
आम आदमी पार्टी के शासन के बाद राजधानी दिल्ली में इस्लामी आतंकवाद चरम पर! लगातार हिंदुओं की लिंचिंग।
आम आदमी पार्टी के शासन के बाद राजधानी में इस्लामी आतंक चरम पर है। केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस इस पर हमेशा पर्दा डालती रहती है। इस बार जिहादियों के निशाना बने है महिंद्रा पार्क के पीपल थला में रहने वाला सुशील तथा उसके भाई। पिछले दिनों आदर्श नगर में राहुल नामक युवक की एक मुस्लिम लड़की से प्रेम किए जाने के चलते पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया था। उस समय भी दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को पकड़ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली और अपने ऊपर लगे लापरवाही के आरोपों का जवाब नहीं दिया।
इस बार भी हमेशा की तरह एडवाइजरी जारी कर आम जनों से अपील कर रही है कि इस घटना को लेकर सांप्रदायिक रंग ना दे। इससे पहले भी अंकित सक्सेना नाम के लड़के का गला काट कर, डॉ नारंग को पीट-पीट कर और ध्रुव त्यागी को मारा गया था। Anti CAA प्रदर्शन और उसके बाद हुई हिंसा में भी दिल्ली इस्लामी आतंक का शिकार हो चुकी है। हर बार दिल्ली पुलिस इन आतंकियों को रोकने में नाकाम तो हुई ही है, बाद में बहाने बनाकर अपनी जवाबदेही से भी बचती दिखी है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि शराब पीकर तेज संगीत बजाने और हिंदू औरत के साथ छेड़खानी को लेकर हिंदू और मुस्लिम पड़ोसी परिवार आपस में भिड़ गए। विवाद इतना बढ़ा कि एक मुस्लिम परिवार के चार बेटों ने दूसरे हिंदू परिवार के तीन बेटों पर ताबड़तोड़ चाकू से हमला कर दिया। जिसमें एक युवक की मौत हो गई, जबकि दो भाई गंभीर रूप से घायल हो गए।
यह घटना दिल्ली के महेंद्रा पार्क (Mahendra Park) इलाके के पीपलथला में मंगलवार को हुआ। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। मौके पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जाकर पीड़ित परिवार से सहानुभूति जता रहे हैं लेकिन उनका मुस्लिम प्रेम सीएए विरोध के समय स्पष्ट हो चुका है। पीपल थला तथा आसपास के इलाकों में एहतियातन सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
मामले में पुलिस ने घटना को अंजाम देने वाले पिता समेत उसके दो बेटों को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान पिता अब्दुल, बेटे आफाक और शहनवाज के रूप में हुई है। जबकि दो बेटे चांद और असीम के लिए छापेमारी जारी है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने इस घटना को लेकर एडवाइजरी जारी की। दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह आपसी झगड़ा है, इसे किसी भी तरह का सांप्रदायिक रूप ना दें। इसीलिए उस इलाके में बाहरी लोगों के जाने पर भी पाबंदी लगाई गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि छेड़खानी का विरोध करने और तेज म्यूजिक बजाने से मना करने पर मुस्लिम समुदाय के एक परिवार ने हिंदू समुदाय के परिवार समुदाय पर मीट काटने वाला छुरा, चापड़ और अन्य हथियारों से हमला कर दिया। जबकि परिजनों का आरोप है कि आरोपी परिवार उनके बहू बेटियों के साथ अक्सर छेड़खानी करता था तथा इसकी पुलिस में शिकायत की गई थी।
घटना में हिंदू परिवार के एक भाई की मौत हो गई, जबकि दो भाई गंभीर रूप से जख्मी हो गए। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। आरोप है कि हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद हथियार लहराते हुए फरार हो गए। हालांकि पुलिस ने घटना को अंजाम देने वाले कुछ आरोपियों को दबोच कर अपनी पीठ थपथपा रही है। पुलिस की माने तो मृतक की शिनाख्त 29 वर्षीय सुशील के रूप में हुई है, जबकि घायल भाइयों की पहचान सुनील और अनिल के रूप में हुई है। सुशील अपनी पत्नी और तीन साल के बेटे के साथ रहता था। उसके भाई भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ पड़ोस में रहते हैं।
मंगलवार दोपहर करीब सवा तीन बजे पीपलथला में पड़ोसियों के बीच झगड़ा होने की दो कॉल आई। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि गली में खून बिखरा पड़ा है।स्थानीय लोगों ने बताया कि अब्दुल के परिवार वालों ने पड़ोसी सुशील और उसके भाइयों पर घातक हथियार से हमला कर दिया है। घायल तीनों भाइयों को इलाज के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल ले जाया गया है। जहां डॉक्टरों ने सुशील को मृत घोषित कर दिया है। छानबीन के बाद पुलिस ने बताया कि सुशील के पड़ोस में अब्दुल अपने परिवार के साथ रहता है और इनके बीच अक्सर कहासुनी होती रहती थी। एक रिश्तेदार ने कहा सुशील को उसकी संतान के सामने तड़पा तड़पा के बेरहमी से मारा गया और पुलिस पूरे मामले में लापरवाही बरत रही है।
इस घटना के बाद मौके पर तनाव को देखते हुए इलाके में पुलिस बल तैनात दो समुदायों के बीच खूनी संघर्ष के बाद इलाके में तनाव है। वारदात के वक्त लोग अपने घरों कैद हो गए। पुलिस के आने के बाद दूसरे समुदाय के लोग बाहर निकले, जिनमें तनाव साफ तौर पर देखा जा रहा था। आरोपी परिवार के लोग घर को छोड़कर कहीं अन्य जगह पर जा चुके थे। जबकि मृत सुशील के घर पर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। आस पास के लोग उसके परिवार वालों से मिलने के लिए आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही है और दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है । मुस्लिम चरमपंथियों पर नकेल नहींं कसने के चलते ही इसी साल फरवरी माह में सांप्रदायिक दंगे भी हुए थे ,जिसमें 53 लोगों की जान चली गई थी।
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