एकम् सनातन भारत को चुन लो
कुत्ते की मौत मारता राक्षस , राक्षस है जो भ्रष्टाचार ;
जंगलराज चल रहा पूरा , कितनी नाकारा सरकार ?
जान ,मान ,सम्मान लुट रहा , हिंदू की जान फालतू है ;
केवल गुंडों की मौज यहाँ पर , नेता अफसर तो पालतू है ।
लोकतंत्र के कौन हैं दुश्मन ? नाकारापन व भ्रष्टाचार ;
नाकारा कितनी सरकारें ? रोक न पायें अत्याचार ।
नाकारा नेता व अफसर और साथ में उनके गुंडे ;
हिंदू – जनता को लूट-लूट कर , सारे हो गये हैं मुस्तंडे ।
दिन दूना व रात चौगुना , टैक्स बढ़ाते रहते हैं ;
फिर भी नहीं सुरक्षा कोई , गले कटाके मरते हैं ।
हिंदू तो बलि का बकरा है , राज्य व गुंडे काट रहे हैं ;
देशद्रोहियों की बन आयी , वे तो चांदी काट रहे हैं ।
बहुत सहा हिंदू ने अब तक , अब तो जान भी जाती है ;
अब तो नींद से जागो हिंदू ! “एकम्-सभा” जगाती है ।
“एकम् सनातन भारत” है ये , मानवता को बचायेगा ;
जितने खतरे हिंदू – जीवन पर , उनसे यही बचायेगा ।
हिंदू – मंदिर को मुक्त करेगा , हिंदू आजादी पायेगा ;
सर्वश्रेष्ठ-कानून बनाकर , कानून का शासन लायेगा ।
देशद्रोह का दंड मृत्यु है , भ्रष्टाचार भी वैसा है ;
भ्रष्टाचारी लटके फाँसी पर , धरा रहे उनका पैसा है ।
भ्रष्टाचार का रोग भयानक , एकदम कैंसर जैसा है ;
वैसा ही इलाज करना है , जो भी रोगी जैसा है ।
“एकम् सनातन भारत” का प्रण , गुंडे न बच पायेंगे ;
महाभ्रष्ट नेता व अफसर , अपने अंजाम को पायेंगे ।
घड़ा भर चुका पाप का पूरा,”एकम्-सभा” उसको फोड़ेगी ;
ताकतवर कितना अपराधी ? एक भी नहीं छोड़ेगी ।
अच्छा है सीधे हो जाओ , सही – राह पर आ जाओ ;
वरना तय है सजा भुगतना वा फाँसी पर चढ़ जाओ ।
चेतावनी अंतिम ही समझो , कान खोल कर सब सुन लो ;
अभी भी मौका देश से भागो या फिर सही राह चुन लो ।
अब लौं नसानी अब न नसाओ , अब तो अच्छे काम करो ;
धर्म-सनातन राह दिखाता , अपना जीवन सफल करो ।
धर्म का जीवन सर्वश्रेष्ठ है , सारा दुख-दर्द चला जायेगा ;
एकम् सनातन भारत को चुन लो,रामराज्य भी आ जायेगा ।