अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर घोटाले में पूर्व वायु सेना प्रमुख एस.पी.त्यागी को लेकर जिस तरह से सीबीआई ने चाल चली है, उससे कांग्रेस के अंदर खलबली मची हुई है! सूत्र बताते हैं कि सीबीआई के इशारे पर एस.पी.त्यागी को जमानत मिली थी! सूत्रों के मुताबिक जमानत मिलते ही एस.पी.त्यागी से बड़े कांग्रेसी नेताओं ने संपर्क किया और सीबीआई इसी मौके की फिराक में थी!
जानकारी के मुताबिक त्यागी के गिरफ्तार होने के बाद कांग्रेसी नेताओं ने त्यागी द्वारा सीबीआई को दिए गए बयान की काॅपी हासिल करने की अवैध तरीके से काफी कोशिश की थी, लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। सीबीआई को जब इसका पता चला तो उसने जाल बिछाते हुए त्यागी की जमानत का ज्यादा विरोध नहीं किया। जमानत मिलते ही, त्यागी से कांग्रेस के बड़े नेताओं ने संपर्क किया। सीबीआई नजर बनाए हुए थी। जब सीबीआई को भरोसा हो गया कि कांग्रेसी नेताओं ने त्यागी के साथ बैठक कर डील करने की कोशिश की है तो उसने आज अचानक से त्यागी की जमानत का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। सीबीआई की याचिका पर अदालत ने एस.पी.त्यागी को नोटिस जारी कर दिया है! यदि सब कुछ सीबीआई की योजना के मुताबिक हुआ तो त्यागी सरकारी गवाह बन सकते हैं और उन चेहरों को बेनकाब कर सकते हैं, जो हेलीकाॅप्टर घोटाले के पीछे हैं। उनके मुंह खोलते ही इटली की अदालत मे आए सिग्नोरा गांधी व एपी जैसे नामों को डिकोड किया जा सकेगा। इससे उम्मीद बंध सकती है कि इस केस का हश्र बोफोर्स जैसा तो नहीं ही होगा! कांग्रेस यह भूल गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है- तू डाल-डाल तो मैं पात-पात! त्यागी को मिली जमानत और उसके बाद उसका विरोध कुछ ऐसा ही है!
गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट से आरोपी पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को मिली जमानत के विरोध में शुक्रवार को सीबीआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सीबीआई की याचिका पर हाई कोर्ट ने एसपी त्यागी को नोटिस दिया है। जिसमें हाईकोर्ट ने एसपी त्यागी से 3 जनवरी तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने एसपी त्यागी को इस मामले में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
सीबीआई ने कहा कि ये एक बड़ी और अहम जांच है जिसमें कई हाई रैंक लोगों की भूमिका की जांच जारी है, लिहाजा अगर त्यागी की जमानत दी गयी तो इससे जांच सीधे तौर पर प्रभावित होगी। अभी की जांच में त्यागी के खिलाफ अहम सबूत मिले हैं जिनसे घोटाले की कड़ियां जोड़ने में मदद मिलेगी।
सीबीआई ने कहा कि मामले में आरोपियों के मीटिंग करने और उनकी जगहों को भी साबित करने वाले सबूत मिले हैं। इस जांच के बारे में अभी ज्यादा खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि अगर आरोपी को पता चल गया कि जांच किस दिशा में चल रही है और किससे पूछताछ होगी, कहां रेड़ होगी तो वो दूसरे लोगों को आगाह कर सकता है और वो लोग अहम सबूतों को नष्ट कर सकते हैं।
सीबीआई ने कहा कि जांच एजेंसी मनी ट्रेल की जांच नहीं कर रही बल्कि ये छानबीन कर रही है कि इस अपराध को किस तरीके से अंजाम दिया गया। इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे। इस मामले में सीबीआई व्यवस्थित ढंग से जांच को आगे बढ़ा रही है। जल्दबाजी में किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, ये जांच इटली और 8 देशों तक पहुंची है जिसमें लाखों दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. 70 फीसदी दस्तावेज इटेलियन भाषा के हैं जिनका अनुवाद किया जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि जांच पूरी होने में कितना वक्त लगेगा तो सीबीआई की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि वक्त के बारे में अभी नहीं बताया जा सकता है।