लश्कर की आतंकी इशरत जहां मामले में एक के बाद एक आ रहे सबूतों से तत्कालीन गृहमंत्री पी.चिदंबरम सहित समूची यूपीए सरकार व कांग्रेस पार्टी बेनकाब होती जा रही है। इशरत जहां के बाद अब समझौता ब्लास्ट मामले में भी यूपीए सरकार का आतंकवाद को पोषित करने और हिंदुओं को बदनाम करने का गंदा चेहरा खुलकर सामने आ रहा है।
एनआईए के डीजी शरद कुमार ने एक प्रेस वार्ता कर रहा है कि समझौता बम ब्लास्ट में आरोपी बनाए गए कर्नल पुरोहित के खिलाफ एक भी सबूत नहीं है। दरअसल आज तक कर्नल पुरोहित के खिलाफ चार्जशीट तक दाखिल नहीं किया गया है। पिछले कई वर्षों से उन्हें केवल ‘हिंदू आतंकवाद’ की अवधारणा को साबित करने के लिए जेल में रखा गया है।
न केवल कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा, असीमानंद एवं अन्य लोगों को, बल्कि सोनिया गांधी की यूपीए सरकार की योजना राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवन को भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाने की थी, लेकिन सोनिया गांधी की यह योजना धरी की धरी रह गई!
वर्ष 2007 में अजमेर दरगाह में हुए बम धमाके के एक आरोपी भावेश पटेल ने सीबीआई अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे के मुताबिक देश के वर्तमान गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, गृहराज्यमंत्री आरपीएन सिंह, कोयला राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह सहित National Investigation Agency (NIA) के अधिकारियों ने उस पर दबाव डाला था कि वह अजमेर बम धमाके के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत व पदाधिकारी इंद्रेश कुमार का नाम ले तो उसे छोड़ दिया जाएगा।
यह सारा खेल कांग्रेस के नेता से साधु बने आचार्य प्रमोद कृष्णम के आश्रम में रचा गया था। यह वही प्रमोद कृष्णम है, जो न्यूज चैनलों के स्टूडियो में आकर भारतीय संत परंपरा को बदनाम करने की कोशिश में लगा रहता है। लोकसभा चुनाव- 2014 में कांग्रेस ने इसकी वफादारी से खुश होकर संभल इसे इसे टिकट भी दिया था, लेकिन इसकी जमानत तक जब्त हो गई। खुद को कल्कि अवतार बनाते वाले इस ढोंगी साधु ने संभल में कल्कि आश्रम बना रखा है, जिसमें डॉन अबू सलेम की पूर्व में प्रेमिका रही मोनिका बेदी तक उनका प्रचार करने आती रही है!
हां तो, भावेश पटेल ने चिट्ठी में लिखा था, ‘जब उसे गिरफ्तार किए जाने का अंदेशा हुआ तो वह अपने गुरु प्रमोद कृष्णम के संभल स्थित आश्रम चला गया। वहां आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उसकी मुलाकात दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, श्रीप्रकाश जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई थी। ये सभी लोग चाहते थे कि वह कोर्ट में आरएसएस के नेताओं को फंसाने वाला बयान दे।’
भावेश पटेल को मार्च 2013 में गिरफ्तार किया था। भावेश के अनुसार,’मुझसे कहा गया था कि अदालत में जज के समक्ष मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार का नाम लोगे तब तुमको छोड़ दिया जाएगा, साथ ही पांच लाख रुपये भी दिए जाएंगे। 20 मार्च, 2013 को मुझे जयपुर न्यायालय में पेश किया गया और वहां से जेल भेज दिया गया। जेल में आईपीएस विशाल गर्ग ने आईजी संजीव सिन्हा और आचार्य प्रमोद कृष्णम से बात कराई थी। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आईपीएस विशाल गर्ग के कहे अनुसार ही बयान देने को कहा था। मुझ पर दबाव बनाने के लिए विशाल गर्ग, डीएसपी जसवीर सिंह, आईजी और एनआईए के कई अधिकारी 23 मार्च, 2013 को कोर्ट रूम में मौजूद थे।’
भावेश के मुताबिक, ‘बयान दर्ज कराते वक्त मेरी आत्मा ने मुझे धिक्कारा। इसलिए मैंने मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार का नाम नहीं लिया। उसी शाम जेल में विशाल गर्ग ने फिर मुझसे मुलाकात की। गर्ग ने कहा कि मनमाफिक बयान नहीं देने की वजह से उसकी कोई मदद नहीं की जाएगी।’ एनआईए ने अपनी चार्जशीट में पटेल पर धमाके के लिए साजो-सामान उपलब्ध करवाने और बम दरगाह के भीतर ले जाने का आरोप लगाया है।
देखा जाए तो गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी- ये तीन शख्स हैं, जिन्होंने यूपीए सरकार के दौरान ‘हिंदू आतंकवाद’ की अवधारणा गढ़ी थी और उसे साबित करने का हर तरह का फर्जी प्रयास किया जा रहा था! यहां तक कि 26/ 11 को मुंबई पर हुए हमले को भी आरएसएस द्वारा हमले के रूप में न केवल प्रचारित किया गया, बल्कि इस पर एक पुस्तक भी लिखी गई, जिसका लोकार्पण दिग्विजय सिंह ने किया। लेकिन पाकिस्तानी आतंकी कसाब के पकड़े जाने की वजह से कांग्रेस संचालित यूपीए सरकार की यह योजना फलिभूत नहीं हो सकी।
भावेश पटेल वाली संपूर्ण घटना का साभार संदर्भ: संदीप देव की पुस्तक ‘निशाने पर नरेंद्र मोदी: साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’से।
Web Title: congress conspiracy against rss chief mohan bhagwat
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