अलवर में गो तस्करों की हुई मौत में पुलिस एक प्रकार का खेल खेल रही है। गो तस्करों के माल हड़पने के लिए पुलिस घटना को अंजाम देती है और आरोप गो रक्षकों पर लगा देती है। अलवर में गो तस्करी के आरोपी रकबर की हुई मौत के मामले में यही बात उभरकर सामने आ रही है। गावंवालों का कहना है कि रकबर की मौत पुलिस कस्टडी में हुई थी। इस बात की पुष्टि हॉस्पिटल के जांच अधिकारी की रिपोर्ट से हुई है। रामगढ़ सामुदायिक केंद्र के जांच अधिकारी डॉ हसन का कहना है कि जब रकबर को अस्पताल लाया गया था तब उसके शरीर पर चोट के निशान नहीं थे। सिर्फ उनकी जांघ पर हल्का चोट का निशान था। दूसरी बात जहां की घटना बताई जा रही है वहां के विजुअल से भी यही बात स्पष्ट होती है कि वहां मॉब लिंचिंग जैसी कोई घटना हुई ही नहीं। यदि भीड़ उसे पीटती तो क्या उसके चेहरे और पूरे शरीर पर चोट के निशान नहीं होते?
वहीं पुलिस का कहना है कि रकबर खान उसे अचेतावस्था में रोड के किनारे पड़ा मिला था, जबकि एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि पुलिस जब रकबर खान को पुलिस स्टेशन ले जा रही थी तब वह जिन्दा ही नहीं था बल्कि पूरी तरह स्वस्थ था। इससे पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। पुलिस पर रकबर खान की पुलिस कस्टडी में हत्या करने का आरोप है। लोगों का कहना है कि पुलिस ने रकबर खान को घटना के बाद अस्पताल से पहले पुलिस स्टेशन ले गई। वहां पर उसे बेरहमी से पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस तस्करी का माल हड़पने और इस मामले में खुद को बचाने के लिए मॉब लिंचिंग को हत्या का जिम्मेदार बता रही है।
URL: Cow smuggler death was happened in alwar police custody
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