आईएसडी नेटवर्क सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच क्राइम ब्रांच शुरू कर दी है । सोमवार को जांच के लिए वह चाणक्यपुरी में 1 घंटे तक उपस्थित भी हुए ।
प्राचा पर आरोप है कि उन्होंने स्पेशल सेल की कार्रवाई के वक्त भीड़ इकट्टठी कर ली और उनके सहयोगियों ने निजामुद्दीन पूर्व में उनके परिसर की तलाशी के दौरान काम में बाधा उत्पन्न किया तथा बदसलूकी की।
पुलिस ने बताया कि दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन थाने में प्राचा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-186, 353 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया ।दिल्ली पुलिस का कहना है कि स्पेशल सेल 22 अगस्त 2020 को फर्जीवाड़े सहित विभिन्न धाराओं में एक मामला दर्ज किया था और यह मामला अदालत के उस आदेश पर दर्ज किया गया था,
जिसमें फर्जी दस्तावेज अदालत के समक्ष जमा कराए गए थे। दिल्ली दंगे में एक आरोपी के जमानत को लेकर संबंधित अदालत में जो दस्तावेज जमा कराए गए थे, उनमें एक नोटरी ऐसे अधिवक्ता की लगाई गई थी, जिसका देहांत करीब तीन साल पहले हो चुका है।
यह भी पता चला कि इसके अलावा एक फर्जी शिकायत भी अदालत के समक्ष जमा कराई गई और इस मामले की जांच कर रही स्पेशल सेल ने जब अदालत की अनुमति लेकर वकील जावेद अली और महमूद यहां छापा मारा तो जावेद ने जांच में सहयोग किया जबकि महमूद ने जांच में रोड़े अटकाने का काम किया ।
इस पूरे घटनाक्रम में निजामुद्दीन थाना पुलिस ने भी कई सबूत मौके से इकट्ठे किए जबकि निजामुद्दीन थाना पुलिस को भी हिदायत दी गई है कि घटना से संबंधित जो भी सबूत उसने एकत्रित किए हैं, वो सब क्राइम ब्रांच के हवाले कर दें, क्योंकि सोमवार को ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज घटनाक्रम का पूरा ब्योरा दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है वकील और उसके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे के बाद उस घटनाक्रम की जांच, स्पेशल सेल से हटाकर क्राइम ब्रांच को सौंपे गई क्योंकि एक वकील से जुड़ा मामला होने के बाद कोई नई मुसीबत नहीं खड़ी हो।
ज्ञात हो कि इससे पहले दिल्ली पुलिस पर पिछले साल तीस हजारी कोर्ट मेंं वकील से भिड़ने को लेकर काफी किरकिरी हुई थी। इस वजह से पुलिस दंगे जैसे संवेदनशील मामलों को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
इस बीच वकील महमूद प्राचा सोमवार को कई ट्वीट किया जिसमें उन्होंने दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने से लेकर जय भीम और अंबेडकर केेेे नारे भी लगाए। उनका कहना था कि जब तक कि मुख्य साजिश का खुलासा नहीं हो जाता है।
हम दुनिया को दिखाएंगे कि संविधान सबसे कमजोर लोगों की मदद कर सकता है। सोमवार को पूछताछ को लेकर उन्होंने कहा एक घंटे के अनावश्यक उत्पीड़न के बाद भी मैं नहीं डरता।
मनुवादी मानसिकता कभी भी अंबेडकरवादियों को नहीं डरा सकती। हम भारत के संविधान को हर तरह से अंदर और बाहर दोनों खतरों से बचाएंगे। इस बीच पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अधिवक्ता महमूद प्राचा के दफ्तर से जब्त सामान व छापे के दौरान बनाई गई वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया ।
ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन ने जब्त किए गए सामान को वापस दिलवाने संबंधी मांग पर बाद में फैसला देने को कहा । अदालत ने मामले की सुनवाई 5 जनवरी तय की है।
अदालत ने कहा कि पूरे मामले की सुनवाई संबंधित अदालत में होगी और वह अदालत ही जब्त सामान को वापस दिलवाने व वीडियो की प्रति दिलवाने संबंधी मांग पर विचार करेगी।
अधिवक्ता प्राचा ने आवेदन दाखिल कर अपने दफ्तर से जब्त सामान वापस लौटाने एवं उस दौरान बनाई गई वीडियो फुटेज को दिलवाने की मांग की थी। इस मामले में अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था और जांच अधिकारी को जब्त सामान व वीडियो फुटेज के साथ आने को कहा था।
जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि सामान और फुटेज को मालखाने में जमा करा दिया गया। अदालत ने इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में करने की मांग वाली अर्जी पर भी सुनवाई 5 जनवरी के लिए स्थगित कर दी है।