जब से कोरोना का जन्म हुआ, पूरा विश्व वैक्सीन की खोज में जुट गया। जैसे-जैसे कोरोना का विस्तार हुआ वैसे-वैसे नये-नये पैरामीटर्स का पता चला। समय के साथ पुराने पैरामीटर्स बदलते गये और नये पैरामीटर्स आते गये। बदलते पैरामीटर्स के कारण दवा, वैक्सीन तथा किसी भी प्रकार की थिरैपी सम्भव नहीं हो पाई।एक तरफ़ दुनिया भर के साइन्टिस्ट कोरोना के बदलते पैरामीटर्स से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर राजनैतिक दबाव। संसार के सभी दबंग राजनेता जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन देशवासियों को लगवाकर वाहवाही हासिल करने में जुटे हैं। भारत उन सभी देशों में सबसे आगे है क्योंकि यहाँ प्रजातंत्र है।
अभी तक वैक्सीन बनी नहीं पर हमारे देश में वैक्सीन के वितरण का पूरा इंतज़ाम हो चुका है, यहाँ तक कि कुछ शहरों में चरणबद्ध तरीके से लिस्ट तैयार की जा रही है। लिस्ट में आगे नाम लिखवाने की होड़ लगी है, लोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं – साम-दाम, दंड, भेद। इससे पैसा कमाने की एक नई इललीगल ऑपर्चुनिटी खुल गई है, जिसमें एक नया घोटाला तैयार हो जायेगा।
वैसे तो आजकल हर इंसान स्वयं को बहुत पढ़ा लिखा बताता है और हर विषय में साइन्टिफिक एवीडेन्स की बात करता है पर कोरोना के संबंध में साइन्टिफिक एवीडेन्स को दरकिनार कर नॉन-साइन्टिफिक बयानों पर विश्वास करता है। पूरी दुनिया को पता है कि किसी भी मास्क के सबसे छोटे छेद से कम से कम 100 कोरोना वाइरस एक साथ प्रवेश कर सकते हैं, पर किस साइन्टिफिक आधार पर लोगों को मास्क लगाने हेतु बाध्य किया जा रहा है ? यह समझ से परे है।
आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की कोरोना हेतु लगाये जाना वाला मास्क भले ही आपको कोरोना से ना बचाये पर वायु प्रदूषण जो कोरोना से कहीं अधिक घातक है, से अवश्य बचायेगा । कोरोना से भारत में अभी तक में सिर्फ़ 1.26 मिलियन मृत्यु हुई हैं और वहीं पॉल्यूशन से प्रति वर्ष हमारे देश 3.4 मिलियन मृत्यु होती है।अत: सभी से अनुरोध है कि अब पॉल्यूशन से बचने के लिये मास्क अवश्य लगायें।
इसके अलावा सभी को पता है कि अभी तक कोरोना की कोई दवा नहीं बनी। यदि किसी चीज का उपाय आपके पास नहीं है तो उसकी जॉंच क्यों कर रह हो ? जॉंच की रिपोर्ट के बाद यदि इलाज अभी तक नहीं बना है तो लोगों को अस्पतालों में क्यों भर्ती किया जा रहा है ? किसी को बिना साइन्टिफिकली प्रूव किये किसी अन्य बीमारी की दवा का कोरोना पेशेन्ट में ट्रायल करने का क्या अधिकार है ? जिन लोगों की मृत्यु इस अनाधिकृत ट्रायल से हुई है उसे ब्लैटेन्ट मर्डर करार क्यों नहीं दिया जाना चाहिये ?
