अर्चना कुमारी। देश की राजधानी स्थित रंजीत नगर इलाके में बजरंग दल से जुड़े नितेश की हत्या कर दी गई और पुलिस ने अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस शुरू से ही मृतक को अपराधी तथा आरोपियों को क्लीन चिट देने में जुटी रही । पुलिस के इस कदम से स्थानीय लोगों में काफी रोष है ,जिसके चलते सड़क जाम करके भी पुलिस के विरोध में प्रदर्शन किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि मध्य जिला पुलिस आरोपियों का बचाने का काम कर रही है जबकि मृतक बजरंग दल से जुड़ा हुआ था।
स्थानीय लोगों ने हैरानी जताई है कि अपने कार्यकर्ता के मारे जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने इस मामले पर अब तक कुछ नहीं पहल किया है। स्थानीय लोगों का कहना था कि जब से केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह पद आसीन हुए हैं तब से राजधानी की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। दिल्ली पुलिस के मुखिया के तौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय पैराशूट से उतार कर दिल्ली पुलिस के कैडर से अलग राकेश अस्थाना और संजय अरोड़ा की नियुक्ति की लेकिन दोनों के कार्यकाल में कानून और व्यवस्था की हालत बद से बदतर होती चली गई है।
बजरंग दल कार्यकर्ता नितेश के जिहादियों के हाथों मारे जाने को लेकर पुलिस शुरू से ही मामले में लापरवाही बरती, जिसके कारण अपराधी अब तक पकड़े नहीं जा सके हैं। जिले के पुलिस उपायुक्त श्वेता चौहान ने मृतक को अपराधी करार दिया लेकिन क्या मारने वाले अपराधी समाजसेवी थे, इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया है। अपने बचाव में पुलिस उपायुक्त का कहना था कि पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। यह बिल्कुल भी सांप्रदायिक घटना नहीं है।
यह महज इत्तेफाक है कि आरोपी अदनान, अब्बास और उजेफा दूसरे समुदाय के हैं। पुलिस का दावा था कि वारदात रोडरेज की वजह से हुई। लेकिन पुलिस यह नहीं बता रही थी कि हमलावर मस्जिद से भारी संख्या में निकल कर कैसे आरोपियों को पीट कर मौके से फरार हो गए। पुलिस कैमरे का उल्लेख करते हुए यह तो बता रही है कि नितेश ने ही शुरू में अपने दोस्त आलोक के साथ मिलकर 3 लड़कों की पिटाई की थी लेकिन पुलिस यह नहीं बता पा रही कि नितेश को पीटने वाले कैमरे में कैद हुए या नहीं और हमलावर सिर्फ तीन थे या इससे ज्यादा। यदि ज्यादा थे तो पुलिस सिर्फ तीन आरोपियों का नाम क्यों ले रही है और सिर्फ तीन ही आरोपी थे तो अब तक वह आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर क्यों है।
नितेश की मौत के बाद ग्रामीणों में घटना को लेकर खासा रोष है। अपना विरोध जताने के लिए ग्रामीणों ने अपनी पूरी मार्केट रविवार को बंद रखी। आगे भी हंगामा हो सकता है और इसकी रणनीति ग्रामीण बना रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप था कि दूसरे समुदाय के लोगों की वजह से एरिया में अपराध बढ़ा हुआ है। लेकिन पुलिस जिहादियों से डरती है और उनका बचाव करती है । ग्रामीणों का कहना है कि मृतक की अस्थियां विसर्जित करने के बाद शादीपुर और खामपुर गांव की संयुक्त पंचायत होगी। उसमें आगे की रणनीति को लेकर फैसला किया जाएगा और पुलिस के द्वारा किए जा रहे हैं लापरवाही का खुलकर विरोध किया जाएगा।