शंकराचार्यों की शरण में आओ
हिंदू-समाज के समग्र कर्म जो , पूरे समाज को भोगना होगा ;
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है , गंदे-नेता को झेलना होगा ।
जैसी जनता वैसा नेता , अच्छा नेता क्योंकर होगा ?
धर्महीन जब हिंदू बहुमत , चरित्रहीन तब नेता होगा ।
जितना भोग लिखा किस्मत में , हर हालत में भोगना होगा ;
अभी तो बस शुरुआत हुयी है , आगे देखो क्या-क्या होगा ?
लगभग सब मंदिर टूटेंगे , गंदे – गलियारे चालू होंगे ;
अय्याशी के बनेंगे अड्डे , धर्म नहीं पाखंड ही होंगे ।
अब्बासी – हिंदू नेता का गुरु है , भारत का अंधा – बाबा ;
दाढ़ी-बाबा भी नहीं है पीछे ,शत-प्रतिशत पाखण्डी-बाबा ।
सौ में नब्बे ऐसे ही बाबा , धर्म का क ख ग न जाने ;
अक्ल के अंधे – गांठ के पक्के , ऐसे जो हिंदू इन्हें ही माने ।
अज्ञान, लोभ ,भय ,भ्रष्टाचार में, ज्यादातर हिंदू ! डूब चुका है ;
तभी तो ऐसा नेता पाया , जो देश – धर्म को बेच चुका है ।
अभी तो बस शुरुआत हुयी है , अंजाम अभी तो आगे है ;
गजवायेहिंद होगा भारत में , हिंदू ! बड़े अभागे हैं ।
सब कुछ है पर कुछ भी नहीं है , चरित्र नहीं है धर्म नहीं है ;
अब्बासीहिंदू तो मिलना ही था,क्योंकि हिंदूका भविष्य नहीं है।
जैसा चाहो वैसा पाओ , चाहे जैसा बन जाओ ;
सब कुछ है अपने हाथों में , जीना चाहो या मिट जाओ ।
हिंदू ! यदि तुम मिटना चाहो , तो जैसा है वैसा चलने दो ;
अपने हाथों चिता सजाओ , अब्बासी-हिंदू को रहने दो ।
यदि तुम चाहो शान से जीना , स्वर्णिम-अतीत को पाना है ;
हिंदू ! वापस धर्म में आओ , अच्छी-सरकार बनाना है ।
अच्छी-सरकार बनेगी कैसे ? पहले सच्चे-धर्म को जानो ;
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , हर हालत में इसको मानो ।
सेक्यूलरिज्म छोड़ दो एकदम , ये सबसे बड़ी मूर्खता है ;
कायर ,कमजोर ,नपुंसक नेता की , ये केवल कायरता है ।
गर्व से बोलो “सनातनी” हम , पूरी तरह धर्म को मानो ;
रामायण , गीता , महाभारत , सारे हिंदू ! पढ़कर जानो ।
त्यागो हर पाखंडी बाबा को , अब्बासी-हिंदू नेता को लात ;
शंकराचार्यों की शरण में आओ , बन जायेगी बिगड़ी-बात ।
धर्म की शक्ति को अपनाओ , जिसको छोड़ चुका है हिंदू ;
उसी का ये परिणाम सामने , तेरा नेता अब्बासी – हिंदू ।
इस घातक परिणाम को बदलो , धर्म-सनातन में आओ ;
धर्म-सनातन की शक्ति से , मनचाहे परिणाम को पाओ ।