भारत चीन सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में बयान दिया है. और अपने वक्तव्य में उन्होने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि भारत बार्डर का मसला बातचीत के ज़रिये सुलझाना चाहता है और शांति के हक में है लेकिन देश की एकता, अखण्डता और संप्रभुता की रक्षा के लिये वह कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा.
राजनाथ सिंह ने अपने वक्तव्य में विस्तार से बताया कि भारत चीन सीमा के मुद्दे को लेकर किस प्रकास चीन ने बार बार विभिन्न प्रोटोकांल्स और द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है. उन्होने कहा, ” चीन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है. चीन अब भी अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र का दावा करता है.”
उन्होने यह भी कहा कि भारत और चीन, दोनों ही औपचारिक तौर पर यह मानते हैं कि सीमा विवाद का मुद्दा एक बेहद जटिल मुद्दा है जिसका समाधान शांतिपूर्ण तरीके से आपस में बातचीत द्वारा हे संभव है. उन्होने यह भी कहा कि भारत ने चीन को विभिन्न डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया है कि जिस प्रकार की गतिविधियां चीन बार्डर पर कर रहा है, वैसी गतिविधियां स्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास है. और साथ ही उन्होने बड़ी दृढ़्ता से यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह प्रयास भारत को किसी भी कीमन पर स्वीकार नहीं है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में इस बात पर ज़ोर दिया कि चीन की कथनी और करनी में सदा से ही अंतर रहा है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाणण 29,30 अगस्त को बार्डर पर उनके द्वारा की गई भड़्काने वाली कार्येवाई है. उन्होने कहा कि शांति बहाल करने के लिये हमने चीन के साथ कई समझौते किये लेकिन चीन ने औपचारिक सीमाओं को कभी माना ही नहीं. चीन ने यथास्थिति को बदलने की हमेशा कोशिश की लेकिन भारतीय सेना ने चीन के सारे प्रयास विफल कर दिये और उसे भारी नुकसान भी पहुंचाया.
उन्होने यह बताया कि चीन ने बार्डर पर किस प्रकार द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है. उन्होने कहा, ” चीन ने बॉर्डर पर सैनिक जुटाए जो कि 1993 और 1996 में हुए समझौतों के खिलाफ है। सीमावर्ती इलाकों में शांति के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का सम्मान बेहद जरूरी है। हमारी सेनाएं समझौतों का पूरी तरह पालन करती हैं लेकिन चीन की तरफ से ऐसा नहीं होता। हम बातचीत के जरिए सभी मसले सुलझाना चाहते हैं।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा पर तनाव की स्थिति पहले भी उत्पन्न हुई है और एलएसी को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग है। मई में चीन ने गलवान में भारतीय सैनिकों की पैट्रोलिंग रोकी। भारतीय सैनिकों ने 15 जून को गलवान में पीएलए को तगड़ा जवाब दिया। जवानों ने इन सभी घटनाओं के दौरान जहां संयम दिखाना था, वहां संयम दिखाया और जहां शौर्य की आवश्यकता थी, वहां शौर्य दिखाया।