दिल्ली हिंसा को लेकर स्पेशल सेल ने 15 आरोपियों के खिलाफ 17 हजार पेज का आरोपपत्र अदालत के समक्ष दाखिल किया है। इसमें अदालत को बताया गया है कि दंगा की साजिश रचने में कुल 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया है लेकिन इनमें से 15 आरोपियों के खिलाफ ही यह आरोपपत्र दाखिल किया गया है। बाकी छह अन्य के खिलाफ पूरक आरोपपत्र जल्द ही दाखिल किया जाएगा।
दिल्ली पुलिस के अनुसार यह आरोप पत्र एफआईआर नंबर 59/2020 यू / एस 120 बी, आर / डब्ल्यू 302/307/124 ए / 153 ए /109/114/147/148/149/186/212/353/395/427/435 / 436/452/454/341/34 IPC, 3/4 PDPP एक्ट 1984 और 25/27 आर्म्स एक्ट, और 13/16/17/18 UA (P) एक्ट, PS क्राइम ब्रांच, 06 मार्च, 2020 को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया गया।
चार्जशीट में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र शरजील इमाम का नाम शामिल नहीं है । दिल्ली पुलिस का कहना है कि दोनो को हाल में ही रिमांड पर लिया गया है और इनसे अभी पूछताछ की जा रही है। पूछताछ के बाद इनका नाम पूरक आरोप पत्र में शामिल किया जाएगा।
इस प्राथमिकी केे तहत अब तक 15 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। जिनमें से सफ़ूरा ज़रगर, मोहम्मद दानिश, परवेज़ और इलियास इस समय ज़मानत पर रिहा हैं जबकि बाक़ी 10 लोग जेल में बंद है।इनमें से ज़्यादातर लोगों को शुरूआत में दिल्ली दंगों से जुड़ी अलग-अलग प्राथमिकी में गिरफ़्तार किया गया था लेकिन जैसे ही उन मामलों में उन्हें ज़मानत मिली या मिलने की संभावना बनी, इनका नाम एफ़आईआर संख्या 59 में जोड़ दिया गया और इस तरह इन लोगों पर यूएपीए की धाराएँ लग गईं और नए जोड़े गए धारा के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
UAPA के प्रत्येक मामले की जांच दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के जिम्मे है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल साज़िश, आतंकवादी गतिविधि जैसे जटिल मामलों की जाँच पहले भी करती रही है। दो बक्सों में चार्जशीट लेकर अदालत पहुंची स्पेशल सेल को आरोप पत्र तैयार करने में कुल 195 दिन लगे। पुलिस ने अदालत को बताया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों में कुल 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 583 लोग जख्मी हुए थे। दंगों के दौरान बड़ी मात्रा में सरकारी एवं निजी संपत्ति का नुकसान हुआ, जिसके चलते दिल्ली सरकार के पास प्रभावित लोगों ने 20 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर अर्जी लगाई है। इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना बड़ा नुकसान इस दंगे में किया गया था।
पुलिस का कहना है कि दंगे के दौरान कुल 16 हजार पीसीआर कॉल पुलिस को मिली थी जबकि कुल 751 प्राथमिकी दर्ज की गई। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि दर्ज मामलों में कुल 59 प्राथमिकी की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट द्वारा की जा रही है जबकि कुल 691 मामलों की जांच उन पुलिस को दिया गया है, जहां जिस थाने में यह मामला दर्ज किया गया। जबकि 6 मार्च 2020 को दर्ज हुए एक मामले की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा की जा रही है।
स्पेशल सेल के अनुसार यह मामला दंगों की साजिश को लेकर दर्ज किया गया था और इस प्राथमिकी में ही यूएपीए की धारा आरोपियों पर लगाया गया था। पुलिस द्वारा दर्ज किए गए 750 एफआईआर में 12 पिस्तौल, 121 कारतूस के खोल, 92 जिंदा कारतूस, 61 कांच की बोतल जिनमें केमिकल भरा था और धारदार हथियार अब तक दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए हैं जबकि 747 गवाह 75 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का जिक्र आरोप पत्र में किया गया है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल जिस साजिश को लेकर जांच कर रही थी, उसमें 195 दिन के बाद आरोपपत्र दायर किया गया है। दिल्ली पुलिस की तरफ से अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह इस आरोपपत्र पर संज्ञान लेकर पूरे मामले को लेकर ट्रायल चलाएं वैसे पुलिस ने जिन जिन लोगों को आरोपी बनाया है उनके ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहां, गुलिफ्शा,शफीक उर रहमान, मीरान हैदर, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अथर खान शामिल है।
पुलिस का कहना है दंगे की साजिश में गिरफ्तार उमर खालिद और शरजील इमाम और अन्य के खिलाफ भी जल्द ही पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा।
बुधवार को सौंपी गई चार्जशीट में कुल 11,000 खंड हैं, जिसमें कुल 17,000 पन्ने है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि माननीय न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह अपराधों का संज्ञान ले और आरोप-पत्र के अभियुक्तों का मुकदमा शुरू करे। मामले की आगे की जांच जारी है और अनुपूरक आरोप-पत्र यथावत दायर किए जाने की संभावना है।