Archana Kumari. अमूमन हरि टिड्डे पंचर ही बनाते हैं, इनकी जिंदगी में रोजमर्रा की व्यस्तता इतनी अधिक होती है कि उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती। एक- दो पत्नियां और सात आठ बच्चे तो होते ही हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करने में ही वक्त निकल जाता है लेकिन ऐसे भी हरे टिड्डे भरे पड़े हैं, जो पढ़े लिखे तो हैं लेकिन उनकी मानसिकता जिहाद से ओतप्रोत है।
इनके नजर में दूसरे धर्म के लोग काफिर हैं और उनके जिंदा रहने का मकसद ही दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान पहुंचाना है। दिल्ली दंगे में भी पढ़े-लिखे हरे टिड्डे ने खौफनाक प्लान तैयार किया था।
इसकी पुष्टि दिल्ली पुलिस के द्वारा की जा चुकी है कि किस तरह राजधानी को दंगे की आग में रोकने की तैयारी की गई थी और इस काम में देश-विदेश से फंडिंग की गई थी।
बात सिर्फ दिल्ली दंगे के नहीं है बल्कि ऐसे हर टिड्डे भरे परे हैं, चाहे वह ओसामा बिन लादेन, याकूब मेमन, अफजल गुरु, हाफिज सईद, रियाज भटकल, मो. मसूर असगर हो या उमर खालिद, सरजील इमाम या फिर देवांगन कलिता ।
मुंबई बम कांड में दोषी पाए जाने के बाद फांसी की सजा पाने वाला याकूब चार्टर्ड अकाउंटेंट था। उसने द इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया से यह डिग्री हासिल की थी।
अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने वाले लादेन ने 1979 में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। उसने किंग अब्दुल्ला अजीज यूनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की हायर एजूकेशन हासिल की थी।
एक भारतीय आतंकी अफजल गुरु जिसने भारतीय संसद पर हमले को अंजाम दिया था। इसकी पढ़ाई जम्मू-कश्मीर से हुई थी, फिर इसने झेलम वेली मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से एमबीबीएस किया।
हाफिज सईद वह आतंकी जो पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंकवाद फैलाने वाले दहशतगर्दों के इस आका के पास दो-दो मास्टर्स डिग्रियां है। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मो. मसूर असगर ने जुलाई 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट को अंजाम दिया था।
उसने पुणे के विश्वकर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर रखी थी। रियाज भटकल जिसने इंडियन मुजाहिद्दीन की स्थापना की थी।
2006 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट, 2007 के हैदराबाद ब्लास्ट और 2008 के दिल्ली ब्लास्ट में इसका हाथ था। आतंकी बनने से पहले रियाज इंजीनियर था। यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता और कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उसे पढ़े लिखे हरे टिड्डे ही अंजाम देने में आगे हैं।
आपको याद होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक पूर्व छात्र मन्नान बशीर वानी लापता हो गया था, बाद में पता चला कि मन्ना वानी आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के साथ जुड़ गया है।
वह उस समय पीएचडी कर रहा था। इसी तरह देहरादून में पढ़ने वाला कश्मीरी छात्र शोएब मोहम्मद लोन भी दहशतगर्दी में संलिप्त पाया गया था। 24 मार्च 2018 को तहरीक-ए-हुर्रियत के चीफ अशरफ सेहराई के गायब हुए बेटे जुनैद अहमद की तस्वीर वायरल हुई थी।
जिसमें यह बात सामने आई कि वह आतंकी बन गया है। उसने एमबीए की पढ़ाई की थी । जेएनयू में पढ़ने वाला नजीब का नाम तो सुना होगा उसके बारे में कहा गया कि वह आतंकी बनकर आईएसआईएस के साथ लड़ने सीरिया चला गया ।
केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां से हरे टिड्डे सीरिया जाकर अपने धर्म के भेंट चढ़ गए। उमर खालिद और सर जल इमाम भी पढ़ा लिखा है , जो अक्सर आग उगलता है।
इमाम आईआईटी-ग्रेजुएट हैं, और इसी की तरह कवि और लेखक हुसैन हैदरी आईआईएम-इंदौर में पढ़ाई की है। जो हिंदू आतंकवाद की परिभाषा गढ़ते हुए उच्च जाति के लोगों को चप्पल मारने की बात कहता है।
टू नेशन थ्योरी का संस्थापक जिन्ना भी इसी तरह का विचार रखता था और देश आजाद होते देश के दो टुकड़े करा दिए। कोई 15 करोड़ की धमकी देता है तो कोई 15 मिनट में सबक सिखाने की बात कहता है लेकिन हैरानी तो तब होती है जब लव जिहाद कर शादी रचाने वाले हर टिंडे कहते हैं कि उन्हें भारत में डर लगता है ।
पढ़े लिखे हामिद अंसारी जैसे राजनेताओं के अलावा, क्रिकेटर इरफान पठान, पत्रकार आरफा शेरवानी जो कट्टरपंथी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समुदाय के लोगों द्वारा की गई हिंसा को तर्कसंगत बनाने और न्यायोचित ठहराने और प्रचारित करने के लिए प्रचार में संलग्न हैं।