नेशनल हेराल्ड केस मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी की चुभती सच्चाई से घबराकर कांग्रेस ने उनकी अभिव्यक्ति पर चोट करने का प्रयास किया है। नेशनल हेराल्ड मामले के आरोपी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी तथा मोतीलाल वोरा ने ने स्वामी की अभिव्यक्ति की आजादी छीनने के लिए मेट्रोपोलिटन कोर्ट में केस दायर किया है। उन्होंने अपने आवेदन में कोर्ट से नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी को ट्वीट नहीं करने देने की मांग की है। कांग्रेस द्वारा अपने खिलाफ दायर आवेदन पर स्वामी ने चुनौती देते हुए कहा कि मेरे जवाब का इंतजार करें क्योंकि मेरा जवाब ही उन कांग्रेसी मूर्खों को शिक्षित करेगा। उन्होंने कहा कि जब टीडीके (सोनिया गांधी) और बुद्धू (राहुल गांधी) तिहाड़ जेल में होंगे तो उनके लिए संविधान पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए। गौर हो कि स्वामी अपने ट्वीट में टीडीके शब्द सोनिया गांधी और बुद्दू शब्द राहुल गांधि के लिए प्रयोग करते रहे हैं।
Wait for my reply which will educate the Congi illiterates. While in Tihar it should be compulsory for TDK and Buddhu to read the Constitution
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 24, 2018
मुख्य बिंदु
* स्वामी को नेशनल हेराल्ड मामले में ट्वीट करने से रोकने के लिए ही कांग्रेस के नेताओं ने अर्जी दायर की है
* शुरू में कांग्रेस ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी अर्जी लेकिन न्यायाधीशों ने सुनवाई से किया इनकार
स्वामी के खिलाफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट में कांग्रेस ने यह आवेदन उसी समय दायर किया जब कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समीर विशाल के सामने स्वामी नेशनल हेराल्ड से जुड़े केस के सबूत पेश करने वाले थे। हालांकि शुरू में मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कांग्रेस के वकील की इस अर्जी पर नाराजगी जताई लेकिन बाद में उन्होंने स्वामी से इस मामले में अपना विचार रखने को कहा। अपने इस नए आवेदन के बारे में कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कोर्ट में लंबित मामलों पर स्वामी बेहिसाब अनर्गल ट्वीट कर अभिव्यक्ति की आजादी की अपनी सारी सीमाएं लांघ चुके हैं। सबूत के रूप में उन्होंने स्वामी के कई ट्वीट कोर्ट में पेश किए हैं,जिनमें सोनिया गांधी के लिए टीडीके और राहुल गांधी के लिए बुद्धू शब्द लिखे हैं। उन्होंने कहा है कि स्वामी प्रतिदिन कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान आरोपियों को बदनाम करने तथा कोर्ट की प्रक्रिया को प्रभावित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर अपने ट्वीट डालते रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं ने कोर्ट से नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी को ट्वीट करने से मना करने की मांग की है।
आरोपी कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि स्वामी के ट्वीट निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकारों का हनन करते हैं। उन्होंने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है लेकिन जिस प्रकार संविधान भी खुद पूर्ण नहीं है उसी प्रकार यह अधिकार भी खुद में पूर्ण नहीं है। उन्होंने कोर्ट की अवमानना की धारा 1971 के तहत तीन पेज के आवेदन के साथ स्वामी के सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संदर्भ में किए गए ट्वीट को संलग्न कर कोर्ट में पेश किया है। इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र सबके सामने आ गया है। अब जब कांग्रेस खुद बैकफुट पर आ गई है तो न संविधान पूर्ण है और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। जबकि यही कांग्रेस मोदी सरकार पर संविधान और मौलिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाती रही है। आज एक व्यक्ति की सच्चाई को कुचलने के लिए उसके मौलिक अधिकार तक छीनने पर उतारू है। दरअसल कांग्रेस का यही तानाशाही चरित्र रहा है। उसके लिए न संविधान महत्वपूर्ण है न ही आमलोगों की मौलिक स्वतंत्रता।
कांग्रेस अभी सत्ता में नहीं है इसलिए कोर्ट के माध्यम से स्वामी की आजादी छीनने की कोशिश कर रही है। अगर सत्ता में होती तो क्या करती? इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। कांग्रेस जब भी सत्ता में रही है हमेशा अपनी मनमानी करती आई है। उसने न कभी संविधान को तरजीह दी न ही किसी की मौलिक स्वतंत्रता उसके लिए कोई मायने रखती हैं। लेकिन कांग्रेस भूल गई है कि जिसकी स्वतंत्रता छीनने की कोशिश कर रही है वह कोई आम आदमी नहीं बल्कि सुब्रमनियन स्वामी है। उन्होंने ही राम सेतु तोड़ने की सोनिया गांधी की मंशा पर पानी फेर दिया था। उन्होंने एक बार फिर अपने जवाब का इंतजार करने की चुनौती देते हुए कहा है कि उनके जवाब से ही ये कांग्रेसी अनपढ़ शिक्षित होंगे।
मालूम हो कि मेट्रोपोलिटन कोर्ट में आवेदन देने से पहले कांग्रेस के वकीलों ने इस संदर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने वहां भी स्वामी के ट्वीट रखकर उन पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी से व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने की बात कही थी। लेकिन दोनों जगह न्यायाधीशों ने इस संदर्भ में उनकी बात सुनने से इंनकार कर दिया । अंत में कांग्रेस ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट में अपना आवेदन दिया है।
कोर्ट से निकलने के दौरान स्वामी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी अभी आपातकाल की मनोदशा में जी रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित जवाब दिया जाएगा। इस मामले में अपना गुस्सा दिखाने के लिए ही उन्होंने वो ट्वीट किया था जिसमें लिखा था “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उस बुद्धू को गले लगाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। रूसी और नॉर्थ कोरियाई विष युक्त सुई चुभोने के लिए गले लगाने की तकनीक अपनाते हैं। मेरा मानना है कि नमो को तत्काल ही स्वास्थ्य की जांच करा लेनी चाहिए कि कहीं उनके शरीर में कोई छोटा छेद तो नहीं है जैसे सुनंदा पुष्कर के हाथ में था”!
Namo should not have allowed Buddhu to hug him. Russians and North Koreans use the embrace technique to stick a poised needle. I think Namo should immediately go for a medical check to see if he has any microscopic puncture like Sunanda had on her hand
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 21, 2018
ऐसा नहीं कि कांग्रेस का स्वामी पर यह पहला हमला है। 2011 में यूपीए सरकार ने 2जी घोटाले की सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान स्वामी को इससे दूर रखने के लिए इसी प्रकार का मामला दर्ज कराया था। उस समय सरकार ने कोर्ट में स्वामी के खिलाफ सबूत के तौर पर अखबार की कटिंग पेश की थी। उसमें सोनिया गांधी को जेल भिजवाने वाले संबोधन थे। लेकिन न्यायाधीशों ने मुस्कुराते हुए सरकार की अर्जी खारिज कर दी थी। उस समय भी सरकार के वकील रहे पीपी राव जजों के सामने चिल्लाते रहे कि स्वामी पर कुछ तो पाबंदी लगाइये। लेकिन जजों ने उनकी एक न सुनी और उनकी अर्जी खारिज कर दी थी।
URL: Congressman reached the court to stop freedom of expression of subramanian swamy
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