उप्र अमरोहा के गौतमनगर में रहने वाले दलितों का जीवन खतरे में है! उनके ऊपर धर्मांतरण का खतरा मंडरा रहा है! वहां राजदीप दाउद, सागरिका सांम्प्रदायिक, शेखर हथियार वाला, बकैत पांडे आदि का ‘शांतिप्रिय समुदाय’ कुल जनसंख्या का 42% हो गया है, इसलिए ‘शांतिप्रिय लोग’ धीरे-धीरे गौतम नगर का नाम बदल कर ‘इस्लाम नगर’ कर रहे हैं!
बकैत पांडे याद है तुम्हें, तुमने पूछा था कि भारत में अल्पसंख्यक यदि बढ़ ही जाएंगे तो क्या होगा? आज तुम्हारे कलेजे को ठंड़क तो खूब मिल रही होगी! कश्मीर, कैराना , मुर्शिदाबाद आदि के बाद अब गौतमनगर में तुम्हारे सपनों का देश बन रहा है!
माया-ठगनी से लेकर जिग्नेश मवाली, और पप्पू गांधी से ‘पेटिकोट-पत्रकार’ जैसे दलितों के तथाकथित हमदर्द ‘शांतिप्रिय कौम’ के टुकड़ों ( अरबी-आईएसआई फंडेड ‘पाक-मनी’) पर पलते हैं ताकि दलितों का खून पीया जा सके और उन्हें ‘शांतिप्रिय कौम’ में धर्मांतरित कराया जा सके!
आप जानते हैं डॉ. अंबेडकर महात्मा गांधी व कांग्रेस से क्यों नाराज हुए थे? खिलाफत आंदोलन फेल होने पर ‘शांतिप्रिय कौम’ के मोपलाओं ने मालाबार में जिन हिंदुओं का नरसंहार किया था, वो सभी दलित थे! तलवार के जोर पर दलितों को ‘शांतिप्रिय कौम’ में तब्दील किया गया! और गांधीजी व कांग्रेस इसे दबाने में जुट गये थे!
यही कारण है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ का खेल खेलने वाले अंबेडकरवादी, कांग्रेसवादी, सेक्यूलरवादी, समाजवादी, नमाजवादी, वामवादी, जातिवादी इस अध्याय से आपको अवगत नहीं कराते हैं! यह लोग आज भी दलितों के कन्वर्जन में जुटे हैं ताकि एक मुश्त वोट व भेड़ मानसिकता वाली ‘शांतिप्रिय कौम’ की आबादी बढ़ा कर अपनी सत्ता सलामत रखी जा सके!