अनुज अग्रवाल। आपदा में अवसर तो सभी तलाश रहे हैं अकेले मेडिकल व्यवसाय को क्यों दोषी दे रहे हैं हम ? इस देश में तो हर डाल पर गिद्ध ही गिद्ध बैठे हैं।
हमने कुछ और गिद्ध ढूँढे हैं आप भी जानिए-
१)सबसे पहली गिद्ध केंद्र व राज्य सरकार है जो तेल के दाम बढ़ाकर अपने काम होते राजस्व को पूरा कर रही है।
२) दूसरे गिद्ध वो सरकारी कर्मचारी हैं जिन्होंने आपदा के लिए आवंटित घन में घपलेबाजी की है।
३) तीसरे गिद्ध वे राजनेता हैं जो हर ज़्यादा लाभ कमाने वाले से दलाली खाकर चुप बैठे हैं।
४) चौथे गिद्ध वे उद्योगपति जिनकी बिक्री कम होती जा रही है मगर शेयर बाज़ार में उनकी कंपनी का शेयर चढ़ता जा रहा है।
५) पाँचवे गिद्ध वे व्यापारी जिन्होंने मेटल, केमिकल, निर्माण सामग्री, खाने पीने के सामनो , ज़रूरत की सभी चीज़ों के दाम दुगने तिगुने तक बढ़ा दिए। इसके साथ ही वस्तुओं की जमाख़ोरी, मिलावट, घटिया व नक़ली माल की आपूर्ति भी करता है।
६) छठे गिद्ध वे स्कूल कोलेज जो आज भी बिना पूरी सेवाए दिए पूरी फ़ीस ले रहे हैं और सरकार उनका साथ दे रही है।
७)सातवें गिद्ध बे जो बिना पूरा काम किए भी पूरा वेतन ले रहे हैं और जनता को आपदा में भी पूरा टैक्स देना पड रहा है। वे न्यायालय भी जो वर्षों तक मुक़दमे लटकाए रहते हैं व जनता को न्याय नहीं देते।
८) आठवें गिद्ध वह मेडिकल माफिया, दवा कम्पनियाँ ,डॉक्टर , पुलिसकर्मी , एम्बुलेंस वाले व शमशान से जुड़े लोग व अन्य बिचोलिए हैं जो बीमारों व मृतकों की मजबूरी का फ़ायदा उठाकर उनको लूट रहा है।
९) नवें गिद्ध वे मीडियाकर्मी हैं जो इन गिद्धों से पैसे खाकर इनकी खबरें दबाते हैं। साथ ही वे समाजसेवी व विभिन्न धर्मी के मठाधीश जिन्होंने समाजसेवा विश्राम को धंधा बना रखा है।
१०) दसवाँ गिद्ध यह सिस्टम है जो इन सभी गिद्धों को पनपने देता है और उनके ख़िलाफ़ कोई सख़्त कार्यवाही नहीं करता।
Sir all the schools must not be accused…My staff has given best services without payment also.Some Parents have not paid fees…??