कांग्रेस के विधायक कानूनी रास्ते से ही सही लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के कार्य में भी हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस विधायक ने जनप्रतिनिधियों (विधायकों और सांसदों) से जुड़े सारे लंबित आपराधिक मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट हस्तांतरण किए जाने का विरोध किया है। विधायक जितेंद्र पटवारी उर्फ जीतू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसका विरोध किया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की अलग से सुनवाई करने से मना कर दिया। बेंच ने कहा है कि इससे जु़डी कई मुख्य याचिकाएं पहले से लंबित हैं। इनमें भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की भी एक याचिका लंबित है। मालूम हो कि उपाध्याय ने जन प्रतिनिधि अधिनियम के तहत दोषी जनप्रतिनिधियों को जेल की सजा काटने के बाद छह साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के लिए याचिका दे रखी है।
मुख्य बिंदु
* सुप्रीम कोर्ट की बेंच भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका समेत मुख्य याचिकाओं पर 21 अगस्त को करेगी सुनवाई
* विधायकों और सांसदों से जुड़े आपराधिक मामले की जल्द सुनवाई के लिए ही फास्ट ट्रैक कोर्ट बना है
मालूम हो कि फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन ही इसलिए किया गया था ताकि विधायकों और सांसदों से जुड़े आपराधिक मामले का जल्द से जल्द निपटारा हो सके। लेकिन कांग्रेस नहीं चाहती है कि ऐसा हो। कांग्रेस के विधायक अब ऐसे मामलों को लटकाना चाहते है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध करने वाले कांग्रेस के विधायक जितेंद्र पटवारी उर्फ जीतू के खिलाफ भी पुलिस के कार्य में दखल देने का आरोप है। एक तरफ कांग्रेस के विधायक आरोपी जनप्रतिनिधियों को बचाने में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा के नेता देश हित और लोकहित में दोषी विधायकों और सांसदों को चुनावी प्रक्रिया से ही बाहर करने में जुटे हैं।
विधायक जितेंद्र पटवारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस संदर्भ में दिशानिर्देश देने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने याचिका में विधायकों और सांसदों के खिलाफ सारे लंबित आपराधिक मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट के हवाले नहीं करने की भी बात कही है। उन्होंने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर 2017 को दिए उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें कोर्ट ने सिर्फ जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने को कहा था। साथ ही इसी साल एक मार्च से कोर्ट का संचालन शुरू करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने इस मामले पर कहा है कि इसकी सुनवाई अलग से नहीं होगी बल्कि मुख्य याचिकाओं के साथ 21 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट किया है कि इस संदर्भ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की भी एक याचिका शामिल है। उन्होंने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधि अधिनियम के तहत दोषी जनप्रतिनिधियों को जेल की सजा काटने के बाद छह साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वाले विधायक जितेंद्र पटवारी पुलिस कर्मियों को काम करने से रोकने के आरोपी हैं। उनका मामला मजिस्ट्रेट ट्रायबल में चल रहा था लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट भेज दिया। तभी तो उन्हों सुप्रीम कोर्ट से मजिस्ट्रेट द्वारा ट्रायल मामले को सेशन कोर्ट नहीं भेजने को लेकर दिशा निर्देश देने की मांग की है।
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