कांग्रेस के प्रवक्ता और पार्टी मीडिया सेल में सालों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टॉम वड्डकन गुरुवार को जब कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए तो मीडिया के सामने कहा. कोई राजनीतिक पार्टी यदि देश के खिलाफ चला जाए तो वहां दम घुटता है। भारत की तस्वीर बदलने में प्रधानमंत्री ने जो उर्जा लगाई है हम उससे प्रभावित हैं।
कांग्रेस सेना का अपमान कर रही थी। ऐसे वक्त में यह सही कुछ नहीं था। यह सिर्फ वडक्कन की ही सोच नहीं है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी में कॉरपेट के नीचे यह कुलबुलाहट आम है कि जब राष्ट के रुप में भारत के सामने चुनौती है कांग्रेस के कद्दावर नेता उलजूलूल बयान देकर पार्टी की कब्र क्यों खोद रहे हैं! खास बात यह कि पार्टी को कैमरे के सामने के उसके चेहरे तबाह कर रहे हैं। जिन्हें जमीनी समझ रत्तीभर नहीं है।
कांग्रेस दो महीने पहले फ्रंट फूट पर चुनाव में उतरने की बात कर ही थी। राहुल गांधी इसका जिक्र बार बार कर रहे थे । कांग्रेस, मोदी सरकार को चुनाव में भारी टक्कर देने का सपना पाल रही थी। लेकिन पुलवामा और उसके बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में घर में घुस कर जवाबी कार्रवाई करने पर कांग्रेस द्वारा सबूत मांगने के खेल से जिस प्रकार देश में पार्टी की साख खराब हुई उससे पार्टी के अंदर भारी बेचैनी है। दिलचस्प यह की कपिल सिब्बल रणदीप सुरजेवाला और दिग्विजय सिंह जैसे पार्टी के कद्दावर चेहरे अपने आग लगाने वाले मुर्खतापूर्ण बयान से रोज पार्टी के लाखो वोट दुश्मन के खेमे में डाल रहे हैं।
अहंकार में चूर रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमेशा शब्दवाण छोड़ने वाले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला जब जिंद की चुनाव में चौथे पायदान पर रहते हुए किसी तरह से अपनी जमानत बचा पाए तो उम्मीद थी कि जमीन पर उतरने से उन्हें अपनी औकात का एहसास हो गया होगा। लेकिन दो दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेस में देश ने देखा कि कैसे वे सड़क छाप भाषा का प्रयोग नेशनल मीडिया के सामने पार्टी फोरम से देश के प्रधानमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री के लिए करते हैं। सुरजवाला ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लिए प्रधानमंत्री मोदी की चहेती कहते हुए कहा दोनो अनपढ़ हैं। उनसे क्या उम्मीद करें! जब उन से सवाल किया गया कि ‘चहेती’ से उनका मतलब क्या है ! तो बगल में बैठे पुरुष प्रवक्ता की ओर इशारा करते हुए कहा जैसे ये मेरे चहेते हैं। यही बात वे अपने दुसरी तरफ बगल में बैठी महिला प्रवक्ता के लिए नहीं कही।
एक महिला पत्रकार के लिए चहेती शब्द का इस्तेमाल करने से पहले उसे बहन बता दिया। इससे समझा जा सकता है कि सुरजेवाला की मानसिकता क्या थी! जिसे देश देख रहा था।
!रणदीप सुरजेवाला की पहचान ही उनके ज्वलनशील जीभ से है। जब पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला किया तो सुरजेवाला ने कहा ‘कब तक मोदी हमारे जवानों के खुन से खेलोगे। कहां गया तुम्हारा 56 इंच का सीना!’ बाद में यही सुरजेवाला सरकार से सबुत मांगने लगे। तब जब भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन बालाकोट को अंजाम दिया। अबकी बार सुरजेवाला अकेले नहीं थे। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को मसीहा बताते हुए कहा मोदी सरकार जवानो की शहादत से खेल रही है। सबूत नहीं दे रही। यह की बालाकोट में कितने दुश्मन मरे या सिर्फ कौआ ही मरा।
कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने तो पुलवामा आतंकी हमले को दुर्धटना करार दिया। उन्होने भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल करते हुए कहा विदेशी मीडिया कह रही है बालाकोट में कुछ नहीं हुआ तो मोदी सरकार सबूत क्यों नहीं दे रही। दिग्गी ने कहा इससे भारत सरकार की विश्वनीयिता पर सवाल उठ रहा है। दिग्गी के सवाल से संदेश गया कि उन्हें न तो देश की सेना पर भरोसा है न सरकार पर न अपनी मीडिया पर।
बस पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और विदेशी मीडिया पर भरोसा है। यह सब तब हो रहा था जब राहुल गांधी ने कहा था कि वे देश की सेना और सरकार के साथ हैं इस विकट घड़ी में। देश की जनता में इस बात को लेकर आक्रोश लगातार बढ़ रहा था कि आखिर कांग्रेस के कैमरे के चेहरे और भारत सरकार में मंत्री रहकर रेवड़ी चाटने वाले जमीन से दूर नेता भारत की आम जनता की भावना को समझे बिना ऐसी बचकानी बयानबाजी कैसे और क्यों कर रहे हैं!
जनता का सवाल अपनी जगह लेकिन सिब्बल,सुरजेवाला और दिग्गी जैसे नेता अपनी हड़कतों से बाज नहीं आ रहे थे। पार्टी की क्रब खोद रहे इन नेताओं में अपनी स्वार्थ की लड़ाई का स्तर क्या है यह दो दिन पहले इंदौर हवाई अड्डे पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सड़क छाप हड़कत से समझा जा सकता है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर हवाई अड्डा पर दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं से घीरे थे। इंदौर कांग्रेस अध्यक्ष विनय वामलीवाल अपने समर्थक संग वहां टिकट की आस में दिग्गी से मिलने आए थे।
दिग्गी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को फोन मिलाकर फोन स्पीकर पर डालकर पूछा..कमल क्या इंदौर से विनय को टिकट दे दिया जाए! कमलनाथ ने छुटते ही कहा..नहीं वो बेकार है जीतने वाला उम्मीदवार नहीं है। दिग्गी ने फिर कहा मैं स्पीकर ऑन करता हूं। यह सुनते ही कमलनाथ पलट गए..कहा नहीं विनय अच्छा उम्मीदवार है। यह सुनते ही वहां मौजूद लोग ठहाके लगा कर हंसने लगे। लेकिन मध्यप्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री की सड़क छाप हड़कतों से पार्टी कार्यकर्ता में आक्रोश लाजमी था।
दरअसल दिग्गी पर आरोप है कि उनकी नई नवेली बुढ़ापे, की महात्वाकांक्षी पत्रकार पत्नी अब नेता बनना चाहती है। दिग्गी अपनी इस नइकी दुल्हनिया के कोप भवन में जाने से पहले उसे सदन में पहुंचाने की जुगत में हैं। यह किसी को नहीं सुहा रहा।
अपने स्वार्थ की राजनीति को अंजाम देने के लिए पार्टी की कब्र खोदने के जुगत में लगे कांग्रेस के कद्दावर नेता दरअसल देश की जनता के मिजाज को भांप ही नहीं पा रहे। इसीलिए सालों तक पार्टी की आत्मा को सवांरने वाले किसी वड्डकन का दम घुटता है कांग्रेस में। कांग्रेस के सिपहसालार मानते हैं किसी वड्डकन जैसे नेता के पार्टी छोडने से वोट पर क्या असर पड़ता है! वे जान ही नहीं पाते कि कांग्रेस के इन कद्दावर नेताओं की मुर्खता से वोट नहीं पार्टी जमीन खिसक रही है आम जनता की नजर में।
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