बहुसंख्यक हिंदुओं का दमन करके इस्लामिक राष्ट्र (गजवा -ए -हिंद ) बनाना ही मुस्लिमों का उद्देश्य है और इसी मकसद की पूर्ति के लिए ही CAA और NRC की आड़ में दंगे करवाए गए थे। दिल्ली हिंसा को लेकर UAPA के तहत गिरफ्तार जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा ने इसे ऐसे समय कबूला है, जब ‘प़चमक्कार’ इस पर नाच रहे हैं कि जामिया की रेटिंग उच्च आई है देश भर के विश्वविद्यालयों के बीच।
किस तरह से मोदी सरकार के नीतियों के विरोध के नाम पर मुस्लिम लोगों को भड़काया गय था और कौम बचाने के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को अपने -अपने घरों से बाहर निकल कर हिंदुओं से हिसाब चुकता करने की सलाह दी गई थी, इसका पूरा चिट्ठा जामिया के स्टूडेंट आसिफ तन्हा ने अपने कबूलनामें में खोला है।
आसिफ इकबाल तन्हा ने कहा कि उसने हिंदुओं को तबाह कर धार्मिक भावनाएँ आहत करने की साज़िश रची और उनकी दुकान और घरों को लूटने का प्लान बनाया। साथ ही इसके लिए देश के विभिन्न भागों में मीटिंग भी की थी।
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) के सदस्य और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा ने दिल्ली पुलिस को दिए बयान में खुलासा किया कि जब CAA बिल आया, तो उसे ये बिल मुसलमानों के खिलाफ लगा, जिसके बाद इस बिल का विरोध करने के लिए सबसे पहले जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को भड़काया। बाद में उन छात्रों के साथ मिलकर हिंसा की थी।
आसिफ इकबाल तन्हा ने दिल्ली पुलिस को दिए बयान में बताया कि 12 दिसंबर को हम करीब 3000 लोगों के साथ जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नम्बर 7 पर सीएए कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। उस समय भी उन लोगों ने पुलिस को देखकर उत्तेजित नारे लगाए थे। 13 दिसंबर को जेएनयू का छात्र शरजील इमाम जब अपने भाषण में हक की लड़ाई के चलते चक्का जाम करने की बात कहीं तब हम लोगों ने जामिया के छात्रों समेत शाहीन बाग तथा आस पड़ोस के रहने वाले मुस्लिम लोगों को भड़काया था। मैं खुद लोगों को उकसाने में आगे रहा। इस दौरान जामिया मेट्रो से पार्लियामेंट तक प्रदर्शन किए जाने का ऐलान हुआ तब हम कई मुस्लिम संगठनों के साथ मिलकर प्रदर्शन में शरीक हुए। जब हम प्रदर्शन कर रहे थे, तो पुलिस ने हमें बैरिकेड लगाकर रोक लिया। वहां भी मैंने लोगों को भड़काया। मैंने कहा कि तुम आगे बढ़ो, पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं, जो हमें रोक ले। फिर इसी दौरान जब हम जबरदस्ती आगे बढ़े, तो पुलिस ने हमें अतिरिक्त फोर्स बुलाकर रोक लिया।
उसने कबछला, बाद में हम लोगों का पुलिस से संघर्ष हुआ और इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। हम लोगों ने भी पुलिस पर पत्थर फेंके, जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी आई। हमने पूरी प्लानिंग के तहत 15 दिसंबर को पार्लियामेंट तक प्रदर्शन का ऐलान किया था। इस प्रदर्शन का नाम जानबूझकर हमने ‘गाँधी पीस मार्च’ दिया, ताकि दिखने में ठीक लगे कि यह शांति मार्च है। महात्मा गांधी के नाम पर इसका नामकरण करने का उद्देश्य अधिक लोगों को मार्च में शामिल होने का लालच देना था।
