यह लड़ाई न्यायपालिका में व्याप्त बुराई से है जो दीमक की तरह अंदर ही अंदर न्यायपालिका को ध्वस्त करती जा रही है! कल रिपब्लिक टीवी का स्टिंग ऑपरेशन ने न्याय पालिका में छोटे छोटे स्तर पर व्याप्त भ्रस्टाचार का खुलासा किया है ऐसा नहीं कि भ्रस्टाचार की जड़ें अभी उगी है बल्कि यह न्यायव्यस्था में गहरी पैठ बना चुकी है!
जस्टिस आलम इस कड़ी में पहला नाम है जिन्हे केवल इसलिए विदेशी फंडिंग होती थी कि वह दुनिया में भारत को कम्युनल कंट्री साबित करे और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सजा दे! सिर्फ इतना नहीं अपने पद की गरिमा को ताख पर रख अपनी बेटी को भी आर्थिक मदद दिलवाई और सुप्रीम कोर्ट को उनके इस कृत्य पर माफ़ी मांगनी पड़ी।
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न्यायपालिका की अवमनना के भय से अब चुप रहने का मतलब लोकतंत्र को कुछ लोमड़ियों के हाथ में छोड़ देने के समान!