किसी भी कोर्ट में जनहित याचिका दायर करना किसी भी व्यक्ति का न्याय संगत और लोकतांत्रिक अधिकार है। ऐसे में क्या किसी को जनहित याचिका दायर करने से रोकने और प्रतिबंधित करने की धमकी देना न्यायपालिका के लिए सही है? लेकिन सुप्रीम कोर्ट में यही होने लगा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने वरिष्ठ वकील तथा भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर न करने की धमकी दी है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि अगर जनहित याचिका दायर करना नहीं रुका तो वे उन पर प्रतिबंध लगा देंगे।
मुख्य बिंदु
* अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका फर फटकार लेकिन प्रशांत भूषण की ” मोदी विरोधी याचिका” पर पुचकार
* सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश का यह बर्ताव देश की न्यायपालिका के लिए खतरा नहीं है
गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने राजनीतिक दलों के लिए डोनेशन की सीमा तय करने के लिए एक दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई तथा जस्टिस एसके कौल कर रहे थे। सुनवाई के दौरान ही न्यायमूर्ति रंजन गोगोई उपाध्याय की जनहित याचिकाओं की संख्या को देखते हुए उनसे क्रुद्ध दिख रहे थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि अगर आप जनहित याचिका दायर करना बंद नहीं करेंगे तो हम आपको बैन करने पर विचार करना शुरू कर देंगे। यह कहते हुए कोर्ट ने उपाध्याय की
याचिका खारिज कर दी।
Isnt this Sheer Hypocrisy of Milords?
CJI Gogoi threatens BJP Lawyer Ashwani Upadhyaya 2 stop filing PILs or he will ban him!
Wow!
What about Prashant Bushan who does nothing but file PILs? That's acceptable to Milords because they r anti Hindu& anti modi?https://t.co/PqvpjBrY8p
— ऋतु राठौर (सत्यसाधक) (@RituRathaur) November 13, 2018
देश की सर्वोच्च अदालत एक ही काम के लिए दो व्यक्तियों के साथ भेदभाव कैसे कर सकती है? यह वही सुप्रीम कोर्ट है जहां प्रशांत भूषण जैसे वकील रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने देने के लिए जनहित याचिका दायर करता है और उसकी सुनवाई भी होती है। यहां तक देश और हिंदुओं को अपमानित करने के लिए तक जनहित के नाम याचिकाएं सुनी जाती रही हैं। लेकिन जब अश्विनी उपाध्याय जैसे वकील राजनीतिक डोनेशन जैसे ज्वलंत और आम लोगों से जुड़े मुद्दे को लेकर जनहित याचिका दायर करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश उनपर बैन लगाने की धमकी देते हैं। क्या इससे न्यायपालिका पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगेगा?
सुप्रीम कोर्ट की वास्तविकता की पड़ताल अब जरूरी
इधर जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के जज मामले की सुनवाई कर रहे हैं उससे कई सवाल खड़े होने लगे हैं। कई लोगों ने तो सुप्रीम कोर्ट के जजों की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट की मनमानी सुनवाई के कारण ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और आदित्य बिड़ला की जीवनी लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रहे मिन्हाज मर्चेंट ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सवाल उठाया है। मर्चेंट टाइम्स ऑफ इंडिया से लेकर इंडियन एक्सप्रेस तक में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार के साथ एक बड़े लेखक भी हैं।
Odd that CJI berates #CVC for one hour’s delay in submitting report on #CBI director #AlokVerma when SC adjourns hearings for months & years & has decades of backlog. Reality check needed.
— Minhaz Merchant (@MinhazMerchant) November 13, 2018
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि कितना अजीब है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर रिपोर्ट जमा करने में एक घंटे की देरी होने पर सीवीसी को झाड़ पिला दी। जबकि सुप्रीम कोर्ट खुद ही सुनवाई को महीनों सालों टालता रहता है। इतना ही नहीं कई मामले तो दशकों से लटके पड़े हैं। मर्चेंट ने लिखा है कि ऐसे में वास्तविक स्तिथि की जांच की शख्त जरूरत है।
URL: CJI Ranjan Gogoi told senior advocate Ashwani Upadhyay, Stop your PIL, otherwise you will ban
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