अर्चना कुमारी।दिल्ली दंगा मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। उमर खालिद ने निचली अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों से दो दिन में अपनी लिखित दलील दाखिल करने को कहा।
मामले की सुनवाई के दौरान उमर खालिद के वकील त्रिदीप ने कहा कि किसी घटना के समय उनका मुवक्किल वहां नहीं मौजूद रहा, उससे कुछ भी बरामद नहीं हुआ, उमर पर आरोप लगाया कि अमरावती का भाषण की वजह से दिल्ली की घटना हुई, लेकिन उमर खालिद ने अमरावती के लोगों को दिल्ली आने को नहीं कहा। अमरावती का भाषण दिल्ली में स्पाकर का काम नहीं सकता है।
उमर खालिद के वकील ने कहा कि पुलिस तीन बार चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी कह रही है उसको मामले में जांच करनी है।कई गवाहों ने बताया कि यह भाषण उत्तेजक है, लेकिन कोई नहीं कहता कि भाषण में उकसावा क्या है, भाषण सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है वह बताते उसमें क्या उकसावे वाला है।
उमर खालिद के वकील त्रिदीप ने कहा अगर पुलिस को पता था कि उमर खालिद मुख्य व्यक्ति है तो उसको सितंबर में क्यों गिरफ़्तर किया जबकि मार्च में ही FIR दर्ज की थी। लेकिन पुलिस के वकील ने जमानत का विरोध किया । पुलिस ने कहा कि उमर और उनके साथी पूरी दिल्ली को जाम करना चाहते थे। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में जेसीसी के ह्वाट्सएप ग्रुप की चैट को प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कह दो हम जामिया से हैं, दिल्ली का चक्का जाम कर देंगे।
इस तरह के दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर और सिद्धार्थ मृदुल की पीठ उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया हालांकि पीठ ने मौखिक टिप्पणी की थी कि ऐसा लग रहा है कि वह दोषी होने के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई कर रहे हैं, न कि जमानत याचिका की। गौरतलब है कि बीते मार्च में कड़कड़डूमा कोर्ट ने खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और इसके बाद से हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा