Archana Kumari. नार्थ रोहिणी इलाके में रहने वाला धीरज यादव डीटीसी बस चालक था। अक्सर शराब पीता और रोके जाने पर घरवालों से बहस करता था। उसके दोनों बेटे दिव्यांग थे। इससे भी वह परेशान था। आखिरकार उसने एक फैसला किया लेकिन उसके निर्णय से सभी दुखी हुए क्योंकि उसने पत्नी और दोनों बेटे की हत्या कर खुदकुशी कर ली थी । उसने मौके पर एक सुसाइड नोट भी छोड़ा ,जिसमें अपनी लाचारी और बेबसी के बारे में बताया लेकिन उसके परिजन उसके इस निर्णय से हताश और गमजदा है ।
दिल्ली पुलिस के अनुसार नार्थ रोहिणी थाना अंतर्गत नाहरपुर गांव में महा सिंह परिवार के साथ रहते हैं। उनके तीन मंजिला मकान के ग्राउंड फ्लोर पर महा सिंह अपनी मां एवं पत्नी के साथ रहते हैं। जबकि पहली मंजिल पर बड़े बेटे नीरज का परिवार और दूसरी मंजिल पर छोटा बेटा धीरज अपनी पत्नी आरती एवं दो बच्चों के साथ रहता रहता था। धीरज रोहिणी स्थित डीटीसी बस डिपो में कॉन्ट्रैक्ट पर चालक की नौकरी करता था।
उसे शराब पीने की बुरी लत थी और इसकी वजह से पत्नी एवं परिवार के अन्य लोगों से आए दिन विवाद होता रहता था। बताया जाता है कि एक दिन इसी बात को लेकर पहले पिता और बाद में पत्नी से विवाद हुआ था। इसके बाद सभी अपने कमरे में सोने चले गये। इसी रात पहले धीरज ने सोती हुई अपनी पत्नी की गला रेतकर हत्या कर दी।
इसके बाद अपने छह साल के बेटे हीतेन एवं तीन साल के बेटे अथर्व की गला रेतकर हत्या कर दी। इसके बाद खुद पत्नी की चुन्नी से पंखे के सहारे फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना के उजागर होते इलाके में कोहराम मच गया। एक साथ चार लाशें मिलने से पुलिस कर्मी हैरत में थे जबकि महा सिंह का कहना था कि वह रोज सुबह अपने बेटे को ड्यूटी के लिए जगाने उसके फ्लोर पर जाते थे।
वह सुबह जब धीरज को जगाने के लिए गये तो किसी ने जवाब नहीं दिया। उन्हें फिर शंका हुई तो उन्होंने खिड़की से झांका तो देखा कि बेटे की लाश पंखे से लटक रही है। उन्होंने शोर मचाकर अपने बड़े बेटे नीरज को बुलाया। इसके बाद परिवार ने पुलिस को सूचना दी। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर गई तो देखा कि खून से लथपथ शव पड़े हुए थे।
पुलिस ने शवों को कब्जें लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जांच में खुलासा हुआ है कि धीरज और आरती की दोनों संतानें हीरेन एवं अथर्व जन्म से ही दिव्यांग थीं। हीरेन को चलने एवं बोलने में दिक्कत थी तो अथर्व भी बीमारी की वजह से चलने फिरने में असमर्थ था। इसकी वजह से दम्पत्ति में काफी तनाव रहता था। धीरज की कमाई का अधिकांश हिस्सा बच्चों के उपचार मेंं खर्च होता था जिससे परेशान था इस वजह से उसने पूरे परिवार को खत्म करने का गलत फैसला ले लिया।