मैं मानता हूँ कि एलोपैथी लक्षण कंट्रोल करने, इमरजेंसी हैन्डलिंग, सर्जरी और इनफ़ेक्शन कंट्रोल में बहुत कारगर है। परन्तु लक्षण कंट्रोल में प्रयोग की जाने वाली दवाओं का साइड इफेक्ट, लक्षण कंट्रोल करने के लिये की जाने वाली सर्जरी, स्टेरॉयेड, इम्यूनो सप्रेसेन्ट, कीमोथिरैपी तथा रेडियेशन कई बार जानलेवा हो जाते हैं। एलोपैथी किसी भी बीमारी को ठीक नहीं करती और साइड इफेक्ट के रूप में किसी दूसरे अंग को डैमेज करती है जो नई बीमारी बन जाती है। एक बीमारी से अनेकों बीमारी का सिलसिला शुरू हो जाता है।
बीमारियों को ठीक करने का काम शरीर स्वयं करता है, यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में आवश्यक तत्व मिल जायें। जिसके लिये पाचन प्रणाली और प्रतिरोधक क्षमता का दुरुस्त होना सबसे आवश्यक है। इनको सुचारू बनाये रखने के पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम, शारीरिक आराम, 6-8 घंटे की नींद और तनावमुक्त जीवन चाहिये। पौष्टिक आहार को फर्टीलाजर, पेस्टीसाइड और मिलावट ने समाप्त कर दिया तथा नियमित व्यायाम, शारीरिक आराम, 6-8 घंटे की नींद, तनावमुक्त जीवन को नौकरियों, कॉम्पिटीशन तथा लाइफ़ स्टाइल ने बर्बाद कर दिया। अत: लोगों का अस्वस्थ होना लाज़मी है। अस्वस्थता को एलोपैथी की इलाज पद्धति ने और भी कष्टदायक बना दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकार कोरोना को लेकर शुरुआत से ही अफ़वाहें उड़ा रहे हैं। कोरोना से संबंधित हर प्रयास असफल रहा, क्योंकि कभी बुनियाद पर ध्यान नहीं दिया और सिर्फ़ कोरोना के लक्षणों का तोड़ खोजते रहे। वैसे तो सभी की कॉलर ट्यून बदलना फ़ंडामेंटल राइट्स का हनन है, क्योंकि कोरोना संबंधित कॉलर ट्यून लोगों को लगातार भयभीत कर रही है। इससे बार-बार सभी के मस्तिष्क में यही बात चलती है कि कोरोना का अभी तक कोई इलाज नहीं है और यह बहुत ही घातक है। मनोवैज्ञानिकों कि मानें तो हमारा शरीर वही करता है जो मस्तिष्क सोचता है। अत: सरकार से अनुरोध है कि कोरोना से संबंधित कॉलर ट्यून को शीघ्र हटायें और जिन्हें पसंद हैं वे सेलेक्ट कर लें।
कोरोना की सक्सेसफुल दवा, थिरैपी व वैक्सीन एलोपैथी कभी नहीं बना पायेगा। सरकार लोगों को वैक्सीन लगवाने की हड़बड़ी में है। अत: बिना 100% सुरक्षित साबित हुये यदि यह वैक्सीन लोगों को अनिवार्य रूप से लगावाई गई तो यह कोरोना से ज़्यादा घातक सिद्ध हो सकती है। अभी तक कोरोना से सिर्फ़ 1.40 लाख लोगों की ही मृत्यु हुई है पर यदि वैक्सीन में एक प्रतिशत की भी कमी होने पाई तो 140 लाख लोगों की मृत्यु हो जायेगी। चूँकि कोरोना संबंधित सरकार के सभी प्रयास असफल रहे, अत: लोगों से अनुरोध है कि कोरोना की वैक्सीन अपनी स्वेक्छा और समझदारी से लगवायें ना की सरकार के फ़ैसले के के कारण क्योंकि जीवन आपका है सरकार का नहीं। एक बात जो मैं लगातार कहता आया हूँ और आज भी अड़िग हूँ कि कोरोना हो या कोई अन्य बीमारी आपको आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही बचायेगी।
कमाण्डर नरेश मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
www.zyropathy.com
Email: zyropathy@gmail.com