राजधानी पब्लिक स्कूल के मालिक फैजल फारुख पर जमानत लेने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगा है। दिल्ली दंगों में शामिल होने के चलते कोर्ट ने पत्नी का उपचार कराने को लेकर मानवीय आधार पर दी गई जमानत अर्जी से पहले जब मेडिकल दस्तावेज की जांच करवाई तो उसमें फर्जीवाड़ा पाया गया। इससे पहले इस शातिर फैजल फारुख पर गवाहों को धमकाने के दो मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसमें एक एफआईआर उत्तराखंड के चंपावत जिले में और दूसरी नॉर्थ ईस्ट जिले के दयालपुर थाने में दर्ज हुई थी।
यह वही शातिर शख्स है जो दिल्ली में करोना फैलाने के जिम्मेदार माने जाने वाले मौलाना साद के बेहद करीबी अब्दुल अलीम के संपर्क में था जिसके चलते दिल्ली दंगों में अब्दुल अलीम के भी शामिल होने का संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
दरअसल कड़कड़डूमा कोर्ट में 29 मई को फैजल फारुख की पत्नी सदफ को रसौली होने के दस्तावेज जमा कराते हुए वकील मोहित भारद्वाज ने जमानत याचिका दाखिल की थी। दावा किया था कि फैजल फारुख की पत्नी का ग्रेटर नोएडा के नर्सिंग होम में इलाज चल रहा है और सर्जरी होनी है। इसलिए फैजल फारुख को मानवीय आधार पर जमानत दी जाए। अदालत ने पुलिस से जमा कराई गई मेडिकल दस्तावेज की जांच किए जाने के बाद रिपोर्ट तलब की तो यह पता चला नर्सिंग होम काफी छोटा है और वहां ऑपरेशन कराने की कोई सुविधा मौजूद नहीं है।
तहकीकात करने पर यह पता चला दिल्ली से दूर फैजल की पत्नी के इलाज कराए जाने के दावे में फर्जीवाड़ा है इस बाबत क्राइम ब्रांच ने विस्तार पूर्वक जांच की तो पूरे गोरखधंधे का पता चल गया यह भी साफ हुआ कि फैजल फारुख की पत्नी सदफ को रसौली की कोई बीमारी नहीं है इसके बाद कोर्ट ने फैजल फारुख उसकी पत्नी, वकील,तथा गलत मेडिकल दस्तावेज बनाने वाले डॉक्टर तथा दस्तावेज बनवाने वाले दलाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने को कहा।
इस बीच वकील को पुलिस के पास फर्जीवाड़े के जानकारी होने का शक हो गया तो उसने फैजल की जमानत याचिका वापस ले ली।
बाद में क्राइम ब्रांच ने पूरे रैकेट की जांच करते हुए 7 जुलाई को डॉ. गजेंद्र कुमार नैय्यर (61) और उसके लिए क्लाइंट ढूंढने वाले दलाल मुकेश सांगवान (38) को गिरफ्तार किया था। पुलिस को जांच में पता चला है कि नैय्यर की प्रैक्टिस पर दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने दूसरी बार 30 नवंबर 2020 तक के लिए प्रतिबंध लगाया। इससे पहले भी वह जमानत के लिए फर्जी दस्तावेज बना चुका था और डीएमसी ने उस पर बैन लगाया था। आरोपी डॉक्टर गजेंद्र ने बताया कि वो दिल्ली के द्वारका मोड़ में रहता है और बिसरख में उसका नर्सिंग होम है वहीं पर मुकेश नाम का एक आदमी जो फर्जी मेडिकल दस्तावेज बनवाने का काम करता है, बुर्के में मुस्लिम महिला के साथ आया और उसका नाम सदफ बताया। मुकेश ने बताया कि किसी की जमानत के लिए फर्जी मेडिकल दस्तावज बनाने हैं जिसके बाद महिला का अल्ट्रासाउंड करवा के फर्जी तरीके से उसमें गंभीर बिमारी दिखाई और फर्जी दस्तावेज बनाकर दे दिया था । गौरतलब है कि फैजल फारुख के शातिर होने का सबूत दंगे के समय भी मिला था चार्जशीट में उल्लेख है कि दंगाइयों ने राजधानी पब्लिक स्कूल की छत पर बड़े पैमाने पर तेजाब, ईंटें, पत्थर, पेट्रोल और बम इकट्ठे कर लिए थे और लोहे की बनी एक बड़ी गुलेल के सहारे लोगों पर फेंक रहे थे।
दंगे में शामिल सारे आरोपियों को फैजल फारूक ने संरक्षण में रखा था और उसी के शह पर दंगाइयों ने डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल में आग लगा दी थी क्रमश….