दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार देशद्रोह के आरोपी शरजिल इमाम को बचाने में जुट गयी है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार देशद्रोह में फंसे आरोपी को बचाने का काम कर रही है । इससे पहले दिल्ली सरकार ने देशद्रोह के आरोपों के तहत कन्हैया कुमार पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने में देरी की थी। इस पर उस समय पटियाला हाउस कोर्ट में जज की टिप्पणी भी की थी कि आप इतने समय तक किसी फाइल को मंजूरी देने का वक्त नहीं ले सकते?
ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने कन्हैया मामले से कोई सबक नहीं लिया और अब शरजील इमाम के मामले में भी वही रवैया अपना रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इमाम के मामले मे मंजूरी देने के लिए केजरीवाल सरकार अब कितना वक्त लगाती है? लेकिन इतना तो तय है दोबारा से केजरीवाल सरकार की किरकिरी शुरू हो गई है।
दरअसल दिल्ली की एक अदालत ने कट्टरपंथी जेएनयू छात्र शरजील इमाम को उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले में पेश होने के लिए बुलाया था।अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के आधार पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत अपराधों का संज्ञान लिया, लेकिन देशद्रोह के आरोपों को लेकर दिल्ली सरकार की अनुमति नहीं मिलने के चलते उस पर सुनवाई नहीं हो पाई है।
इमाम पर आरोप है कि उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उत्तेजित भाषण दिया था। उसने अपने भाषण में देश को तोड़ने की बात कही थी। इसी तरह का भड़काऊ भाषण जामिया में भी उसने दिया था । इस भड़काऊ भाषण के बाद 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया नगर और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में हिंसक प्रदर्शन हुआ था, जिसमें कई बसें जला दी गई थीं और सड़कों पर जमकर तोड़फोड़ की गई थी।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पूरी जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में दंगे भड़काने के मामले में देशद्रोह की धारा के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन अब पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि इमाम के खिलाफ धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (धर्म के खिलाफ सख्त कार्रवाई या धर्म पर हमला करने की सजा) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी अभी भी दिल्ली सरकार के पास लंबित है।
इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इन धाराओं का संज्ञान नहीं लिया। कानून के अनुसार, जांच एजेंसियां राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही राजद्रोह के मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर सकती हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा, मैं वर्तमान मामले में यूएपीए की धारा 13 के तहत अपराध के लिए संज्ञान लेता हूं। हालाँकि, भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A (राजद्रोह), 153A (राजद्रोह के लिए दंड), 153B (राष्ट्रीय एकीकरण के लिए पक्षपातपूर्ण व्यवहार) और 505 (कुछ बयान, अफवाहों आदि का प्रचलन) के तहत अपराध के लिए संज्ञान लेने का मुद्दा मंजूरी के लिए लंबित है इस वजह से यह कुछ समय के लिए टाल दिया जाता है।
गौरतलब हो कि
शरजील इमाम गुवाहाटी जेल में बंद हैं और वह कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया है। इस पर अदालत का कहना था कि अगर इमाम अगली तारीख पर अदालत में शारीरिक रूप से पेश नहीं हो सकता है तो सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी। क्रमशः…
कौन हो आप, जो इतनी बकवास खबर लिख रहे हो।
ओर आपको किसने अधिकार दे दिया कि अगर दिल्ली सरकार से कुछ देरी हो रही है तो वो शारजील इमाम को बचाने की कोसिस कर रही है।
और आप कोर्ट से ऊपर है क्या दिल्ली दंगो का दोषी होने का फैसला कर रहे हो।
धिक्कार है ऐसी पत्रकारिता पर।