दिल्ली में कांग्रेस के बूथ लेबल के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहूल गांधी बेहद उत्साह में थे। उत्साह इस कदर कि मुंबई पर आतंकी हमले और पुलवामा के सिपाहियों की शहादत के सबसे बड़े गुनाहगार को मसूद अजहर जी कह गए। जैश ए मोहम्मद के उस सरगना को जो पाकिस्तान में छुपा है। जिसने पुलवामा को अंजाम दिया! क्या राहुल जाने अंजाने में ऐसा कह गए! क्या उनका जुबान फिसल गया! आखिर देश के सबसे बड़े दुश्मन को देश के सबसे बड़े विपक्ष का मुखिया इतना सम्मान कैसे दे सकता है! या फिर यह सब प्री प्लांड था। जिससे कांग्रेस का राजनीतिक हीत सधता है ! राहुल के बयान पर जब बवाल मचा तो कांग्रेस के प्रवक्ता आतंकी सरगना मसूद अजहर के नाम में जी लगाने को लेकर सफाई भी तो दे सकते थे!
अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से हुई भूल को कांग्रेस ने भूल नहीं माना। उल्टे बीजेपी से काग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि 1999 में तब की सरकार ने मसूद अजहर को क्यों छोड़ा था? कांग्रेस यह सवाल तब कर रही थी जबकी पूरे देश को पता है कि 1999 में सर्वदलीए बैठक के बाद फैसला लिया गया था।कारण यह क्योंकि जिस जहाज का अपहरण अजहर के आतंकियों ने किया था उसमें लगभग दो सौ लोग सवार थे और यात्रियों को छुड़ाने को लेकर देश भर में आंदोलन चल रहा था। सच है कि मसूद अजहर को छोड़ने की कीमत देश आज तक चुका रहा है। हाल में उसके ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर भारत की वायू सेना से उसके ट्रेनिंग कैंप को नष्ट करने का गौरव देश को दिया। भारत के उस खलनायक के नाम के साथ जी लगा कर कांग्रेस अध्यक्ष ने सम्मान दिया तो देश भर में बवाल मच गया। सत्ताधारी भाजपा को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया।
देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मैदान में आए उन्होंने सीधा आरोप लगाया ‘कांग्रेस का देश के दुश्मनों के संग सीधा नाता है। आतंकियों सगं गठजोड़ है इसीलिए कभी कांग्रेस महासचिव दिग्गी राजा ने तब के सबसे खुंखार आतंकी को ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहा था। अब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के सबसे बड़े खलनायक को मसूद अजहर जी कह कर संबोधित किया”। देश का सबसे बड़ा खलनायक जिसे पूरा भारत हर हाल पाकिस्तान पर अपने हवाले करने का दबाव बना रहा है उसका राहुल गांधी ने सम्मान किया तो कांग्रेस ने कोई सफाई नहीं दी कि वह गलती से हो गया? जब दिग्गविजय सिंह ने ओसामा को जी कह कर संबोधित किया था कांग्रेस को तब भी शर्मिंदगी नहीं हुई थी। पार्टी ने कोई सफाई नहीं दी थी। राजनीति में नेता हमेशा वही बोलता है जो उसके एक बड़े वोट बैंक को सूट करता है।
देश की सबसे पुरानी और घाघ पार्टी क्या यह सब कुछ यूं ही बोल देती है। पुलवामा के सबूत क्या कांग्रेस यूं ही मांगती है! क्या कांग्रेस को नहीं पता भारत की सेना ने जो पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने पर हमला किया है उससे देश में एक उत्साह है! क्या कांग्रेस इतनी नादान है कि वो राष्ट्र के स्वाभिमान पर सवाल कर पाकिस्तान को व़ॉक ओवर दे देती है। दरअसल कांग्रेस जानती है कि देश में एक बड़ा वर्ग है जिसकी संवेदनाएं आज भी पाकिस्तान के साथ है। उसकी आत्मा पाकिस्तान में बसती है। तभी कांग्रेस को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खां में शांति का दूत नजर आने लगता है। क्योंकि कांग्रेस को पता है कि बदले हालात में नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक वर्ग का उन्मादी नफरत है जिसे भूनाने के लिए पाकिस्तान पर एयर स्ट्राईक का सबूत मांगने से वो पाकिस्तान परस्त वोट बैंक खुश हो सकता है। इमरान को आज भी अपना हीरो मानने वालों की भावना को सहलाने से वोट बैंक को साधा जा सकता है। कांग्रेस को पता है कश्मीर में आतंकियों पर बुलैट गन चलाने से चोट कश्मीर के बाहर एक उस बुलेट गन की चोट एक समुदाय को लगती है। उस समुदाय को कश्मीर में सेना के जवान की शहादत से दिल नहीं पसीजता आतंकियों पर हमला से चोट लगता है। अजहर मसूद कश्मीर के आतंकियों के लिए सहानभूति रखने वालों समुदाय का हीरो है जो देश के अंदर एक बड़ा वोट बैंक है । अजहर मसूद के नाम में जी लगा कर राहुल उसी वोट बैंक को चुपके से तुष्ट कर रहे थे। यह एक बड़ी राजनीतिक चालाकी है जिसमें सांप भी मर जाता है और लाठी भी नहीं टुटता।
इसीलिए रविशंकर प्रसाद से लेकर शाहनवाज तक सरकार के प्रतिनिधियों ने कांग्रेस से सवाल किया। राहुल का मजाक उड़ाया गया कि उन्होंने देश के सबसे बड़े आतंकी के लिए जी शब्द का संबोधन किया! कांग्रेस ने एक बार भी नहीं कहा यह जुबान फिसले का मामला है। कांग्रेस ऐसा कह देती तो यह मान भी लिया जाता।लेकिन न तो कांग्रेस ने इसे जुबान फिसलने का मामला माना न महागठबंधन के किसी साथी दल ने इस पर राहुल को घेरा।
इस मुद्दे से हटकर पूरे विपक्ष ने इस बात को मुद्दा बना दिया कि सात चरणों के चुनाव में तीन दिन रमजान के दिन पड़ते हैं जिसमें मुसलमानों को दिक्कत होगी! उन्हें पता है कि मुसलमानों के लिए मजहबी जजबात से बड़ा कोई मुद्दा नहीं। इसलिए उनका वोट थोक में हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष की जरुरत नहीं होती। आलम यह कि चुनाव आयोग को सफाई देनी पड़ी की कोई भी तारीख किसी पर्व या शुक्रवार को नहीं रखा गया। शुक्रवार का रमजान के महीने में खास महत्व है। चुनाव आयोग को सफाई देना पड़ा कि एक माह तक चुनाव नहीं टाला जा सकता। सच है दुनिया में ऐसा कहीं नहीं होता। जहां ऐसे बेबुनियाद मसने चुनावी मुद्दे हो जाते हों। लेकिन यहां के राजनीतिक दलों को पता है कि वोट बैंक थोक के हासिल करने के लिए जजबती मुद्दे क्या हैं। तभी कांग्रेस बेहद गंभीर मसले पर सफाई देने नहीं आती। फिजूल के मुद्दे पर चुनाव आयोग को सफाई देना पड़ता है।
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URL ;congress rushes in to firefight after Rahul Gandhi says masood Azahar ji
Ref:- Rahul Gandhi & others leaders of Congress. we can say, if such leaders are not enemies, but, there comes a question mark on their ability to rule?.