प्रशांत पोळ
यह अद्भुत हैं, अतुलनीय हैं, अकल्पनीय हैं.
और शायद अविश्वसनीय भी लग रहा हैं..!
अयोध्या मे,
अतिभव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा हैं.
स्वतः प्रधानमंत्री,
सरयू के तट पर,
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी की
आरती उतार रहे हैं…
श्रीराम मंदिर की परिक्रमा कर रहे हैं..
महामहीम राज्यपाल और मुख्यमंत्री जी,
प्रभु श्रीराम के रथ को खींच रहे हैं.
लाखों लोग,
सरयू के दोनो तटों पर
इस स्वप्नवत दृष्य को प्रत्यक्ष देख रहे हैं…
और इस देश के करोडों लोग,
समाचार चॅनलों और
सोशल मीडिया के माध्यम से
‘हर की पौडी’ के मंदिरों पर,
लेजर से माध्यम से दिखाई जा रही
संगीतमय रामकथा,
पलकें झपकाएं बगैर, एकचित्त होकर
एकटक देख रहे हैं..!
इस देश के इतिहास मे
ऐसा पहली बार हो रहा हैं.
कभी, एक हजार वर्ष पहले तक,
अयोध्या मे ऐसा ही दीपपर्व
मनाया जाता था…
ऐसा हमने पढा था / सुना था.
किंतू बाद मे, इस देश मे,
मुस्लिम आक्रांता आए…
मंदिर ध्वस्त होने लगे,
परंपराएं समाप्त होती गई…
एक समृध्द विरासत को, हम
भूलते चले गए..
अंग्रेजों ने हमारे मन के श्रध्दाभाव को
समाप्त करने के सारे प्रयास किये…
अभी बत्तीस वर्ष पहले
इसी पवित्र अयोध्या नगरी मे
प्रभु श्रीराम के कारसेवकों पर,
गोलियां चलाई गई थी.
कारसेवकों के रक्त से
पवित्र सरयू नदी रक्तरंजित लाल हुई थी.
वो ३० अक्तूबर १९९० का दिन था, बुधवार,
जब कारसेवकों को बर्बरतापूर्वक मारा गया था.
फिर २ नवंबर को तो
हनुमानगढी जाते हुएं,
अनेक कारसेवकों को, कीडे-मकौडों जैसे
गोलियों से भून कर नष्ट किया गया.
आज २३ अक्तूबर २०२२, रविवार हैं.
उस घटना को
बत्तीस वर्ष होने मे मात्र सात दिन बाकी हैं.
और आज अयोध्या मे
ऐतिहासिक दीपावली मनाई जा रही हैं.
१५ लाख से भी ज्यादा दीपों से
अयोध्या जगमगा रही हैं.
यह अविस्मरणीय दीपपर्व हैं. प्रकाशपर्व हैं.
देश का, प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व
स्वयं वहा उपस्थित हैं.
इस पर्व मे बढ-चढ कर हिस्सा ले रहा हैं.
देश अपने
मूलाधार की ओर लौट रहा हैं.
अपनी जडों की ओर जा रहा हैं.
अपने आराध्य, प्रभु श्रीराम जी के
नगरी की इस
अद्भुत, अतुलनीय, अकल्पनीय
दीपावली को देखते हुए
इस देश के
करोडो रामभक्त कृतार्थ हो रहे हैं.
अपनी आंखों से
आनंद के आंसू बहा रहे हैं….
यह नया भारत हैं –
सशक्त. बुलंद. मजबूत..!