहा जा सकता! राहुल गांधी की शाही सोच ने गांधी के उपवास रूपी अस्त्र को आज पूरी तरह उपहास बना डाला!
कांग्रेस ने कथित रूप से देश में हो रहे दलित अत्याचार और सांप्रदायिक विभाजन के विरोध में सोमवार-9 April 2018 को राजघाट पर अपने ‘राजा’ राहुल गांधी के उपवास का कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन सच तो यह है कि राहुल और उनकी वंशवादी-राजघराने की सोच रखने वाली युवा ब्रिगेड छोटा-भटूरा खाकर, डकार लेकर उपवास पर बैठने चली आयी थी! इसका खुलासा उन तस्वीरों से हुआ, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। राहुल का उपवास केवल तीन घंटे चला। खबर तो यह भी है कि राहुल गांधी को दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक उपवास करना था, लेकिन वह 2 बजे ही उठकर चले गये। आखिर ‘राजा’ घंटे भर भी भूखा कैसे रह सकता है?
दूसरी तरफ उनकी पार्टी के तथाकथित युवा नेता-अजय माकन, अरविंद सिंह लवली, हारुन यूसुफ आदि जैनाराम छोला-भटूरा वाले के यहां भरपेट छोला-भटूरा खाते हुए पकड़े गये, जबकि आयोजन में सामूहिक उपवास की घोषणा की गई थी। कांग्रेस के इन अहंकारी नेताओं की राजशाही सोच देखिए कि भूखे कार्यकर्ताओं को सुबह 8 बजे से राजघाट पर जमा कर रखा था, और खुद उनके युवराज राहुल गांधी डकार लेते हुए दोपहर में पहुंचे! राहुल निर्धारित तीन घंटे तक भी उपवास पर नहीं बैठे और चलते बने!
यही नहीं, सिखों का नरसंहार करने के आरोपी पूर्व कांग्रेसी सांसद सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर जैसे नेता भी सांप्रदायिक सौहार्द्र के नाम पर किए जा रहे इस उपवास रूपी नाटक में मौजूद थे! गांधी की आत्मा को राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने उनकी ही समाधि स्थल पर एक तरह से कुचल कर रख दिया! 1984-दंगा पीडि़त महिलाओं ने रिपब्लिक चैनल से बात करते हुए कहा, ‘राहुल गांधी ने कहा हम देश में शांति स्थापित करने के लिए उपवास करेंगे, इसलिए खूनियों आओे हम दावत करें!’
ताज्जुब है कि ऐसे नेता को कांग्रेस समर्थक देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं? गुलाम मानसिकता के लोग तो ऐसे नेता को मालिक मान सकती है, लेकिन इस देश की आजाद जनता ऐसे सामंती सोच वाले नेता को शायद ही स्वीकार करे!
गूची का जूता पहने वाले राजीव गांधी, ठीक से देश की भाषा तक न बोल सकने वाली सोनिया गांधी और चुनाव-दर-चुनाव फेल होते उनके लाड़ले राहुल गांधी की इस राजशाही ने गांधी और उनके उपवास के अस्त्र को राजघाट पर पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया! और वह भी तब, जब इस परिवार को जनता की आंख में धूल झोंकने के लिए इसी ‘गांधी’ नाम का सहारा है!
ज्ञात हो कि जिस दलित उत्पीड़न के लिए राहुल गांधी उपवास रखने का नाटक कर रहे थे, उन दलितों का 42 साल तक उत्पीड़न उनके ही परिवार के शासन में, उनके ही लोगों ने किया है। यही नहीं, दलितों के उत्पीड़ने के नाम पर देश भर में अराजकता फैलाने का आरोप उन्हीं की पार्टी और उनके सहयोगी दलों पर है! 2 अप्रैल-2018 को भारत बंद के दौरान देश भर में अराजकता फैलाने वालों को कांग्रेस कानूनी मदद भी देने का ऐलान कर चुकी है! चुनाव जीतने के लिए विदेशी एजेंसी- Cambridge Analitica की सेवा लेने के बाद कांग्रेस देश तोड़ने के अभियान पर निकल चुकी है!
नरेंद्र मोदी ने 2014 में हिंदुओं को जोड़ कर चुनाव जीता था, तो अंग्रेजों की बनाई कांग्रेस उसी के रास्ते पर चलकर 2019 को हिंदुओं को बांटकर जीतना चाहती है! इसीलिए देश के अलग-अलग हिस्से में दलित, पटेल, जाट, गूजर, लिंगायत आदि को भड़कर कर, उन्हें हिंदू समाज से तोड़ कर सत्ता की राजनीति राहुल गांधी कर रहे हैं। इसी राजनीति को चमकाने के लिए उन्होंने उपवास का खेल खेला था, लेकिन वह कहते हैं न कि ‘झूठ के पैर नहीं होते’! राहुल गांधी उपवास आदि आपके वश की बात नहीं, आप तो बस देश जलाओ! इसी में आपके खानदान को महारत हासिल है!
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