रीना एक चुलबुली लड़की है। उसका बात -बात पर मुस्कुराना पड़ोसी रोहन को इतना भा गया कि वह रीना पर जान छिड़कने लगा। कोई दिन ऐसा ना बीतता जब रोहन रीना से मिलने को बेकरार नहीं होता। रोहन प्रत्येक दिन कोई ना कोई बहाना बनाकर रीना से जब मिल लेता, तो उसे तसल्ली हो जाती थी। उसकी यह अदा रीना को भी खूब भाती और वह भी मन ही मन रोहन को चाहते हुए उससे मिलने के लिए चली आती।
इनके बीच दोस्ती का यह आलम था कि रीना और रोहन जब तक एक दूसरे को देख नहीं लेते थे, उनका दिन नहीं कटता था। दोनों की दोस्ती को लगभग दो साल गुजर चुके हैं, लेकिन दोनों ने अब तक एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार नहीं किया। रोहन इस बारे में सोचता कि उसकी अभी उम्र ही क्या हुई है, वह एक दिन रीना को अपनी मन की बात जरूर बता देगा और उसकी पक्की दोस्त रीना उसके प्यार को कतई ठुकरा नहीं पाएगी।
रोहन अगले साल जब 22 साल का हुआ तब उसने यह पाया कि रीना उससे पिछले कुछ दिनों से कटने लगी है। वह अब मिलने के बजाय ना मिलने का बहाना ढूंढती रहती है। रीना को देखने और उससे मुलाकात के लिए वह जब उसके घर कई चक्कर काटता तब वह नजर आती थी। रोहन मन ही मन सोच रहा था, पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ जब भी वह रीना के घर के आगे जाकर एक सीटी बजाता , उसकी जान अपने बालकनी में दौड़ कर चली आती थी। लेकिन अब तो कई बार सीटी क्या जोर जोर से चिल्ला कर इशारा किए जान पर भी वह नहीं आती।
रोहन जब इस बारे में रीना से पूछता वह झिझक पड़ती थी। इस पर दोनों का कई बार झगड़ा भी हो चुका था लेकिन रीना के प्यार में पागल पागल रोहन उसे नाराज नहीं देखना चाहता था। इस वजह से वह अक्सर नाराजगी प्रकट करने के बाद चुप ही रहना बेहतर समझता था।
बेहद खूबसूरत और चंचल रीना अपने मां-बाप की इकलौती लड़की है और वह ओपन से डिग्री कोर्स में पढ़ाई कर रही है। उसके माता और पिता दोनों ही नौकरी करते हैं। दोनों जब सुबह घर से निकल जाते तब रीना अकेले ही अपने घर में रहती थी। उसका रोजाना का काम दिन भर घर में रहकर घर का कामकाज निपटाते हुए पढ़ाई करना और रोहन के उसके घर के आगे आने पर बालकनी में मुस्कुराते हुए चले आना और उससे घंटों बात करना।
कई बार तो रोहन रीना को बाहर घुमाने के लिए कोई ना कोई बहाने बनाता और कुछ देर की ना नुकर के बाद रीना भी उसके साथ निकल जाती थी। रोहन रीना के पड़ोस में रहता है और 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़कर अपने पिता के व्यवसाय में साथ देता था। रोहन की रोजाना की यही दिनचर्चा थी कि वह बिना रीना से मिले हुए पिता की दुकान पर कभी नहीं जाता।
इसके चलते हुए कई बार अपने पिता से डांट भी खा चुका था लेकिन उसकी आदत में सुधार नहीं आया। पिछले कुछ दिनों से रोहन परेशान है और वह समझ नहीं पा रहा था कि रीना के स्वभाव में अचानक क्यों बदलाव आ गया? आखिर किस वजह से रीना उससे अब मिलने से कतराती है और मिलने से इंकार कर देती है।
