शास्त्री की मौत को लेकर हाल-फिलहाल तीन गंभीर प्रयास किए गये हैं। पहला, केंद्रीय सूचना आयोग ने शास्त्री जी के अंतिम संस्कार और पोस्टमार्टम के बारे में जानकारी मांगने को सही बताते हुए इसे सूचना के अधिकार के तहत अनुरोध करने का आदेश दिया है। दूसरा, लेखक अनुज धर ने ‘Your Prime Minister is Dead’ के जरिए कई अन सुलझे प्रयास को सुलझाने का प्रयास किया है, और तीसरा, फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ‘ताशकंद फाइल’ फिल्म लेकर आ रहे हैं।
उम्मीद की जानी चाहिए कि लालबहादुर शास्त्री और उनके परिवार को दशकों बाद साथ न्याय मिले और देश की जनता को अपने एक ईमानदार और मजबूत प्रधानमंत्री की मौत का वह राज पता चले, जिसे भारत की सियासत ने दफन कर रखा है।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के 52 साल गुजर गए हैं लेकिन आज तक उनकी मौत पर रहस्य कायम है। आज भी उनके समर्थक और संबंधी उनकी मौत की असली वजह जानने का इंतजार कर रहे हैं। शास्त्री की मौत को लेकर अब केंद्रीय सूचना आयोग ने पहल की है। केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री के अंतिम संस्कार और पोस्टमार्टम के बारे में जानकारी मांगने को सही बताते हुए इसे सूचना के अधिकार के तहत अनुरोध करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने शास्त्री की मौत पर क्लासीफाइड पेपर को प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के समक्ष रखने का आदेश दिया है। इसके साथ ही दोनों से इस मामले पर ध्यान देने का अनुरोध किया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने इस मामले में अब तक हुई कार्यवाही को संदेहास्पद बताया है।
मुख्य बिंदु
* सीआईसी ने आदेश दिया है कि शास्त्री की मौत पर “क्लासीफाइड पेपर” प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के समक्ष रखा जाना चाहिए
* सीआईसी ने शास्त्री के अंतिम संस्कार तथा पोस्टमार्टम के बारे में जानकारी मांगने को सूचना के अधिकार के तहत मान्य बताया
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन हो गया था। 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध को खत्म करने को लेकर ताशकंद में समझौता हुआ था। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ हीं घंटों बाद शास्त्री जी का निधन हो गया था। ताशकंद अभी उजवेकिस्तान की राजधानी है लेकिन उस समय सोवियत संघ का एक शहर हुआ करता था। उस समय उनकी मौत की वजह हृदयाघात बताया गया। लेकिन उनके पारिवारिक सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उनकी जहर देकर हत्या की गई। उनकी मौत पर उस समय भी प्रश्न उठाए गए थे। उनकी मौत के बाद जिस प्रकार उनके डॉक्टर और उनके निजी सहायक की मौत हुई उससे उनकी मौत पर रहस्य और गहराता चला गया। बाद में उनकी मौत को लेकर हुई जांच से रहस्य और गहराता चला गया।
दूसरी तरफ नेताजी सुभाषचंद्र बोस की रहस्यमई मृत्यु को तीन-तीन पुस्तक लिखकर डी-कोड करने वाले लेखक अनुज धर की पुस्तक ‘Your Prime Minister is dead’ भी शास्त्री जी की मौत पर नये खुलासे करती है। वितस्ता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक आने से पहले ही प्री-बुकिंग के रिकार्ड तोड़ रही है। अनुज धर की शोध पर मशहूर फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री भी जल्द ही ‘ताशकंद फाइल’ नामक फिल्म लेकर आ रहे हैं। उम्मीद करते हैं इन सभी प्रयासों से शास्त्री जी की मौत पर दशकों से पड़ा पर्दा उठाने में मदद मिलेगी।
शास्त्री की मौत को लेकर उठे गंभीर सवाल, जांच पर संदेह तथा दस्तावेज के गुम जाने को देखते हुए ही केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी, विदेश मंत्रालय तथा गृहमंत्रालय को शास्त्री की मौत पर सारे क्लासीफाइड पेपर प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के सामने पेश करने का आदेश दिया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने सोमवार को दिए अपने फैसले में शास्त्री की मौत के बारे में जानने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में प्रस्तावित किया है। सीईसी ने शास्त्री की मौत पर छाये रहस्य को हटाने के लिए फिर से जांच करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि जांच में यह साबित हो चुका है कि उनकी मौत हृदयाघात हुई थी तो फिर जांच एजेंसी को लोगों के उनकी मौत पर उठने वाले संदेह के बारे में जवाब देना चाहिए। अपने आदेश में सीईसी ने कैबिनेट सचिव को भी शास्त्री की मौत पर जारी 11 पृष्ठ के उस दस्तावेज को भी सार्वजनिक करने को कहा है, जो एक सीलबंद लिफाफे में मिली थी।
केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि वह देशवासियों को बताए कि आखिर देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत कैसे और क्यों हुई थी? उन्होंने इस मामले को लेकर देश की संसद में सुरक्षित दस्तावेज के गुम जाने पर संदेह जताया है साथ ही आगे से इस प्रकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज को सहेज कर रखने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि शास्त्री की मौत से जुड़े संसदीय दस्तावेज गुम हो जाने की बात कही गई थी।
URL: CIC ordered to investigate again mysterious death of Lal Bahudur Shastri
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