देश के सबसे बड़े घोटालों में शुमार कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने भ्रष्टाचार तथा आपराधिक षड्यंत्र के तहत पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को दोषी ठहराया है। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल स्थित वीएमपीएल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं को लेकर 2012 के सितंबर में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। अदालत के इस निर्णय से लेकर सीबीआई की जांच तक पर कई सवाल उठने लगे हैं।
मुख्य बिंदु
* सवाल-1 : जिस कोयला घोटाले को लेकर मंत्रीलय के पूर्व सचिव दोषी हो सकता है उसका मंत्री निर्दोष कैसे हो सकता है?
* सवाल-2: स्पेशल सीबीआई कोर्ट द्वारा जारी समन पर मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को सुप्रीम कोर्ट के बेंच से राहत क्यों ?
* सवाल-3: कोर्ट में हाजिर होने से बचने के लिए मनमोहन सिंह द्वारा अनंत समय तक स्टे लेने के बारे में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को क्यों नहीं बताया?
जिस कोयला घोटाले को लेकर पूर्व कोयला सचिव को दोषी ठहराया गया है, उसी मामले में तत्कालीन कोयला मंत्री तथा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भी जुड़ा था। अब सवाल उठता है कि जिस कोयला घोटाला मामले में विभाग के तत्कालीन सचिव को दोषी ठहराया है उसी मामले में उस विभाग के मंत्री निर्दोष कैसे हो सकता है? जबकि कोयला ब्लॉक आवंटन की फाइल पर अंतिम हस्ताक्षर मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह का हुआ था।
Strange that Coal Secretary
is found " Guilty " ?
But the Coal Minister ( Manmohan Singh !) who gave the final sanction on file is " Honest " ?
" अंधेर नगरी , चौपट राजा " ! https://t.co/UR1IB9r5v2
— DHIROBHAI@dkv1949 (@dkv1949) November 30, 2018
तभी तो पूर्व बैंक अधिकारी तथा समाजसेवी और स्वतंत्र विचारक धिरेंद्र धिरूभाई ने ट्वीट कर अदालत के फैसले को अचंभित करने वाला बताया है। उन्होंने लिखा है कोयला घोटाला मामले में कोल सचिव दोषी और कोयला मंत्री निर्दोष कैसे हो सकता है?
इसमें कोई दो राय नहीं कि कोयला घोटाले में जो भी दोषी हो उसे सजा मिलनी चाहिए। अगर इस मामले में तत्कालीन कोल सचिव दोषी है तो उन्हें करनी की ही सजा मिली है। लेकिन सीबीआई को और भी निर्भीक स्टेप उठाना चाहिए। सीबीआई में तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ भी मामला दर्ज करना चाहिए क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व वाले कोयला मंत्रालय में इतना बड़ा घोटाला हुआ था। सवाल उठता है कि इस मामले में सिर्फ कोल सचिव पर ही क्यों गाज गिरी है? जबकि वह तो मंत्री का आदेश मामने के लिए बाध्य हैं। इस मामले में अगर किसी की जांच होनी चाहिए तो वे हैं तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह। क्योंकि कोयला घोटाले का अगर सबसे बड़ा लाभार्थी कोई है तो वह हैं मनमोहन सिंह। इसलिए सीबीआई को सबसे पहले उनके खिलाफ मामला तय करना चाहिए था। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो यह जांच और न्याय दोनों के साथ अन्याय हुआ है।
The BOLD Trial Judge Bharat Parashar summoned Manmohan Singh & Sonia protested with a march & MMS in covert way approached another SC bench & got not-time bound stay. MMS had to approach SC's Coal Bench. It was the JOB of CBI to tell this this BIG FRAUD to SC. @narendramodi https://t.co/eq7MBGvJAO
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) November 30, 2018
जबकि शुरुआती दौर में ट्रायल जज भरत पराशर ने इस मामले के विरोध में मार्च निकालने को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को समन भेजा था। उस समय मनमोहन सिंह ने गोपनीय तरीके से सुप्रीम कोर्ट के दूसरी बेंच में जाकर अनंतकाल के लिए कोर्ट में हाजिर होने पर स्टे ले लिया था। इस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कोल बेंच में जाना पड़ा था। उसी समय सीबीआई को इस बड़े घोटाले के बारे में सीबीआई को बताना चाहिए था।
This is the second case former Coal Secretary HC Gupta got convicted. And the uncouth IAS lobby & corrupt politicians shed crocodile tears for this pliant/spineless officer to dilute the Prevention of Corruption Act. Good that SC is reviewing new toothless PC Act. https://t.co/FTRbXIevhr
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) November 30, 2018
ऐसा नहीं है कि पहली बार पूर्व कोल सचिव एचसी गुप्ता को दोषी ठहराया गया है। इससे पहले भी उन्हें दोषी ठहराया गया है । उस समय हमरी अफशरशाही व्यवस्था को सड़ाने के लिए जिम्मेदार अशिष्ट आइएएस अधिकारियों की लॉबी तथा भ्रष्ट नेताओं ने उनके लिए मगरमच्छ के आंसू बहाए थे। देश की स्टील फ्रेम कही जाने वाली नौकरशाही में इतने गंध और भ्रष्ट अधिकारी बैठे हैं जो कभी इस देश की व्यवस्था को स्वस्थ और भ्रष्टमुक्त होने ही नहीं देना चाहते। देश में भ्रष्ट अधिकारियों की एक ऐसी लॉबी है जो अपने आकाओं के लिए नौकरी तक की परवाह नहीं करते। क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी नौकरी चली भी जाए तो अपने आकाओं की बदौलत उनकी जिंदगी शानदार ढंग से कट जाएगी। इसलिए ये लोग अपने आका को बचाने के लिए हंसी खुशी सारा दोष अपने ऊपर ले लेते है और असली गुनहगार को बचा लेते हैं। एक बार फिर भारत की नौकरशाही में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने एचसी गुप्ता को दोषी ठहराने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। आईएएस एसोसिएशन ने इस संदर्भ में ट्वीट करते हुए लिखा है कि कोयला घोटाले में सचिव स्तर के अधिकारी को दोषी ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट का यह फैसला नौकरशाही के लिए काला दिन के समान है। इस तनाव की घड़ी में आईएएस एसोसिएशन दोषी ठहराए गए अधिकारी के साथ है।
Conviction of honest IAS officers in Coal Scam is most unfortunate. A black letter day for bureaucracy – Convicting officers for bona fide decisions in the interest of administration. We stand by the officers in this time of distress. #HCGupta
— IAS Association (@IASassociation) December 1, 2018
कोयला घोटाला मामले में भी यही हुआ है। अगर आज तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह कोयला घोटाले में बचे हुए हैं तो अपने तैनात भ्रष्ट अधिकारियों की बदौलत। अगर उनका दोष अधिकारी अपने सिर पर नहीं लेते तो आज जो गाज कोयला मंत्रालय के तत्कालीन सचिव एचसी गुप्ता पर गिरी है वह गाज सीधे मनमोहन सिंह पर गिरती।
मालूम हो कि इस मामले में स्पेशल सीबीआई जज भरत पराशर ने पूर्व कोल सचिव एच सी गुप्ता के अलावा कई और लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया है। पराशर ने इस कोयला घोटाला मामले में प्राइवेट कंपनी वीएमपीएल (विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड), कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा को भी दोषी ठहराया है।
URL : Strange that Coal Secretary is found Guilty But the then Coal Minister Manmohan Singh ” Honest ”
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