सही ही कहा गया है कि किसी का पाप हमेशा के लिए नहीं छिपता। गुजरात सीआईडी (क्राइम) ने राजस्थान में पाली के एक वकील को 1998 में ड्रग प्लांटिंग के एक झूठे केस में फंसाने के मामले में बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को आज एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया है। सीआईडी ने संजीव भट्ट के साथ सात पुलिस वालों को भी गिरफ्तार किया है। यह वही बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट है जिसने गुजरात दंगों को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने की 2010-11 में साजिश रची थी।
Suspended IPS & #UrbanNaxal
Sanjiv Bhatt has been detained by CID (Crime) of Gujarat after HC Order in Palanpur drug planting case of 1998 in which he falsely framed a Lawyer.Interrogation underway.
— Prashant P. Umrao (@ippatel) September 5, 2018
मोदी की 27 फरवरी 2002 की जिस बैठक में संजीव भट्ट मौजूद भी नहीं था उसका हवाला देते हुए उसने मोदी पर मुसलिमों को निशाना बनाने जैसी बात कहने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उसने मोदी को फंसाने के लिए कोर्ट में खुद का और अपने साथी अधिकारी का गलत हलफनामा कोर्ट में दायर किया था। बाद में धोखाधड़ी के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था। यह खुलासा बहुत पहले ही इंडिया स्पीक्स के प्रमुख संपादक संदीप देव ने अपनी किताब ‘निशाने पर मोदी : साजिश की कहानी तथ्यों कि जुबानी’ में किया है। एक बार फिर 1998 में पालनपुर ड्रग प्लांटिंग मामले में संजीव भट्ट को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुख्य बिंदु
* राजस्थान के एक वकील को फंसाने के विरोध में संजीव भट्ट के खिलाफ वकीलों ने एक साल तक की थी हड़ताल
* गुजरात दगों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए दिया था गलत हलफनामा
* बर्खास्त IPS अफसर संजीव भट्ट गिरफ्तार, इस मामले में वकीलों ने की थी 1 साल तक हड़ताल
मालूम हो कि राजस्थान के एक वकील के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करने के मामले में गुजरात की सीआईडी टीम ने तो पहले संजीव भट्ट को हिरासत में लेकर पूछताछ की लेकिन बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में सात अन्य पुलिस अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। 1998 में राजस्थान में पाली के एक वकील पर झूठा मुकदमा दर्ज करने के मामले में संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में संजीव भट्ट के अलावा पूर्व पीआई व्यास को भी हिरासत में लिया गया है।
गौरतलब है कि संजीव भट्ट ने साल 1998 में राजस्थान के एक वकील राज पुरोहित पर होटल में अफीम रखने का केस दर्ज कराया था। जांच करने पर वह केस झूठा निकला। इस प्रकार एक वकील को झूठे केस में फंसाने को लेकर राजस्थान के वकील ने संजीव भट्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पूरे प्रदेश के वकीलों ने इस केस के विरोध में तथा संजीव भट्ट के खिलाफ कोर्ट में हड़ताल कर दी। वकीलों की हड़ताल एक साल तक चली। बाद में राज पुरोहित के बरी होने, तथा संजीव भट्ट के खिलाफ जांच शुरू होने के साथ वकीलों ने अपनी हड़ताल वापस ली थी। इसी मामले में एक जज को बलात सेवानिवृत्ति तक लेनी पड़ गई।
अपने स्वार्थ के लिए शुरू से साजिश रचता रहा है संजीव भट्ट
कई आरोपों से घिरे बर्खास्त संजीव भट्ट की साजिश रचकर बेगुनाहों को फंसाने की आदत रही है। यह मामला दरअसल 1998 का है। उस समय संजीव भट्ट राजस्थान के वनासकांठा में एसपी था। उसी दौरान अहमदाबाद सेशंस कोर्ट के जज आरआर जैन ने संजीव भट्ट से अपने एक रिश्तेदार की मदद करने को कहा था। जज जैन के के रिश्तेदार फुटरमल का राजस्थान के पाली में एक घर था। उस घर में पाली के वकील राज पुरोहित रहते थे। उन्हीं से मकान खाली करने को लेकर फुटरमल का विवाद चल रहा था। फुटरमल राजपुरोहित से मकान खाली कराना चाहता था जबकि राजपुरोहित मकान खाली करने को राजी नहीं थे। तभी जज के कहने पर संजीव भट्ट ने राजपुरोहित से मकान खाली करा दिया था। मकान खाली कराने के लिए ही संजीव भट्ट ने एक होटल में अफीम रखकर वकील राजपुरोहित को फंसा दिया था। लेकिन बाद में पुलिस राजपुरोहित के खिलाफ ड्रग प्लांटिंग का कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई।
संजीव भट्ट की इसी करतूत की वजह से राजस्थान के वकीलों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वकीलों की हड़ताल के दबाव में आकर राजस्थान सीआईडी ने केस दर्ज कर जज आरआर जैन के रिश्तेदार फुटरमल को गिरफ्तार किया था। यही मामला दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में अभी तक लंबित है। इसी मामले में गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। मामले की गंभीरता की वजह से जज आरआर जैन को सेवानिवृत्ति लेनी पड़ गई। इसी मामले में कुछ दिन पहले ही गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईडी को जांच के लिए एक टीम बनाने का आदेश दिया था। उसी आदेश के तहत गुजरात सीआईडी की टीम ने संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया है।
गुजरात दंगों को लेकर मोदी को फंसाने की भी रची थी साजिश
कहा जाता है कि चोर चोरी से जाय लेकिन हेराफेरी से न जाय। संजीव भट्ट पर यह कहावत सटीक बैठती है। साजिश करने की उसकी पुरानी आदत रही है। तभी तो 2002 में हुए दंगों को लेकर उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फसाने तक की साजिश रच डाली थी। संजीव भट्ट ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि गुजरात में गोधरा दंगों के दौरान जानबूझकर मुसलिमों को निशाना बनाया गया था। अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए उसने अपने साथी अधिकारी तक की बलि लेने का प्रयास किया। उसने अदालत में अपना झूठा हलफनामा तो दायर किया ही साथ ही अपने साथी अधिकारी केडी पंत का भी हलफनामा पेश कर दिया था। बाद में केडी पंत ने ही उसकी पोल खोल दी। उन्होंने संजीव भट्ट पर जबरदस्ती धमकाकर हलफनामा तैयार कराने की बात कोर्ट के सामने कह दी।
केडी पंत के कबूलनामे के आधार पर ही साजिश रचने के आरोप में संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया था। संजीव भट्ट ने सिर्फ गलत हलफनामा ही नहीं दिया था बल्कि मुख्यमंत्री की उस बैठक का हवाला भी गलत दिया था जिसमें मुसलिमों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया था। दरअसल संजीव भट्ट ने अपने हलफनामें में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की 27 फरवरी 2002 को हुई बैठक का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि इसी बैठक के दौरान मोदी ने मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था। जबकि उस बैठक में मौजूद अधिकारियों और स्वयं नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संजीव भट्ट उस बैठक में मौजूद ही नहीं था। यही बात बाद में कोर्ट में भी साबित हुई, और उसका हलफनामा गलत साबित हो गया।
URL: Controversial former IPS officer Sanjiv Bhatt arrested in drug planting case
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