विवादित छवि वाली कारपोरेट दलाल नीरा राडिया फिर से चर्चा में है। दरअसल दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नयति हेल्थकेयर (Nayati Healthcare) की नीरा राडिया और चार अन्य के खिलाफ कर्ज धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि नीरा राडिया की कंपनी नयति हेल्थकेयर ने डॉ. राजीव शर्मा से दो अस्पताल खरीदे थे। डॉ. राजीव शर्मा ने नीरा राडिया और नारायणी इन्वेस्टमेंट सहित पांच लोगों पर आर्थिक धोखाधड़ी के साथ कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
आरोप है कि इन सभी ने 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के बैंक कर्ज का गबन किया। यह कर्ज यस बैंक (Yes Bank) से लिया गया था। हालांकि, नयति हेल्थकेयर ने आरोपों को खारिज किया। हेल्थकेयर ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि डॉ. राजीव शर्मा के नेतृत्व वाली पिछली प्रबंधकीय गतिविधियों के फोरेंसिक ऑडिट में सामने आए गबन की जानकारी पुलिस को पहले ही दे दी गई थी।
डॉ. शर्मा के दो अस्पतालों में से एक ओएसएल हेल्थकेयर दक्षिण दिल्ली में है। दूसरा निर्माणाधीन अस्पताल गुरुग्राम में है। इन्हें नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के जरिए खरीदा गया था। बाद में कंपनी का नाम नयति हेल्थकेयर एनसीआर कर दिया गया। इस बारे में शिकायत डॉ. राजीव शर्मा ने 4 नवंबर को दर्ज कराई जबकि पुलिस रिपोर्ट में नारायणी इन्वेस्टमेंट, नीरा राडिया, करुणा मेनन, सतीश नरूला और यतीश वहाल पर धोखाधड़ी, अमानत में खयानत, बही-खाते में हेराफेरी, जालसाजी और संपत्ति के गबन जैसे आरोप लगाए हैं।
डॉ. राजीव शर्मा ने कहा है कि नारायणी इन्वेस्टमेंट ने डीएचएफएल समेत कई स्रोतों से 600 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाया था। इनकी ओर से नयति हेल्थकेयर एनसीआर में बड़ी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए 311 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। राजीव शर्मा ने बताया कि इस अधिग्रहण के बाद नारायणी इन्वेस्टमेंट और चारों आरोपियों ने यस बैंक से गुरुग्राम के अस्पताल के लिए 300 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। उस कर्ज का पैसा अस्पताल में लगाने के बजाय फर्जी कागजात के आधार पर उसका गबन कर लिया गया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सभी ने यस बैंक से 60 करोड़ रुपए का एक और कर्ज दूसरे अस्पताल के प्रोजेक्ट के लिए लिया और उसका भी गबन कर लिया। यही नहीं, आरोपियों ने गलत तरीके से नयति हेल्थकेयर एनसीआर में उनकी हिस्सेदारी एक साल से भी कम समय में 49 फीसदी से घटाकर 6.3 फीसदी कर दी।
आपको पता होगा कि पहले पब्लिक रिलेशन कंपनी चलाती थीं नीरा राडिया लेकिन कुछ साल पहले नयति हेल्थकेयर नाम की कंपनी बनाई। इस कंपनी के आगरा और मथुरा में भी कुछ अस्पताल हैं जबकि नयति हेल्थकेयर की चेयरपर्सन और प्रमोटर नीरा राडिया 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और एक विवादित टेपकांड को लेकर सुर्खियों में रह चुकी हैं। एक आर्थोपेडिक सर्जन डॉ राजीव शर्मा की शिकायत पर पुलिस ने यह केस दर्ज किया है।
नीरा राडिया एक जमाने में कंपनियों के लिए लॉबिंग किया करती थीं। कुछ साल पहले प्रमुख राजनेताओं, उद्योगपतियों तथा मीडियाकर्मियों से कथित बातचीत का टेप लीक होने के बाद वह विवादों में घिर गई थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी जनसंपर्क कंपनी वैष्णवी कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंज तथा उसकी अन्य इकाइयों को बंद कर दिया था।
नीरा राडिया के करीब 800 ऑडियो टेप सुर्खियों में थे। इस प्रकरण के चलते तत्कालीन सरकार भी कटघरे में आ गई थी और उसे सुप्रीमकोर्ट में अपना पक्ष रखना पड़ा था। नीरा राडिया का असली नाम है नीरा शर्मा। उनके पिता अफ्रीकन देश केन्या में काम करते थे और बाद में लंदन बस गये, जहां नीरा शर्मा की पढ़ाई हुई। नीरा की दोस्ती विदेश में ही गुजराती मूल के और फाइनेंस का काम करने वाले जनक राडिया से हुई और इस तरह नीरा शर्मा नीरा राडिया बन गई।
साल 1995 में काम की तलाश में नीरा राडिया भारत आयीं। भारत में सबसे पहली नौकरी नीरा को सहारा समूह में मिली। इसके बाद वह नीरा राडिया सिंगापुर एयर लाइन, केएलएम और यूकेएएल की भारत प्रतिनधि बन गयी। पांच साल में इतने पैसे आ गये थे कि सन 2000 में बहन करुणा मैनन के साथ मिल कर क्राउन एयर के नाम से विमान सेवा शुरू की। सौ करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की अनुमति भी ले ली लेकिन बात कहीं जा कर अटक गयी। अगले साल लॉबिंग करने के लिए दलाली और जनसंपर्क की कंपनी वैष्णवी कम्युनिकेशंस शुरू की और चार कंपनियां बना डालीं।
1990 में टाटा समूह की सारी 90 कंपनियों का विज्ञापन और जनसंपर्क अकाउंट वैष्णवी और सहयोगी कंपनियों पर आ गया। साल 2005 में मैजिक एयर के नाम से ललित मोदी की मोदीलुफ्त एयर लाइन खरीदने का सौदा किया लेकिन नीरा राडिया के पास ब्रिटिश पासपोर्ट था और भारत में विमान सेवा के निवेश के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी था।
इस वजह से उसका करार नहीं हो सका इसके अलावा कई अन्य मामलों में उसकी छवि विवादित रही है। ताजा मामले में दर्ज हुए केस को लेकर उससे फिर से पूछताछ जल्द ही शुरू की जा सकती है। आरोप के प्रमाणित होने के बाद गिरफ्तारी भी संभव है।