रोहन इसी उधेड़बुन में फंसा था। एक दिन की बात है रोहन रीना का हाल-चाल लेने के लिए उसके घर के समीप आ गया, जहां उसने देखा कि उसके ही पड़ोस में रहने वाला नईम रीना से हंस-हंसकर बात कर रहा है। नईम नीचे सड़क पर खड़ा था और रीना अपने बालकनी में खड़ी होकर उससे बातें कर रही है। यह देखकर रोहन को सारा माजरा समझते देर ना लगा । उसका तो मानो खून खौल गया। उसने आव देखा न ताव और मौके पर पहुंचकर नईम को खूब भला बुरा कहा।
रोहन की बातें सुनकर नईम तो उस वक्त वहां से चला गया लेकिन रीना यह सब सुनकर रोने लगी। उसने रोहन से इस बात का विरोध जताया कि उसने उसके साथ पढ़ने वाले नईम के साथ जो व्यवहार किया है, वह उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। रीना ने जोर-जोर से यह बोलते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया। उसकी मर्जी है कि किसके साथ वह दोस्ती रखे और किसके साथ नहीं।
उसका शोरगुल सुनकर मौके पर कुछ अन्य पड़ोसी भी जमा हो गए। उस वक्त रीना और रोहन तो अपने अपने घर की ओर चले गए लेकिन रीना इस घटना से इस कदर रोहन से नाराज हुई कि उसने उसके साथ बातचीत भी बंद कर दी। रीना की जिंदगी से रोहन का पत्ता लगभग कट चुका था। रीना अब रोहन से कोई दोस्ती नहीं रखना चाहती थी। वह तो रोहन को चिढ़ाने के लिए रोज नईम को घर के आगे बुलाती और उससे घंटों बात करती। नईम भी पहले तो कुछ दिनों तक रीना से पढ़ाई वगैरह की बात करता रहा, लेकिन इस दौरान उसका दिल रीना पर आ गया और उसने रीना को बता भी दिया कि उसे वह बेहद चाहता है। रीना उसकी बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराई। वह भी अब रोहन को छोड़कर नईम को पसंद करने लगी।
रीना अक्सर अब बालकनी से नीचे उतर कर नईम के साथ घंटों बाजार में घूमती थी और फिर नईम उसे अपनी बाइक पर चढ़ा कर घर तक छोड़ आता था। उधर, रोहन बदले की आग में लगातार झुलस रहा था। वह सबक तो रीना को सिखाना चाहता था लेकिन मन ही मन यह सोच रहा था कि रीना को तो वह बाद मेंं बताएगा पहले नईम से निपट ले।
एक दिन देर शाम को रोहन नईम को खोजते हुए अपने दोस्तों के साथ उसके घर तक चला आया। मौके पर पहुंचकर रोहन ने नईम के बारे में वहां खड़े एक लड़के से पूछा और उसने जब वह बताया कि वह पास की गली में खड़ा है। फिर क्या था रोहन अपने पांच दोस्तों के साथ वहां मौके पर पहुंचा और नईम पर तलवार, बेसबॉल, हॉकी, डंडों व ईंटों से हमला कर दिया। इस हमले में बीच-बचाव करने वाला एक अन्य युवक बुरी तरह जख्मी हुआ। बाद में दोनों घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां से दोनों को एक अन्य दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया।
नईम ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया जबकि उसका दोस्त अभी भी अस्पताल में भर्ती है। इस बीच मामले की जानकारी पुलिस को भी मिली जिसके बाद पुलिस ने हत्या में शामिल रोहन समेत उसके अन्य दोस्तों को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में रोहन ने बताया उसे कतई पसंद नहीं था कि एक मुस्लिम युवक लव जिहाद करते हुए उसकी प्रेमिका को अपना ले। इससे वह बेहद खफा था और उसे इस घटना को लेकर कोई पछतावा नहीं है।
नोट:- यह सच्ची घटना दिल्ली के रोहिणी जिले की है। पात्रों के नाम बदले गए हैं।