दिल्ली में हुए दंगो की जांच अब दिल्ली विश्वविद्यालय (DU )में हिंदी विभाग के प्रोफेसर अपूर्वानंद तक पहुंच गई है। ज्ञात हो कि Professor Apoorvanand घनघोर कम्युनिस्ट हैं। हिंदू और भारत विरोध का इनका पुराना इतिहास है। अपनी बिरादरी के NDTV पर बैठकर और लेफ्ट अखबारों में लेख लिखकर हिंदुओं के विरुद्ध जहर उगलने का यह लंबा अभियान चलाते रहे हैं। दिल्ली दंगे में Professor Apoorvanand के हिंदू घृणा का यही रूप सामने आया है, ऐसा आरोप है।
आरोप है कि Professor Apoorvanand दिल्ली दंगे का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले खालिद सैफी तथा उमर खालिद जैसों से नियमित संपर्क में होने के अलावा CAA और NRC के नाम पर भड़काऊ भाषण देते हुए मुस्लिम समाज के लोगों को भड़काने का आरोप है। इस सिलसिले में उनसे स्पेशल सेल ने पांच घंटे तक पूछताछ की और उनका मोबाइल फोन जप्त कर लिया। दिल्ली पुलिस का कहना है डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग से लेकर यमुनापार तक मुखर रहे हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि अपूर्वानंद का रोल दिल्ली हिंसा में क्या था लेकिन इतना तय है कि वह हिंसा के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले उमर खालिद तथा खालिद सैफी जैसे लोगों के संपर्क में थे। इन लोगों के साथ इनका लगातार उठना- बैठना था।
अपूर्वानंद दिल्ली हिंसा से पहले और बाद में भी मौके पर गए थे और उनसे जामिया नगर में हुए हिंसा से लेकर यमुना पार में हुए दंगों के बाबत सवाल जवाब किए गए। उनसे जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी और पिंजरा तोड़ ग्रुप के संबंधों को लेकर भी पूछताछ किया गया।
दूसरी तरफ स्पेशल सेल द्वारा की गई पूछताछ के बाद प्रोफेसर ने एक बयान जारी कर कहा वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन करना हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। उन्होंने दिल्ली पुलिस से मांग की कि इस केस की सही तरीके से जांच की जाए, जिससे किसी बेगुनाह को कोई परेशानी ना हो। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलनकारियों का समर्थन करने वालों को हिंसा का स्रोत बताना चिंताजनक है।इससे पहले दिल्ली दंगे को लेकर प्रोफेसर को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था।
इस बाबत एक अगस्त को उन्हें समन भेजा गया और उनसे लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल के ऑफिस में पूछताछ की गई। पुलिस टीम ने यह जानने की कोशिश की कि फरवरी और पिछले साल दिसम्बर में हुए दंगे के दौरान वे कहां थे।
दंगे में साजिश के पीछे उनकी भूमिका क्या थी। उनके संपर्क में हिंसा के दौरान या उससे पहले कौन कौन लोग थे। क्या प्रोफेसर को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में दौरे तथा भड़काऊ भाषण देने के लिए कोई फंडिंग की गई थी।
गौरतलब है फरवरी में नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगे के दौरान पचास से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने गहन जांच कार्रवाई करते हुए कोर्ट में पेश चार्जशीट के जरिए बताया था कि इन दंगों के पीछे बड़ी सुनियोजित साजिश है और इसके लिए विदेशी फंडिंग की गई थी।
इस बाबत कई प्राथमिकी दर्ज कर आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, खालिद सैफी, पिंजरा तोड़ ग्रुप की देवांगन तथा नताशा समेत कई अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इन लोगों पर हत्या समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था जबकि बाद में इस केस में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) को भी शामिल कर लिया गया। कुछ दिन पहले ही स्पेशल सेल ने दंगों को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र खालिद सैफी तथा उमर खालिद से पूछताछ की थी। माना जा रहा है कि खालिद सैफी तथा उमर खालिद से हुई पूछताछ के बाद ही डीयू प्रोफेसर अपूर्वानंद का नाम सामने आया था।
आपको बताते चलें कि भाजपा शासित केंद्र सरकार खासकर स्वयंसेवक संघ तथा नरेंद्र मोदी के खिलाफ लिखने और बोलने वाले डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद देशद्रोह के आरोप में फंसे उमर खालिद को कभी अपना बेटा बता चुके हैं।
मूल तौर पर बिहार के सिवान के रहने वाले अपूर्वानंद डीयू में हिंदी पढ़ाने के साथ ही कई अखबारों और डिजिटल वेब पोर्टल के लिए लिखते हैं। इसके साथ ही टीवी पर राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भी बहस करते हुए नजर आते हैं। कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक अपूर्वानंद, मोदी सरकार की कई नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं ,चाहे वो कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला हो या फिर देश में एनसीआर जैसे कानून को लागू करने का।
इसके अलावा वह अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को लेकर भी विवादास्पद टिप्पणी कर चुके हैं और उनका विवादों से पुराना नाता रहा है जिसको लेकर कई बार उनको आलोचना भी झेलनी पड़ी है। इनके मुताबिक केंद्र की भाजपा सरकार अच्छा नहीं कर रही है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चलते आम लोगों को चैन से रहना मुश्किल पड़ रहा है, खासकर मुस्लिम समाज के लोगों को सरकार जानबूझकर टारगेट कर रही है और उन्हें किसी भी रूप में प्रताड़ित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रही है।
प्रोफेसर अपूर्वानंद की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थन में कई लोग खुलकर आ गए हैं इनमें कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चौंकाने वाला है लेकिन इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। मैं अपूर्वानंद के साथ खड़ा हूं।
इसके साथ योगेंद्र यादव ,लेखक और राजनीतिक विश्लेषक पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रो. हिलाल अहमद जैसे कई अन्य लोगों ने अपूर्वानदं के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की है । अपने डिबेट और लेखनी में साम्यवाद की परोसने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने देश में भीड़ की संस्कृति को लेकर चिंता जताते हुए कहा था बाबरी मसज़िद के विध्वंस के बाद देश एक गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है. वह देश में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव के आलोचक रहे हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए हमलों के साथ-साथ सरकार की कार्रवाई पर सरकार के विरोध का भी विरोध जताया था। उनकी टिप्पणी दिल्ली हिंसा को लेकर भी थी जिसमें उन्होंने मुस्लिम वर्ग के लोगों की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए थे ।