उसके मुताबिक, उसके बाद हम प्रदर्शनकारियों को लेकर जाकिर नगर, बटला हाउस से होते हुए जामिया वापस ले आए थे। इस दौरान सूर्या होटल के पास पुलिस बैरिकेड लगे थे, जिसे हम लोगों ने जबरन तोड़कर आगे बढ़े। पुलिस हमें रोकने की कोशिश करती रही, परंतु हम रुकने को तैयार नहीं थे।
उसके अनुसार, वहां भीड़ बेकाबू हो गई और देखते देखते पथराव शुरू हो गया। बसों में आग लगा दी गई, पुलिस कर्मियों को पीटा गया, कई अनेक वाहन तोड़े गए और उसमें आग लगाई गई। कई घंटों तक वहां बवाल चलता रहा और वह भी हंगामा करने वाले लोगों के साथ मौजूद होकर उनका साथ देता रहा।
उसका कहना है जामिया में हुई हिंसा के बाद जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (JCC) का गठन किया गया । जिसमें AISA, JSF, SIO, MSF, CYSS, CFI, NSUI जैसे संगठन से जुड़े लोग शामिल हुए। आसिफ ने कहा कि SIO (स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाईजेशन) के कहने पर उसने दिल्ली से बाहर के अन्य कई राज्यों में भारत सरकार के खिलाफ मुस्लिमों को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया था और जरूरत पड़ने पर हिंसक प्रदर्शन के लिए भी कहा था। इसके लिए उसने कोलकाता, कोटा, लखनऊ, कानपुर, उज्जैन, इंदौर, जयपुर, पटना, सब्ज़ीबाग, अररिया, समस्तीपुर, अहमदाबाद सहित देश के कई स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए और अपने समाज के लोगों को हक -हुकूक के लिए आगे बढ़ने की सलाह दी थी।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि फरवरी माह में उत्तर पूर्वी जिले में हुए दंगों में भी इस आरोपी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आसिफ इकबाल तन्हा ने दंगों से पहले सीलमपुर, जाफराबाद तथा मुस्लिम इलाकों में घूम-घूम कर मुस्लिम लोगों को उकसाया था।
आसिफ इकबाल ने फंडिंग पर खुलासा किया कि एलुमिनाई एसोसिएशन ऑफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया (AAJMI) भी इस मूवमेंट में जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी के साथ थी और AAJMI और PFI से ही इस योजना की फंडिंग होती थी।आसिफ ने कहा कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान सड़कों को अवरुद्ध करने और यातायात बाधित करने के विचार का सुझाव दिया था। इसके बाद इस कार्रवाई की योजना मीरान हैदर और सफूरा जरगर द्वारा तैयार किया गया। उन लोगों की योजना मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर लोगों को भड़काना था और बाद में दंगे करके हिंदुओं को सबक सिखाना था।
आसिफ इकबाल तन्हा ने स्वीकार किया कि दिल्ली हिंसा में गिरफ्तार किए गए कई आरोपियों से उसके संबंध रहे हैं।
अपने ही देश में ये किसतरह के इस्लामिक जिहाद के सेंटर चल रहे हैं जहाँ छात्रों के रूप में आतंकवादियों को शिक्षा के रूप में आतंकवाद और कट्टरता को फैलाने की मजहबी तालीम दी जाती है।भारतसरकार,देश के गृहमंत्री को,देश के शिक्षामंत्री को,देश के कानून मंत्री को अपनी अपनी निंद्रा को त्यागकर अब ऐसे आतंकवाद और आतंकवादी बनाने वाले इस्लामिक सेंटरों को हमेशा हमेशा के लिए ही प्रतिबंधित करके बन्द कर देना चाहिए। और इन जैसे छात्र कम आतंकवादियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केवल फांसी पर ही लटकाना चाहिए।फांसी होनेतक न्यायालयों को इनको बिना बेल दिए केवल अंधेरी कालकोठरी में ही रखना चाहिए।